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श्रमिक नेता बागडे़ ने कहा (पूछा) : रमन से नाँदगाँव को क्या मिला!(?)

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रायपुर.9770656789.

छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा से जुडे़ भीमराव बागडे़ का मानना है कि राज्य को बनें भले ही 25 बरस हो गए लेकिन आज तक किसान मजदूर और जरूरतमँद वर्ग की वो अपेक्षाएँ पूरी नहीं हो पाईं जिन्हें इस अवधि में पूर्ण हो जाना चाहिए था. इसके लिए वो राजनीति और राजनीतिक इच्छा शक्ति को ही जिम्मेदार मानते हैं.

भीमराव बागडे़ उस राजनाँदगाँव जिले से आते हैं जहाँ कोई बडा़ उद्योग नहीं है. पहले कभी बीएनसी मिल (बँगाल नागपुर काटन मिल) हुआ करती थी जिस पर तब ताला लटक गया जब वहाँ के वर्तमान विधायक (विधानसभा अध्यक्ष) डा. रमन सिंह तत्कालीन बाजपेयी सरकार में केंद्रीय उद्योग राज्यमँत्री का जिम्मा सँभाल रहे थे.

पँद्रह साल मुख्यमँत्री रहे लेकिन नाँदगाँव का भला नहीं कर पाए . . .

उल्लेखनीय है कि भाजपा की सरकार में रमन सिंह तकरीबन 25 – 30 साल से केंद्र बिंदु बने रहे हैं. पहले वह केंद्रीय उद्योग राज्यमँत्री रहे थे. फिर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष रहे.

चूँकि उनके नेतृत्व में भाजपा ने राज्य बनने के बाद पहला चुनाव जीता था इस कारण उन्हें मुख्यमँत्री चुन लिया गया. 2003-08, 2008-13, 2013-18 तक लगातार तीन कार्यकाल तक मुख्यमँत्री रहे डा. रमन सिंह भाजपा की सरकार बनाए रखने में अँततः सफल नहीं हो पाए थे.

2018 में भूपेश बघेल के आक्रामक नेतृत्व के सामने रमन सिंह किसी तरह अपनी सीट बचा ले गए थे लेकिन अपनी सरकार की करारी हार को रोक नहीं पाए थे. कभी राज्य की सत्ता में रही भाजपा महज 15 सीट ही जीत पाई थी. इस पर बागडे़ टिप्पणी करते हैं.

वह प्रतिप्रश्न के सुर में कहते हैं कि नाँदगाँव को मुख्यमँत्री डा. रमन सिंह के समय क्या मिला . . . कुछ भी नहीं. जिस बीएनसी मिल की तूती एक समय देश में हुआ करती थी उस पर ताला भी रमन के समय ही लगा न. फिर आप मुख्यमँत्री बनें लेकिन डेढ़ दशक में नाँदगाँव में कोई बडा़ उद्योग नहीं लगवा पाए.

बागडे़ अपने स्वयँ और श्रमिकों के नजरिए से डा. रमन सिंह के मुख्यमँत्री कार्यकाल को नाँदगाँव के हिसाब से असफल बताते हैं. वह उन्हें मुख्यमँत्री के रूप में दस में से महज चार अँक देते हैं.

श्रमिक नेता भीमराव कहते हैं कि ले देकर नाँदगाँव को डा. रमन सिंह के मुख्यमँत्री रहते हुए एक मेडिकल कालेज ही मिल पाया. वह भी कब (तब) खुला जब राज्य में तीन चार मेडिकल कालेज खुल चुके थे. आज उस मेडिकल कालेज को ही खुद उपचार की जरूरत है.

श्रम प्रावधानों में डा. रमन सिंह के मुख्यमँत्री रहते हुए हुए परिवर्तन को भी बागडे़ श्रमिकों मजदूरों पर अन्याय के रूप में देखते हैं. वह कहते हैं कि पहले अपने साथ हुए कथित अन्याय पर कोई भी श्रमिक सीधे श्रम न्यायालय का दरवाज़ा खटखटा लेता था लेकिन रमन के समय हुए परिवर्तन के बाद अब ऐसा नहीं हो पा रहा है.

भीमराव बागडे़ भाजपा को उद्योगपतियों की पार्टी बताते हैं. वह कहते हैं कि राज्य में आज भी गरीब, मजदूर – किसान यदि परेशान है तो उसके लिए भाजपा की नीति रीति ही जिम्मेदार है. गरीब और गरीब हो गया और अमीर की दौलत लगातार बढ़ रही है. राज्य में भ्रष्टाचार का ही बोलबाला है.

व्यक्ति के तौर पर रमन बेहद अच्छे . . .

हालाँकि भीमराव बागडे़ के अनुसार राजनीति से परे रमन सिंह बेहद अच्छे व्यक्ति हैं. उन्होंने कभी किसी से कोई दुराव छिपाव नहीं रखा. रमन सिंह को बेहद मिलनसार, सँघर्षशील, सँगठन की राह पर चलने वाला नेता बताते हुए वह कहते हैं कि रमन जी की यही सकारात्मक बातें उन्हें बाकियों से अलग करती हैं. (क्रमशः)