शाबाश अजय, इसी आक्रामकता की दरकार थी
नेशन अलर्ट/रायपुर.
प्रदेश भाजपा के मुख्य प्रवक्ता बनते ही अजय चंद्राकर एक ऐसी पारी खेल रहे हैं जिस पारी की दरकार उनकी पार्टी को लंबे समय से थी। अजय के आक्रामक रवैये से भाजपा आने वाले दिनों में गदगद हो जाएगी।
प्रदेश में भाजपा की चाल, चरित्र और चेहरा बदला-बदला सा नजर आने लगा है। दरअसल, भाजपा की राष्ट्रीय इकाई ने प्रदेश में नए क्षेत्रीय संगठन मंत्री अजय जामवाल की नियुक्ति की। वैसे वह छत्तीसगढ़-मध्यप्रदेश के संगठन का दायित्व संभाल रहे हैं लेकिन उनकी बैठक छत्तीसगढ़ में तय की गई है।
पिछली मर्तबा प्रदेश के पहले दौरे के बाद उन्होंने सबसे पहले जो रपट पार्टी की राष्ट्रीय इकाई को सौंपी थी वह भाजपा की मीडिया सेल से जुड़ी थी। इस रपट का अध्ययन करते ही भाजपा की राष्ट्रीय इकाई ने पूर्व मंत्री व कुरूद विधायक अजय चंद्राकर को पार्टी का प्रमुख प्रवक्ता नियुक्त कर दिया था। चंद्राकर ने अपनी नियुक्ति के तुरंत बाद दो ऐसे मसले पर भाजपा को प्रसन्न व कांग्रेस को चिंता में डाल दिया है जो मसले इन दिनों छत्तीसगढ़ में प्रभावी माने जा रहे हैं।
कांग्रेस की घेराबंदी
ऐसा नहीं है कि अजय पहले आक्रामक नहीं थे। लेकिन उस समय उनके पास पार्टी फोरम से कही गई बात रखने का दायित्व नहीं था। चूंकि अब वह दायित्व भी उनके पास है इसकारण उनकी राय पार्टी की राय मानी जाएगी। उन्होंने कांग्रेस को घेरने की जो रणनीति तैयार की है वह आने वाले दिनों में तेज होती जाएगी।
पहले तो उन्होंने मुफ्त की रेवड़ी मुद्दे पर कांग्रेस को घेरते हुए प्रदेश के मुखिया को ही बहस के लिए चुनौती दे डाली और समय मांग लिया। देश के सर्वोच्च न्यायालय से लेकर राजनीतिक हल्कों में इन दिनों मुफ्त के रेवडियों पर खुलकर बहस हो रही है। माननीय मुख्यमंत्री जी से इसी विषय पर बहस के लिए समय मांगते हुए चंद्राकर ने कहा कि प्रदेश की कौन सी योजना जनकल्याणकारी है और कौन सी रेवडि़यां, यदि माननीय मुख्यमंत्री जी समय दें तो इस पर बहस हो जाए।
न्यायिक जांच की मांग
इधर ये मसला थमा भी नहीं था कि कुरूद के विधायक अजय चंद्राकर को कांग्रेस को घेरने का दूसरा अवसर एक संदिग्ध मौत के मामले में मिला। मौत भी ऐसे वैसे की नहीं बल्कि प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री के नजदीकी रिश्तेदार वीरभद्र सिंह ऊर्फ सचिन बाबा की… इस पर चंद्राकर ने हाईकोर्ट के जज से न्यायिक जांच करवाने की मांग मुख्यमंत्री से कर दी।
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उल्लेखनीय है कि 11 अगस्त की देर शाम दुर्ग-अंबिकापुर ट्रेन से अंबिकापुर जाने के लिए निकले सचिन बाबा का शव बेलगहना के पास रेल्वे ट्रैक किनारे मिला था। यह मौत इसलिए संदिग्ध मानी जा रही है कि यह वही सचिन बाबा हैं जिन्हें स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव पर अनर्गल आरोप लगाने वाले कांग्रेस विधायक बृहस्पति सिंह से हुए विवाद से जोड़कर देखा जा रहा है।
ज्ञात हो कि बृहस्पति सिंह ने स्वास्थ्य मंत्री पर आरोप लगाया था कि वह उनकी हत्या करवाना चाहते हैं। चूंकि मामला कांग्रेस के एक विधायक द्वारा अपनी ही सरकार के एक मंत्री पर लगाए गए गंभीर आरोप से जुड़ा था इसकारण टीएस सिंहदेव ने विधानसभा सत्र यह कहते हुए छोड़ दिया था कि जब तक सरकार स्थिति स्पष्ट नहीं करती है तब तक वे सदन में नहीं आएंगे।
अगले ही दिन गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू ने सरकारी वक्तव्य सदन में पढ़ा और स्वास्थ्य मंत्री को क्लीन चिट दे दी। विधायक बृहस्पति सिंह ने भी स्वास्थ्य मंत्री पर लगाए गए आरोप पर खेद व्यक्त कर दिया था। तभी वीरभद्र सिंह चर्चा में आए थे। दरअसल, उन्हें तीन अन्य साथियों के साथ गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया था। फिलहाल वह जमानत पर थे। अंबिकापुर कोर्ट में यह प्रकरण अभी भी चल रहा है। इसी दौरान उनकी लाश मिल गई।
इस पर अजय चंद्राकर ने जो न्यायिक जांच की मांग की है वह कांग्रेस को घेरने का प्रयास माना जा सकता है। उन्होंने घटनाक्रम को संदिग्ध माना है। राजनीतिक हत्या की आशंका जाहिर की है। पूर्व में कांग्रेस विधायक पर हुए हमले के मामले में वे गिरफ्तार हुए थे और उसी सिलसिले में पेशी पर जाने अंबिकापुर के लिए निकले थे। अजय मानते हैं कि पेशी पर जाने की जानकारी गोपनीय नहीं हो सकती। यह संदिग्ध परिस्थिति में हुई मौत है।
बहरहाल, पहले रेवड़ी पर बहस और अब संदिग्ध मौत की न्यायिक जांच की मांग कर अजय चंद्राकर ने कांग्रेस के सामने एक लकीर तो खींच ही दी है। अब कांग्रेस उससे बड़ी लकीर खींच पाती है या असफल हो जाती है यह आने वाला समय बताएगा लेकिन इतना तय है कि अजय चंद्राकर के रवैये से उनकी पार्टी प्रसन्न हुए जा रही है।