भाजपा राज के कुख्यात कल्लूरी और सहयोगी पुलिस वालों के पुनर्वास की कांग्रेसी कोशिश
• मानवाधिकार आयोग के फैसले का माकपा ने किया स्वागत
• कहा, नक्सलवाद के नाम पर पुलिस प्रताड़ित सभी लोगों को न्याय दे कांग्रेस सरकार
• दोषी पुलिस अधिकारियों पर हो कार्यवाही
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रायपुर.
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने वर्ष 2016 में नंदिनी सुंदर व अन्य पांच के मामले में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के फैसले का स्वागत किया है. माकपा ने तत्कालीन बस्तर आईजी एसआरपी कल्लूरी व सहयोगी पुलिस वालों को बचाने का आरोप कांग्रेस पर मढा है.
उल्लेखनीय है कि बस्तर पुलिस द्वारा झूठा मुकदमा दर्ज कर उन्हें प्रताड़ित किए जाने के खिलाफ सभी पीड़ितों को एक-एक लाख रुपए मुआवजा देने के का निर्देश राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने दिया है. इस संबंध में उसने छत्तीसगढ़ के मुख्य सचिव को पत्र भी लिखा है.
इस आदेश को नजीर मानते हुए राज्य में नक्सलवाद से निपटने के नाम पर पुलिस द्वारा प्रताड़ित सभी लोगों, जिनमें अधिकांश आदिवासी हैं, के साथ न्याय करने की अपील माकपा ने पुन: कांग्रेस सरकार से की है.
आज यहां जारी एक बयान में माकपा राज्य सचिव संजय पराते ने कहा है कि मानवाधिकार आयोग के इस फैसले से स्पष्ट है कि पिछली भाजपा सरकार में किस बर्बर तरीके से आदिवासियों के मानवाधिकारों को कुचला गया था.
पराते के अनुसार संघी गिरोह की विचारधारा व भाजपा की नीतियों से असहमत जिन मानवाधिकार और राजनीतिक कार्यकर्ताओं व बुद्धिजीवियों ने बस्तर की सच्चाई को सामने लाने की कोशिश की, उन्हें राजनीतिक निशाने पर रखकर प्रताड़ित किया गया था. उन पर ‘देशद्रोही’ का ठप्पा लगाया गया था.
उन्होंने कहा कि बस्तर की प्राकृतिक संपदा को लूटने के लिए न केवल आदिवासियों पर नक्सली होने का आरोप मढ़ा गया, न केवल उनके घर-गांव जलाए गए, उनके साथ बलात्कार भी किया गया और हत्या भी की गई.
मानव अधिकार आयोग, सीबीआई की जांच रिपोर्ट, अनुसूचित जाति-जनजाति की आयोग की रिपोर्ट — ये सभी रिपोर्टें आदिवासियों पर होने वाले बर्बर अत्याचार का पर्दाफाश करती हैं.
सलवा जुडूम के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का भी सार यही था कि आदिवासी भूमि में दबे खजाने को लूटने और कॉर्पोरेट मुनाफे के लिए ही यह सारा प्रपंच रचा गया है.
चूंकि ये कुकृत्य भाजपा सरकार की सहमति से, उसकी जानकारी और मौखिक निर्देश से किये गए थे, संघ और भाजपा को अपनी इन हरकतों के लिए आदिवासियों से माफी मांगनी चाहिए.
अभी भी अत्याचार जारी
माकपा नेता ने कहा कि राज्य की सत्ता में कांग्रेस के आने के बाद भी बस्तर में आदिवासियों पर हो रहे बर्बर अत्याचार में कोई कमी नहीं आई है. आज भी हजारों निर्दोष आदिवासी जेलों में सड़ रहे है.
वे कहते हैं कि गांवों में उन्हें फर्जी मुठभेड़ों में मारा जा रहा है. उनकी मां-बेटियों को बलात्कार का शिकार बनाया जा रहा है. दुर्भाग्य की बात है कि पिछली भाजपा सरकार की तरह वर्तमान कांग्रेस सरकार भी इन अत्याचारों के लिए जिम्मेदार पुलिस अधिकारियों पर कोई कार्रवाई करने के लिए तैयार नहीं है.
बकौल पराते बल्कि भाजपा राज के कुख्यात बस्तर आईजी एसआरपी कल्लूरी व अन्य पुलिस अधिकारियों को बचाने व उनका पुनर्वास करने की ही कांग्रेस सरकार ने कोशिश की है.
माकपा ने मांग की है कि राज्य में नक्सली मामलों में गिरफ्तार सभी लोगों को तुरंत रिहा किया जाए, आदिवासी अत्याचारों के लिए विभिन्न आयोगों द्वारा जिम्मेदार ठहराए गए पुलिस अधिकारियों पर मुकदमा कायम कर उन्हें उल्लेखनीय सजा दी जाए.
इस मामले को नजीर मानते हुए नक्सलवाद के नाम पर पुलिस प्रताड़ना के शिकार सभी लोगों को व न्यायालयों से बरी सभी आरोपियों को एक-एक लाख रुपए का मुआवजा देने की मांग पराते माकपा की ओर से करते हैं.