बघेल से बेहतर जोगी, रमन से नाँदगाँव को क्या मिला ?
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रायपुर/9770656789.
छत्तीसगढ़ के 25 बरस हो गए. इस अवधि में एक पीढी़ जवाँ हो गई. महानदी, शिवनाथ जैसी नदियों का बहुत सा पानी बह गया. गाँव, गरीब, किसान, आदिवासी, पिछडा़ वर्ग की बहुत सारी बातें तब भी होती थी, आज भी होती ही हैं. . . . तो बदला क्या . . ?
यह जानने “नेशन अलर्ट” ने छत्तीसगढ़ की यात्रा करने की सोची. यात्रा अलग अलग माध्यमों से होगी. कहीं पश्चिम से पूरब तो कहीं उत्तर से दक्षिण दिशा की ओर जाने का प्रयास करेंगे.
यात्रा के दौरान विभिन्न समाजों के उन प्रतिष्ठित व्यक्तियों के मन को टटोलने की कोशिश होगी जिनका दिल छत्तीसगढ़ के लिए ही धड़कते रहा है. इनमें किसी भी आयु वर्ग का कोई भी व्यक्ति हो सकता है.
ऐसी ही एक यात्रा दिनाँक 30 अक्तूबर को “नेशन अलर्ट” ने रायपुर से राजनाँदगाँव की ओर ट्रेन से की थी. सरस्वती नगर स्टेशन से ट्रेन सँख्या 78833 (रायपुर तडोकी डेमू) में चढ़कर पावर हाउस पहुँचे.

पावर हाउस स्टेशन आने पर इस ट्रेन को छोड़ दिया. फिर सफर चालू हुआ झारसुगडा़ गोंदिया के बीच चलने वाली मेमू (ट्रेन सँख्या 68862) में.
इस ट्रेन से नाँदगाँव तक पहुँचे. इस दौरान छत्तीसगढ़ की 25 वर्षों की यात्रा कैसी रही यह समझने का प्रयास सहयात्रियों के नजरिए से हमने किया.
“नेशन अलर्ट” को एक प्रमुख श्रमिक नेता के साथ यात्रा करने का अवसर मिला था. श्रमिक नेता ने बातचीत के दौरान प्रथम मुख्यमँत्री स्वर्गीय अजीत प्रमोद कुमार जोगी से लेकर वर्तमान मुख्यमँत्री विष्णुदेव साय पर अपनी बेबाक राय रखी.
वह श्रमिक नेता भूपेश बघेल को छत्तीसगढ़ की सँस्कृति में रचाबसा नेता मानता है लेकिन उनसे बेहतर मुख्यमँत्री जोगीजी को मानता है. इसी तरह वह सायजी को मिलनसार वा अच्छे स्वभाव वाला नेता बताता है लेकिन डा. रमन सिंह के सँदर्भ में प्रतिप्रश्न करता है कि नाँदगाँव (डा. रमन सिंह का निर्वाचन क्षेत्र) को आखिर क्या मिला ?
… तो कौन है वह श्रमिक नेता ? यह जानने “नेशन अलर्ट : ईमानदारी महँगा शौक है !” के पोर्टल(www.nationalert.in) पर निगाह बनाए रखिएगा. पहली कडी़ श्रमिक नेता से हुई बातचीत पर आधारित है.
यहाँ यह स्पष्ट कर देते हैं कि जो भी राय, विचार आदि प्रकाशित होंगे वह सम्मानित व्यक्तियों के ही होंगे. उनसे “नेशन अलर्ट” का सहमत – असहमत होना, न होना इत्तेफाकन हो सकता है, नहीं भी हो सकता है.

