कोल ब्लॉक में एमडीओ लागू कर घिरी मोदी सरकार
रायपुर।
छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन की मानें तो कोल ब्लॉक मामले में मोदी सरकार घिर चुकी है. आरोप है कि निजी कंपनी को लाभान्वित करने कोल ब्लॉक में एमडीओ लागू किया गया. माईन डेवलपर कम ऑपरेटर (एमडीओ) के नाम से लागू हुई योजना में नीलामी रद्द कर 61 कोल ब्लॉक का आवंटन हुआ. सरकारी कंपनी को आबंटित इन खदानों को निजी हाथों में क्यूं कर सौंपा गया यदि इसकी जांच होती है तो देश का बहुत बड़ा घोटाला सामने आएगा.
कोल मंत्रालय ने कहा है कि एमडीओ एक कानूनी प्रक्रिया है और इससे किसी तरह का कोई घोटाला नहीं होता है. कोयला मंत्रालय ने अपनी सफाई में कहा है कि केंद्र सरकार ने एक पारदर्शी बोली प्रक्रिया के जरिये एमओडी को सहभागी बनाने के लिये केंद्र सरकार व सरकारी कंपनी के बीच एक अनुबंध समझौते के संबंध में निर्देश जारी किये हैं. ऐसी स्थिति में किसी भी तथाकथित घोटाले की कोई संभावना तक नहीं है.
शुक्ला ने किया पलटवार
कोयला मंत्रालय के इस जवाब को लेकर छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन के आलोक शुक्ला ने पलटवार करते हुये कहा है कि यदि प्रक्रिया पारदर्शी हैं तो एमडीओ गोपनीय दस्तावेज कैसे है? आलोक शुक्ला ने कहा है कि अडानी जैसी कंपनी जिसे नीलामी में कोई सफलता नहीं मिली, वह एमडीओ के रास्ते 150 मिलियन टन क्षमता के खनन अनुबंध की सफलता के दावे कर रही है.
आलोक शुक्ला ने कहा कि एमडीओ अनुबंध ही सुप्रीम कोर्ट के निर्णय की मूल भावना के विपरीत हैं. उन्होंने कहा कि कोयला मंत्रालय ने कहा है कि कमर्शियल माइनिंग के लिए नीलामी हेतु अभी नियम बनाए जाने हैं, उसके बाद ही नीलामी होगी, यदि ऐसा हैं तो मदनपुर साउथ कोल ब्लॉक कामर्शियल अर्थात मुनाफे के लिए आवंटन का रास्ता क्यों?
(कल इस खबर के दूसरे हिस्से में देखें : एमडीओ प्रक्रिया से निजी कंपनियों को मनमाने खदानों के मिलने के अलावा कई अन्य लाभ भी हैं.)