घर वाले पैसे मांगते थे इसलिए भाई को मार डाला
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धमतरी.
गुजराती कॉलोनी स्थित श्याम रेसीडेंसी में किराए के मकान में रहने वाले डॉ. प्रभाकर राव वाघटकर की हत्या की गुत्थी पुलिस ने सुलझा ली है. पुलिस के मुताबिक हत्यारा कोई और नहीं बल्कि चचेरा भाई ही निकला है. उससे रूपए सहित जेवरात, मोबाइल, होंडा डियो, हत्या में प्रयुक्त चाकू बरामद किया गया है.
चिकित्सक की हत्या की रपट सिटी कोतवाली में संजय भोंसले ने दर्ज कराई थी. इस पर अपराध क्रमांक 224/19 में भादंवि की धारा 302, 450 के तहत जुर्म दर्ज कर आईजी आनंद छाबड़ा, एसपी बालाजी राव, एएसपी केपी चंदेल, डीएसपी पंकज पटेल द्वारा सूक्ष्मता से जांच की जा रही थी.
तकनीकी साक्ष्यों से हुआ खुलासा
डॉ. प्रभाकर राव की हत्या के आरोपी का खुलासा तकनीकी साक्ष्यों सहित सीसीटीवी कैमरे के फूटेज से हुआ है. पुलिस के मुताबिक चिकित्सक ने अपने चचेरे भाई विशाल वाघटकर से प्रॉपर्टी में इन्वेस्ट करने के नाम पर साढ़े 12 लाख रूपए लिए थे.
पुलिस के मुताबिक वारदात के दो रोज पहले विशाल द्वारा रूपए वापस मांगे गए. इस पर दोनों भाईयों के बीच कहा सुनी भी हुई थी. कोरबा से दिनांक 22 व 23 मई की दरमियानी रात पहुंचकर विशाल द्वारा अपने चचेरे भाई प्रभाकर की हत्या कर दी गई.
पुलिस कहती है कि वह योजनाबद्ध तरीके से पहले कोरबा से रायपुर पहुंचा. वहां उसने अपने दोस्त से स्कूटी मांगी और चिकित्सक प्रभाकर के घर पहुंचा.
घर में दोनों के बीच एक बार फिर वाद विवाद हुआ तो विशाल ने बैग से चाकू निकालकर संघातिक वार कर दिए.
साक्ष्यों को मिटाकर वह प्रभाकर को बाथरूम में बंद कर बाहर से दरवाजा लगाकर फरार हो गया. अलमारी के लॉक तोड़कर वहां से रूपए व जेवरात निकाल लिए.
23 मई की सुबह घर को बाहर से लॉक कर भखारा होते हुए रायपुर पहुंचा. वहां स्कूटी लौटकार कोरबा पहुंचा और अपनी कार की डिक्की में जेवरात छुपा दिया.
पुलिस को उसने बताया है कि प्रभाकर के घर से प्राप्त रूपयों से उसने सैमसंग कंपनी के एस टेन नामक दो मोबाइल खरीदे. साढ़े तीन लाख रूपए अपनी मां को दिए.
कोरबा में रहने वाली अपनी महिला मित्र को एक लाख रूपए व बिलासपुर में रहने वाली महिला मित्र को तीस हजार रूपए दिए. शेष रकम उसने,घर की अलमारी में छिपा रखी थी.
पुलिस ने उसके पास से नगद 2.81 लाख रूपए, एस टेन के दो मोबाइल सहित सोने चांदी के तकरीबन 15 से 20 लाख रूपए के गहने बरामद किए. पुलिस के मुताबिक साढ़े चार लाख रूपए बैंक में जमा कर दिए गए थे जिसे वैधानिक कार्यवाही कर जब्त किया जाएगा.
भृत्य के पद से सेवानिवृत्त हुए हैं पिता
विशाल के पिता मधुकर राव वाघटकर करीब दो वर्ष पूर्व सीएसईबी से भृत्य के पद से सेवानिवृत्त हुए हैं. सेवानिवृत्ति के समय उन्हें तकरीबन तीस लाख रूपए प्राप्त हुए थे.
आठ लाख रूपए से दो चार पहिया वाहन खरीदने के अलावा विशाल ने तकरीबन दस लाख रूपए ऐशोआराम पर खर्च कर दिए थे. चचेरे भाई डॉ. प्रभाकर को बारह लाख रूपए दिए थे.
वह अपने आप को व्यवसाय में व्यस्त बताता था. उसके घर वाले अमूमन उससे रूपयों की मांग करते थे इसकारण वह तनाव में रहता था. चचेरे भाई डॉ. प्रभाकर के घर वह अक्सर आया करता था.
उसे बेहद अच्छे तरीके से मालूम था कि डॉ. प्रभाकर रूपए कहां और किस तरह रखते थे. इतनी जानकारी होने के बाद उसने डॉ. प्रभाकर की हत्या की साजिश रची और उनका खून कर दिया.
इस मामले को सुलझाने में सिटी कोतवाली में पदस्थ उमेंद टंडन, उपनिरीक्षक विनय निराला, प्रधानारक्षक उत्तम निषाद, विजयपति, प्रदीप सिंह, प्रहलाद बंछोर, आरक्षक कुलदीप सिंह, राजकुमार शुक्ला, युवराज ठाकुर, भूपेश सिन्हा, झमेंद्र राजपूत, सिथलेश पटेल, डुगेश साहू, कमल जोशी, धीरज जड़सेना, मुकेश मिश्रा की महत्वपूर्ण भूमिका रही है.