मुक्त व्यापार समझौते के खिलाफ किसानों ने उठाई आवाज

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रायपुर.

मुक्त व्यापार समझौते के खिलाफ किसानों ने आवाज उठाना शुरू कर दिया है. किसान संगठनों ने सोमवार को पूरे देश में विरोध प्रदर्शन की घोषणा कर रखी है.

छत्तीसगढ़ किसान सभा द्वारा कहा गया है कि संसद और राज्यों को विश्वास में लिए बगैर यह समझौता किया गया है. यह समझौता 16 देशों के साथ किया जा रहा है. इसे आरसीईपी के नाम से जाना जाता है.

आंदोलन का आह्वान जिन संगठनों ने किया है उनमें अखिल भारतीय किसान सभा, आदिवासी अधिकार राष्ट्रीय मंच सहित कई अन्य संगठन शामिल हैं. इन्होंने अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति गठित की है.

मार्क्सवादी कम्यूनिष्ट पार्टी (माकपा) व अन्य वामपंथी दलों ने इस आंदोलन का समर्थन किया है. सभी ने केंद्र की मोदी सरकार से इस समझौते पर हस्ताक्षर न करने की मांग की है.

किसान-उद्योग विरोधी समझौता

छग किसान सभा के अध्यक्ष संजय पराते, महासचिव ऋषि गुप्ता के मुताबिक यह समझौता एक ओर जहां कृषि विरोधी है वहीं दूसरी ओर उद्योग विरोधी भी है.

पराते-गुप्ता के मुताबिक यदि भारत इस समझौते पर हस्ताक्षर करता है तो खेती किसानी, अनाज, सब्जी, मसाला, मछली उत्पादक किसानों, पशुपालक किसानों के व्यवसाय और विनिर्माण उद्योग पर प्रतिकूल असर पड़ेगा.

इन्होंने आशंका जताई है कि इससे इस तरह के उद्योग तबाह हो जाएंगे. इसका कारण बताते हुए उन्होंने कहा है कि समझौते की प्रमुख शर्त यह है कि दूसरे देशों से आने वाली वस्तुओं पर आयात शुल्क शून्य प्रतिशत होगा.

इससे हमारा घरेलू बाजार विदेशी चीजों से पट जाएगा. देश में उत्पादित होने वाली वस्तुओं को खरीददार नहीं मिलेंगे. पराते-गुप्ता ने यह कहते हुए चिंता जताई है कि देश मंदी के दौर से गुजर रहा है. ऐसे में यह प्रस्तावित व्यापार समझौता रोजगार छिनने का काम करेगा.

किसान सभा ने सोमवार को छत्तीसगढ़ के प्रत्येक जिलों में सभा के इकाईयों द्वारा व्यापार समझौते के खिलाफ आंदोलन किए जाने की जानकारी दी है. प्रधानमंत्री के नाम संबंधित अधिकारी को इस अवसर पर ज्ञापन सौंपे जाने की भी बात कही गई है.

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