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सलीखेजडी़ : रामदेव जी का छोटा लेकिन चमत्कारी मँदिर !

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नेशन अलर्ट/सारूँडा.

बाबा रामदेव जी को ऐसे ही लोकदेवता नहीं माना जाता है. लाखों चमत्कारों के रचियता की महिमा शहरों से लेकर गाँवों तक में है. ऐसे ही एक गाँव का नाम सलीखेजडी़ है जहाँ छोटा सा लेकिन एक बेहद चमत्कारी मँदिर स्थित है.

नोखा – पाँचू मार्ग पर यह जगह आती है. सारूँडा़ से तकरीबन एक किमी दूर पाँचू की ओर जाते समय सड़क किनारे यह चमत्कारी मँदिर पड़ता है.

इस मँदिर के चमत्कारों की चर्चा के पहले इसके इतिहास की बात कर ली जाए. इसका इतिहास ज्यादा पुराना नहीं है. महज 70-72 साल पुराना यह मँदिर बताया जाता है.

हालाँकि इसका वर्तमान स्वरूप महज 23-24 बरस पुराना होगा. इसके इस स्वरूप को लेकर जो चर्चा बाबा की दशमीं पर लगे छोटे से मेले के दौरान पता चली उसने बाबा पर आस्था को और प्रबल ही किया है.

चर्मरोग ठीक हुआ, जोत आई . . .

फिलहाल, मँदिर की सेवा, पूजापाठ की जिम्मेदारी मेघारामजी के पास है. उनके सहित पवन सेवग बताते हैं कि भोजास निवासी लुँबाराम को चर्मरोग से छुटकारा इसी मँदिर के आशीर्वाद से मिला था.

इसी तरह बिजाराम की आँख की जोत आई. पहले उन्हें कुछ भी दिखाई नहीं देता था लेकिन जब मँदिर की फेरी उन्होंने लगाई तो अकस्मात दिखाई देने लगा. ऐसे और भी किस्से बताए जाते हैं.

बहरहाल, जेठारामजी सुतार नाम के ठेकेदार ने इस मँदिर को यह नया स्वरूप दिया है. वह सारूँडा़ से बाहर निकल कर कामकाज में लगे हुए हैं. मँदिर में उनकी आस्था इतनी है कि उन्होंने अपने खर्च पर ही इसे तैयार कराया है.