रायपुर साहित्य उत्सव : ‘आदि से अनादि तक’ 23 से 25 जनवरी 2026 तक
राजनांदगांव। नवा रायपुर में 23 से 25 जनवरी 2026 तक आयोजित होने वाले रायपुर साहित्य उत्सव : आदि से अनादि तक को लेकर शनिवार को प्रेस क्लब में परिचर्चा आयोजित की गई। आयोजन नांदगांव संस्कृति एवं साहित्य परिषद तथा साहित्य अकादमी, छत्तीसगढ़ संस्कृति परिषद के संयुक्त तत्वावधान में हुआ। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि वरिष्ठ पत्रकार सुशील कोठारी रहे, जबकि अध्यक्षता साहित्य अकादमी के अध्यक्ष शशांक शर्मा ने की। विशिष्ट अतिथि के रूप में पुरातत्वविद डॉ. आरएन विश्वकर्मा, हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. शंकर मुनि राय सहित अनेक साहित्यकार मौजूद रहे।
राजनांदगांव से और भी बड़े नाम जुड़ें : कोठारी
मुख्य अतिथि सुशील कोठारी ने कहा कि साहित्य समाज का दर्पण है और हर दौर में समाज को दिशा देता है। उन्होंने कहा कि गजानन माधव मुक्तिबोध, डॉ. पदुमलाल पन्नालाल बख्शी और डॉ. बल्देव प्रसाद मिश्र जैसे महान साहित्यकारों की परंपरा को आगे बढ़ाने की जरूरत है, ताकि राजनांदगांव से और भी बड़े नाम राष्ट्रीय स्तर पर जुड़ें। उन्होंने सोशल मीडिया के दौर में घटती पढ़ने की आदत पर चिंता जताई और दिग्विजय कॉलेज को साहित्यकारों की कर्मभूमि बताया। इस दौरान उन्होंने डॉ. मलय, डॉ. शरद गुप्ता, नंदूलाल चोटिया सहित अन्य साहित्यकारों का स्मरण किया।
सभी की सक्रिय सहभागिता जरूरी : शशांक शर्मा
साहित्य अकादमी अध्यक्ष शशांक शर्मा ने कहा कि तीन दिवसीय रायपुर साहित्य उत्सव से नई सोच और नए विचार विकसित होंगे। उन्होंने कहा कि साहित्य ज्ञान के हस्तांतरण का सशक्त माध्यम है। छत्तीसगढ़ बौद्धिक संपदा से समृद्ध प्रदेश है और उसकी राष्ट्रीय पहचान बननी चाहिए। उन्होंने साहित्यकारों से उत्सव में सक्रिय सहभागिता करने और नई पीढ़ी को साहित्य से जोड़ने का आह्वान किया।
इतिहास को समझने का माध्यम है साहित्य : डॉ. विश्वकर्मा
पुरातत्वविद डॉ. आरएन विश्वकर्मा ने कहा कि किसी भी देश के इतिहास को समझने के लिए साहित्य और संस्कृति को जानना जरूरी है। उन्होंने छत्तीसगढ़ में मिले सातवाहन, पांडुवंश, कलचुरी और नागवंश कालीन अभिलेखों का उल्लेख करते हुए कहा कि साहित्य के माध्यम से सुख-दुख, राग-द्वेष और देशकाल की परिस्थितियां अभिव्यक्त होती हैं।
साहित्य जोड़ने का काम करता है : डॉ. शंकर मुनि राय
हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. शंकर मुनि राय ने कहा कि साहित्य मनुष्यता पैदा करता है और समाज को जोड़ता है। उन्होंने मुक्तिबोध, मुकुटधर पांडेय और डॉ. बल्देव प्रसाद मिश्र के योगदान पर प्रकाश डालते हुए कहा कि साहित्य का सृजन देश के सौहार्द को ध्यान में रखकर होना चाहिए।
राजनांदगांव साहित्यकारों का शहर : डॉ. चंद्रशेखर शर्मा
सीएसवीटीयू के अध्ययन बोर्ड (मानविकी) के चेयरमेन डॉ. चंद्रशेखर शर्मा ने कहा कि राजनांदगांव साहित्यकारों का शहर रहा है और यहां वाचिक परंपरा की सशक्त धारा रही है। उन्होंने जिले के प्रमुख साहित्यकारों के योगदान को रेखांकित किया।
कार्यक्रम में अखिलेश चंद्र तिवारी, डॉ. वीरेंद्र बहादुर सिंह, अब्दुस्सा सलाम कौसर, डॉ. दादूलाल जोशी, शत्रुहन सिंह राजपूत, पद्मलोचन शर्मा, मुन्ना बाबू सहित अनेक साहित्यकार उपस्थित रहे। मंच संचालन डॉ. सूर्यकांत मिश्रा ने किया।

