पोस्टमास्टर निकला चार सौ बीसी का मास्टर
नेशन अलर्ट/बालोद.
94 हजार 500 रूपए के गबन के आरोप में पोस्टमास्टर को गिरफ्तार कर लिया गया है। उन पर गैर जमानती अपराध के मामले में भारतीय दंड विधान सहिंता की धारा 409 और 420 के तहत अपराध दर्ज कर विवेचना की जा रही है।मामला ग्राम दर्रा स्थित पोस्टऑफिस का है। दर्रा का ऑफिस गुरूर ब्लॉक के अंतर्गत आता है। डाक विभाग के उप संभागीय निरीक्षक विजय सोनी ने गुरूर थाने में दर्रा के तत्कालीन पोस्टमास्टर विजयलाल सिन्हा (60) के खिलाफ रपट दर्ज कराई है। सिन्हा को ग्राम सरबदा का निवासी बताया जाता है।
क्या है अपराध, क्या है सजा
ग्राम दर्रा के डाकघर की शाखा के खाताधारकों ने लिखित शिकायत की थी कि वहां गड़बड़ी की जा रही है। विभाग ने इसकी जांच कराई तो पासबुक व शासकीय लेजर रिकार्ड का मिलान नहीं हो पाया। वीणा रामकुमार साहू ने चार हजार रूपए जमा कराए थे लेकिन इसका इंद्राज नहीं था। यही हाल हेमेश दुलेश्वरी साहू के दो हजार रूपए के मामले में पाया गया।
चंचल डुलेश्वरी साहू के दो हजार, देवांशी अमरिका के दो हजार, पूर्वी मिश्रीलाल पटेल के एक हजार, हर्षिता श्रवण के दो हजार, रश्मि वर्षा साहू के एक हजार, लक्ष्मी जयराम के तीन हजार, भूमिका पेमिन के पन्द्रह सौ, युक्ति पेमिन बाई के एक हजार, प्रेमा बेदराम साहू के पन्द्रह सौ का शासकीय रिकार्ड में मिलान नहीं हो पाया।
ये सारे खाते सुकन्या समृधियोजना से जुड़े हुए थे। इसी योजना के खाताधारक रेश्मा बेदराम साहू के पन्द्रह सौ रूपए, सुमिता त्रिलोकी पटेल के एक हजार, मुस्कान चेतनराम निर्मलकर के एक हजार, देवश्री कपिलराम सिन्हा के दो हजार और दुर्गेश नंदनी टेकेश्वर के दस हजार रूपए का हिसाब किताब नहीं मिल पाया।
विभागीय जांच के बाद जब शिकायत सहीं पाई गई तो इसकी सूचना दुर्ग संभाग के सूचना प्रवर अधिक्षक डाकघर सिविक सेंटर भिलाई को दी गई। वहां से मिले निर्देश के मुताबिक गुरूर थाने में नामजद रपट दर्ज कराई गई। इस पर पुलिस ने आरोपी पोस्टमास्टर विजयलाल सिन्हा को गिरफ्तार किया है। उन पर जो धारा लगाई गई है वह 409 और 420 है।
भादंवि की धारा 409 के अनुसार जो कोई भी लोकसेवक के नाते अथवा बैंक कर्मचारी, व्यापारी, फैक्टर, दलाल, अटर्नी या अभिकर्ता के रूप में किसी भी प्रकार की संपत्ति से जुड़ा हो या संपत्ति पर कोई प्रभुत्व होते हुए उस संपत्ति के विषय में विश्वास का आपराधिक हनन करता है तो उसे किसी एक अवधि के लिए कारावास की सजा जिसे दस वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है से दंडित करने का प्रावधान है। इसमें आर्थिक दंड से भी दंडित किया जा सकता है। इस अपराध को समझौता करने योग्य नहीं माना गया है। यह एक गैर जमानती अपराध है। संज्ञेय अपराध है। प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेड द्वारा इस पर विचार किया जा सकता है।
इसी तरह धारा 420 का अपराध गैर जमानती व संज्ञेय अपराध है। किसी भी न्यायाधीश द्वारा इस पर विचार किया जा सकता है। न्यायालय की अनुमति से आरोपी व्यक्ति पीडि़त व्यक्ति से समझौता कर सकता है। छल करना और बेईमानी से बहुमूल्य वस्तुओं अथवा संपत्ति में परिवर्तन करने या बनाने या फिर नष्ट करने के लिए प्रेरित करने के मामले में इस धारा का उपयोग होता है। इसमें सात वर्ष तक की सजा दी जा सकती है और जुर्माने का भी प्रावधान रखा गया है।