लंबी पारी खेलनी है तो शिकायती थानेदारों से बचना होगा

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आईपीएस डी श्रवण ने जितेंद्र शुक्ला से लिया एसपी का प्रभार

नेशन अलर्ट / 97706 56789

राजनांदगांव.

आईपीएस डी श्रवण ने आज यहां अपने समकक्ष जितेंद्र शुक्ला से पुलिस अधीक्षक ( एसपी ) का पदभार ले लिया. गौरतलब तथ्य यह है कि यदि श्रवण को जिले में लंबी पारी खेलनी है तो उन्हें शिकायती थानेदारों से बचना होगा जिनकी हाल फिलहाल संख्या बढी़ है बल्कि बडी़ चर्चा भी है.

उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ बनने के बाद से राजनांदगांव जिले में इक्का दुक्का आईपीएस को छोड़ दिया जाए तो कोई अन्य अधिकारी पैर जमा कर नहीं रह पाया है.

फिर चाहे कारण कुछ भी हो . . . लेकिन छत्तीसगढ़ बनने के बाद पवन देव से लेकर जितेंद्र शुक्ला तक या तो बडे़ प्रभार मिलने के चलते हटे या फिर शिकवा शिकायत को लेकर हटाए गए.

आईपीएस जितेंद्र शुक्ला दूसरी मर्तबा शिकवा शिकायत के शिकार हो गए हैं. पहले वह सुकमा से आबकारी मंत्री की नाराज़गी की वजह से हटाए गए थे और अब उन्हें राजनांदगांव से रवानगी लेनी पडी़ है.

ऐसा नहीं है कि आईपीएस शुक्ला इस सूची में अकेले हैं. उनके पहले भी आईपीएस सरकार की “ईच्छा” पूरी नहीं कर पाने के चलते अपने अल्प कार्यकाल के बाद हटा दिए गए.

जैसे कि आईपीएस कमलोचन कश्यप ( 4.8.2018 से 4.11.2019 ) व आईपीएस बीएस ध्रुव ( 5.11.2019 से 25.3.2020 ) आईपीएस शुक्ला के पहले ही पदस्थ थे.

चलिए कश्यप की राजनांदगांव से रवानगी तो राज्य में हुए सत्ता परिवर्तन के चलते सही ठहराई भी जा सकती है लेकिन आईपीएस ध्रुव जिन्हें राजनांदगांव में महज चार माह 20 दिन रहने मिला क्यूं कर हटाए गए?

ध्रुव के बाद आए आईपीएस जितेंद्र शुक्ला ने भले ही अपने कामों से जनता जनार्दन के मन में अपनी जगह बना ली थी लेकिन वह सरकार की पसंद नहीं रह पाए. तभी तो उन्हें भी महज चार माह 16 दिनों में यहां से रवानगी डालनी पडी़.

आईपीएस ध्रुव व आईपीएस शुक्ला के संबंध में जो एक चर्चा आम जनमानस के बीच सुनाई दे रही है वह चौंकाने वाली है. इस तरह की चर्चा में थानेदारों को कुछ ज्यादा वजनदार बताया जा रहा है.

कहा तो यह तक यह तक जाता है कि दो-तीन थानेदार ऐसे हैं जोकि राजनांदगांव जिले को चला रहे हैं. इनमें से एक धुव्र से नाराज बताए जाते थे जबकि दो अन्य के नाम आईपीएस शुक्ला के स्थानांतरण में चर्चा बटोर रहे हैं.

6 वें जिले में छह तरह की तरह की परेशान

उल्लेखनीय है कि आईपीएस श्रवण के लिए राजनांदगांव छठवां जिला होगा. इसके पहले वह क्रमशः कोंडागांव, सुकमा, कोरबा, बस्तर, मुंगेली में पदस्थ रह चुके हैं. मुंगेली से राजनांदगांव आए श्रवण के लिए यहां छह तरीके की समस्या प्रमुख है.

चूंकि राजनांदगांव निवृत्तमान मुख्यमंत्री का राजनीतिक रुप से गृहजिला है इस कारण उन्हें विपक्ष के तेवर झेलने पडे़ंगे. इसके अलावा नक्सली समस्या बडी़ चुनौती है.

इधर, वाईट कालर क्राइम में राजनांदगांव बडी़ तेजी से उभर रहा है. अपराधिक गतिविधियां बढ़ रही है. इससे भी उन्हें दो चार होना पडे़गा.

इन समस्याओं के अलावा दो और समस्याएं ऐसी हैं जोकि विभाग से जुडी़ हुई हैं जोकि असर दिखा रही हैं. अनुशासनहीनता और थानेदारों का बढ़ता प्रभाव उन्हें झेलना पडे़गा.

बहरहाल, 2008 बैच के आईपीएस श्रवण ने आज यहां एसपी का प्रभार शुक्ला से ग्रहण किया. पुलिस अधीक्षक कार्यालय में गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया. दोनों अधिकारियों के मध्य जिले की पुलिसिंग को लेकर विचारों का आदान प्रदान भी हुआ है.

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