क्या रमन राज में ठगे गए पत्रकार?

शेयर करें...

नेशन अलर्ट. राजनांदगांव

सालों पुरानी मांग को लेकर भटकते रहे पत्रकारों को रमन राज के आ$िखरी दौर में भी जो कुछ मिला वो किसी काम का साबित नहीं हुआ. प्रेस क्लब के सदस्यों के लिए आवास उपलब्ध कराने के प्रस्ताव को रमन सरकार अपने पंद्रह सालों में पूरा नहीं कर पाई.

प्रस्ताव के तहत प्रेस क्लब के उन सदस्यों को जिनके पास स्वयं का आवास नहीं है उन्हें आवास उपलब्ध कराए जाने की योजना है. इसे लेकर प्रेस क्लब गृह निर्माण सहकारी समिति का गठन भी किया गया.

समिति ने जमीन आबंटित करने शासन को प्रस्ताव भेजा. यह प्रस्ताव काफी वक्त तक सरकार ने लटका कर रखा. इस चुनाव से ऐन पहले 3 अक्टूबर को शासन ने 10 एकड़ जमीन आबंटित कर दी. लेकिन इसमें भी एक बड़ा पेंच फंस गया.

3 अक्टूबर को आदेश जारी हुआ और 6 अक्टूबर को ही आचार संहिता लागू हो गई. आदेश में सरकार ने जो शर्तें रखीं उससे प्रेस क्लब के भी हाथ-पांव फूल गए हैं.

मांगी 10.50 करोड़ की राशि
रमन सरकार के आखिरी दौर में राजनांदगांव के पत्रकारों को लुभाने के इस आदेश ने समस्याओं को और बढ़ा दिया है.

आदेश में उल्लेखित है कि राजगामी संपदा के भूखंड के आबंटन के लिए समिति को आवासीय प्रयोजन हेतु प्रब्याजी का 60 प्रतिशत जो कि लगभग 9 करोड़ 96 लाख 18 हजार 6 सौ रुपए होता है जमा करने होंगे.

इसके अतिरिक्त सामान्य प्रब्याजी की राशि का 5 प्रतिशत जो कि 49 लाख 80 हजार 930 रुपए है भी जमा करने होंगे. इतनी बड़ी रकम समिति के लिए जमा कर पाना किसी भी सूरत में संभव नहीं है.

नीचे से ऊपर तक भाजपा ही रही
पत्रकारों के लिए आवास मुहैया कराने की यह मांग काफी पुरानी है. इस दौरान प्रदेश में एक ही सरकार रही.. एक ही विधायक जो कि स्वयं मुख्यमंत्री रहे..।

सांसद भी उनके ही दल से चुने गए.. नगर निगम में भी सत्ता पक्ष ही अमूमन निर्वाचित हुई. लेकिन बात नहीं बनी तो पत्रकारों के आवास की.

डॉ. रमन सिंह की सरकार ने इस मसले को आ$िखर में प्राथमिकता दी… और वो भी भारी भरकम शर्तों के साथ. ऐसे में तय है कि रमन राज में पत्रकार ठगे गए.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *