फाइलेरिया : बालोद, जांजगीर के आंकड़े चिंताजनक
नेशन अलर्ट/रायपुर.
फाइलेरिया नियंत्रण कार्यक्रम के तहत दवा बांटने के मामले में बालोद और जांजगीर के आंकड़े बेहद चिंताजनक हैं। 22 से 28 अगस्त के दौरान दवा वितरण सप्ताह मनाया गया जिसमें बालोद में महज 8.29 और जांजगीर में 6.11 प्रतिशत लोगों को ही दवा बांटी जा सकी। दोनों जिले की स्थिति को देखते हुए प्रदेश के सभी जिलों के सीएमएचओ को नोटिस जारी कर 15 सितंबर तक टारगेट पूरा करने का रिवाइस टारगेट दिया गया है।
चिकित्सा विशेषज्ञ बताते हैं कि फाइलेरिया की चपेट में आने के बाद पैर हाथी की तरह मोटे होने लगते हैं। पैर के अलावा इस बीमारी की चपेट में आए पुरूषों के अंडकोश व महिलाओं के स्तन बेतरतीब सीमा में बढ़ने लगते हैं। इससे बचाव की कोई गोली खुले बाजार में उपलब्ध है भी नहीं।
छत्तीसगढ़ का हेल्थ डिपार्टमेंट बताता है कि इस बार लक्ष्य से बहुत पीछे चलते हुए तकरीबन चार जिलों में आशा के विपरीत नतीजे देखने को मिले हैं। इसे चिंताजनक माना जा रहा है। जैसे कि बालोद जिले में 20 लाख 27 हजार 713 संभावित मरीजों को दवा बांटी जानी चाहिए थी जबकि 1 लाख 23 हजार 845 मरीजों को ही दवा का वितरण हो पाया।
आंकड़े बताते हैं कि यही स्थिति बालोद जिले की हुई है। बालोद में लक्ष्य निर्धारित था कि 9 लाख 23 हजार 848 को तय समय में दवा का वितरण किया जाएगा जबकि उक्त अवधि में महज 8.29 फीसद लोगों तक ही दवा पहुंचाई जा सकी। जिले के 76 हजार 581 मरीज दवा पा सके हैं।
बेमेतरा जिले में जहां 11 लाख 80 हजार 967 मरीजों तक पहुंचना था वहां के 1 लाख 14 हजार 554 जो कि प्रतिशत में 9.73 होता है तक ही पहुंचाई जा सकी। हालांकि दुर्ग में लक्ष्य का 59.27 फीसद काम हो चुका है लेकिन यहां पर भी 40 फीसदी लोगों तक दवा नहीं पहुंचाई जा सकी है। चारों जिलों को मिलाकर सिर्फ 24.4 फीसदी लोगों तक ही फाइलेरिया की दवा बांटी जा सकी है।
चिंताजनक हालात को देखते ही स्वास्थ्य मंत्रालय ने 15 सितंबर तक का नया टाइम पीरियड तय कर प्रदेश के सभी सीएमएचओ को लक्ष्य पूरा करने का निर्देश दिया गया है। स्वास्थ्य के जानकार बताते हैं कि आंध्रप्रदेश सहित केरल और उत्तरप्रदेश की बहुत सी आबादी छत्तीसगढ़ में रहती है। यह आबादी इसकारण इस बीमारी से ज्यादा ग्रसित हो सकती है क्यूंकि वहां के लोगों के वर्म सुस्त अवस्था में होते हैं।
फाइलेरिया दरअसल, मच्छर काटने से होने वाला रोग है। क्यूलेक्स नाम का मच्छर यदि काट ले तो बीमारी को एक मरीज से दूसरी मरीज में पहुंचा सकता है। इसे रोकने के लिए सावधानी के साथ ही दवा लेना निहायत जरूरी है। यदि दवा नहीं ली गई तो इसका कोई इलाज नहीं है। कृमि शरीर के अंदर अपने आप को विकसित करने लगेंगे और जब इनकी संख्या बहुतायत में हो जाएगी तो ली गई दवा सिर्फ इसके दुष्प्रभाव को कम कर सकेगी, खत्म नहीं कर पाएगी।