ऐसा राज्य जहां आज भी पानी छानकर पीते हैं दस फीसद लोग

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नेशन अलर्ट.
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रांची.

विधानसभा चुनाव में डूबे झारखंड में पीने के पानी को लेकर भले ही कोई राजनीतिक दल बात करने तैयार नहीं है लेकिन यहां की स्थिति कुछ और है. यहां के तकरीबन 10.3 फीसद लोग अभी भी कपड़े से छानकर पानी पीते हैं.

उल्लेखनीय है कि झारखंड में पांच चरणों में विधानसभा चुनाव हो रहे हैं. जिन विषयों को जनता से सीधे जुड़ा हुआ बताया जाता है उन विषयों पर दरअसल कोई भी राजनीतिक दल बात नहीं करता है.

साफ पानी सहित साफ हवा, अच्छी शिक्षा अथवा अच्छी चिकित्सा सेवा पर यहां किसी तरह की बात होती नजर नहीं आ रही है. फिर भी इन विषयों पर नेशन अलर्ट लिखते रहा है.

पानी उबालकर पीने वालों की संख्या 6 से ज्यादा

झारखंड राज्य में पानी उबालकर पीने वालों की संख्या 6 प्रतिशत से थोड़ी सी ज्यादा (6.8 प्रतिशत) बताई गई है. वैसे भी झारखंड में बोतलबंद पानी का इस्तेमाल बेहद कम होता है.

ये इकलौता ऐसा राज्य है जहां पर बोतलबंद पानी बेचने वालों को संभवत: तकलीफ होती होगी क्योंकि यहां महज 1.1 प्रतिशत लोग बोतलबंद पानी का उपयोग करते हैं. यह आंकड़ा नेशनल सैंपल सर्वे ऑर्गेनाइजेशन (एनएसएसओ) की रपट का हिस्सा है.

यह रपट बताती है कि झारखंड में शहरी इलाकों में 3.9 फीसद आबादी ऐसी है जो कि बोतलबंद पानी का इस्तेमाल करती है.

जबकि यही संख्या ग्रामीण क्षेत्र में गिर जाती है. ग्रामीण आबादी का महज 0.2 प्रतिशत हिस्सा ही ऐसा है जो कि बोतलबंद पानी का इस्तेमाल करता है.

एनएसएसओ ने जुलाई 2018 से दिसंबर 2018 के बीच एक सर्वे किया था. इस सर्वे की रपट इस साल नवंबर माह में जारी की गई है.

रपट बताती है कि झारखंड की 73.4 प्रतिशत घर ऐसे हैं जहां बिना किसी ट्रीटमेंट के पानी उपयोग में लाया जाता है.

झारखंड के 4.1 प्रतिशत घरों में इलेक्ट्रिक वायर प्यूरीफायर लगा हुआ है. 0.2 प्रतिशत घर ऐसे हैं जहां एलम ट्रीटेड वाटर उपयोग में लाया जाता है. 1.4 फीसद घर ऐसे हैं जहां ब्लीच अथवा क्लोराइड टेबलेट से पानी का उपचार किया जाता है.

झारखंड की 3.9 प्रतिशत आबादी ऐसी है जहां पर बिना बिजली के प्यूरीफायर का इस्तेमाल होता है. बोतलबंद पानी पीने के मामले में झारखंड की आबादी संभवत: इस कारण रूचि नहीं लेती है क्योंकि वह प्राकृतिक पानी का उपचार करती है.

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