पं. ईश्वरलाल मिश्र की स्मृति में इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय में सांस्कृतिक संध्या
खैरागढ़। महान तबला वादक पं. ईश्वरलाल मिश्र की स्मृति में इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय, खैरागढ़ में रविवार 14 दिसंबर को सांस्कृतिक संध्या का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का आयोजन भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (आईसीसीआर) एवं जिला प्रशासन के संयुक्त तत्वावधान में किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता कुलपति प्रो. (डॉ.) लवली शर्मा ने की, जबकि विशिष्ट अतिथि के रूप में आईसीसीआर नई दिल्ली के क्षेत्रीय निदेशक (उत्तर) के. अय्यनार उपस्थित रहे।
कार्यक्रम की शुरुआत मां सरस्वती की प्रतिमा एवं राजकुमारी इंदिरा के तैलचित्र के समक्ष दीप प्रज्वलन से हुई। इसके पश्चात विश्वविद्यालय के सहायक प्राध्यापक डॉ. मंगलानंद झा द्वारा लिखित पुस्तक संग्रहालय आज, कल और आज का अतिथियों द्वारा विमोचन किया गया, जिसके लेखन में डॉ. चैनसिंह नागवंशी का सहयोग रहा। इसके बाद श्री रामकृष्ण पटेल ने महान तबला वादक पं. ईश्वरलाल मिश्र के जीवन एवं कला पर संक्षिप्त प्रकाश डाला।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कुलपति प्रो. (डॉ.) लवली शर्मा ने कहा कि विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों में गुरु के प्रति निष्ठा और साधना की परंपरा है, जिसके कारण वे निरंतर उपलब्धियां प्राप्त कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि देश के अधिकांश शैक्षणिक संस्थानों में इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय की किसी न किसी विधा की पहचान मिलती है। आईसीसीआर के साथ मिलकर विश्वविद्यालय अनेक रचनात्मक कार्य कर रहा है और छत्तीसगढ़ में शासन-प्रशासन से भी बेहतर सहयोग मिल रहा है।
आईसीसीआर के क्षेत्रीय निदेशक (उत्तर) के. अय्यनार ने कहा कि क्षेत्रीय निदेशक का कार्यभार संभालने के बाद छत्तीसगढ़ में यह उनका पहला कार्यक्रम है। महान तबला वादक पं. ईश्वरलाल मिश्र को समर्पित यह आयोजन विशेष महत्व रखता है। उन्होंने कार्यक्रम आयोजन का अवसर देने पर विश्वविद्यालय के प्रति आभार व्यक्त किया।
कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र के पश्चात नई दिल्ली से पहुंचे उस्ताद जौहर अली खान के बेला वादन ने श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। उन्होंने राग मधुवंती सहित विभिन्न रागों में प्रस्तुति दी और एक ही धुन को अलग-अलग देशों की शैली में प्रस्तुत कर खूब तालियां बटोरीं। इसके बाद ग्वालियर से आए प्रो. भगवान दास माणिक ने कथक नृत्य की सशक्त प्रस्तुति दी। उन्होंने तीन ताल में विशिष्ट बंदिश, नवरस रचना, रस पंचानन, नाग राग, शट कद, कुमकुम, पंच राग, घुमड़ बादल, शंख ध्वनि, अमृत ध्वनि, मधुकरी, सुरंग एवं हस्त शिखर जैसी रचनाओं पर नृत्य प्रस्तुत किया। इस दौरान डॉ. मानव दास महंत ने भी कथक नृत्य की सराहनीय प्रस्तुति दी।
कार्यक्रम का संचालन डॉ. लिकेश्वर वर्मा (संयोजक सांस्कृतिक कार्यक्रम) एवं डॉ. कौस्तुभ रंजन (आईसीसीआर प्रभारी) ने किया। आभार प्रदर्शन डॉ. लिकेश्वर वर्मा ने किया। कार्यक्रम में सेवानिवृत्त प्रो. डॉ. मुकुंद भाले, अधिष्ठाता प्रो. नमन दत्त, आयोजन समिति सदस्य डॉ. जितेश गढ़पायले, संदीप किंडो, सहायक प्राध्यापक सुशांत दास, डॉ. मंगलानंद झा, डॉ. छगेंद्र उसेंडी सहित बड़ी संख्या में शिक्षक, कलाकार, अधिकारी-कर्मचारी, शोधार्थी एवं विद्यार्थी उपस्थित रहे।

