ब्रह्माणी, नागाबली सहित महानदी भी प्रदूषित
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भुवनेश्वर.
प्रदूषण की चिंता दिल्ली से लेकर भुवनेश्वर तक की जा रही है. लेकिन प्रदूषण है कि अपना पैर फैलाते जा रहा है. दिल्ली में जहां सांस लेने साफ हवा नहीं मिल पाती है वहीं उड़ीसा में पीने के लिए साफ पानी नहीं मिल पाता. ब्रह्माणी, नागाबली सहित महानदी का भी पानी प्रदूषित हो गया है.
बताया जाता है कि औद्योगिक विकास की कीमत अब उड़ीसा के लोगों को भी चुकानी पड़ रही है. उद्योगों से निकलने वाला प्रदूषित पानी सीधे नदियों में छोड़ दिया जाता है.
इसी के चलते अब नदी का भी पानी प्रदूषित हुए जा रहा है. हाल ही में विधानसभा में एक प्रश्र में सरकार ने भी माना था कि उड़ीसा की प्रमुख नदियों का पानी सीधे पीने लायक नहीं रह गया है.
सात शहरों का पानी-हवा प्रदूषित
उड़ीसा की राजधानी भुवनेश्वर सहित प्रदेश के सात शहर इस सूची में शामिल बताए जाते हैं. राष्ट्रीय ग्रीन ट्रिब्यूनल सहित केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने एक रपट तैयार की है.
इसी रपट में उड़ीसा के सात शहरों को साफ पानी-हवा के मामले में गंभीर रूप से संकट वाली सूची में रखा गया है. रपट बताती है कि इनमें भुवनेश्वर के अलावा कटक, तालचेर, बालेश्वर, अनुगुल, राउरकेला व जाजपुुर रोड के नाम शामिल हैं.
इन शहरों में एक ओर जहां सांस लेने के लिए स्वच्छ हवा नहीं मिल पाती है वहीं इन शहरों का पानी भी पीने लायक नहीं रह गया है. दरअसल, उड़ीसा की प्रमुख नदियां अब प्रदूषित जल से पीडि़त हो चुकी है.
इसमें महानदी सहित ब्रह्माणी, नागाबली, दया, काटचोड़ी जैसी प्रमुख नदियां शामिल बताई गई है. सरकार का अब दावा है कि वह प्रदूषण मामलों में आवश्यक कार्यवाही करेगी. इसके लिए वह केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के साथ मिलकर कार्यवाही की रणनीति बना रही है.
बहरहाल, इतना तो तय है कि यदि समय रहते लोगों ने अपनी मानसिकता नहीं बदली और उद्योगों ने प्रदूषण पर नियंत्रण नहीं लगाया तो उड़ीसा गंभीर रूप से प्रदूषित हो जाएगा. चूंकि बेतहाशा मोटर वाहन बढ़ रहे हैं इसके चलते यह समस्या तेजी से बढ़ रही है.
औद्योगिक इकाइयों से निकलने वाला पानी इतना गंदा होता है कि वह बगैर साफ किए नदियों में नहीं छोड़ा जा सकता है लेकिन ऐसा हो नहीं पाता.
बिना ट्रीटमेंट किए यह पानी नदियों में बह रहा है. इसी के चलते उड़ीसा की जीवनदायिनी कही जाने वाली महानदी का पानी संबलपुर से लेकर पारादीप तक प्रदूषित हो चुका है.