वो 90 मिनट जिसमें टूट गया भरोसा

शेयर करें...

नेशन अलर्ट/9770656789
www.nationalert.in
बलौदा बाजार। सतनामी समुदाय के प्रदर्शन के दौरान तकरीबन 90 मिनट तक जो कुछ हुआ उससे सरकार, प्रशासन, पुलिस व प्रदर्शनकारियों पर से भरोसा उठ गया है। सोमवार को प्रदर्शन के नाम पर मचे उपद्रव में कलेक्टोरेट को आग के हवाले करने के अलावा 75 बाईक, 20 कार और 2 दमकल वाहन भी फूंक दिए गए। अब मुख्यमंत्री बेहद नाराज बताए जा रहे हैं। संभवतः इस नाराजगी की कीमत बलौदा बाजार कलेक्टर व एसपी को आने वाले दिनों में चुकानी पड़ सकती है।

मुख्यमंत्री ने आज अपने सरकारी बंगले में एक बैठक बुलायी थी जिसमें गृहमंत्री विजय शर्मा सहित अन्य लोग भी शामिल हुए थे। मुख्यमंत्री के एक सवाल का जवाब किसी के पास नहीं था। मुख्यमंत्री ने पूछा था कि इतनी बड़ी घटना की जानकारी आप तक कैसे नहीं पहुंची? बैकप प्लान क्यों तैयार नहीं रखा गया था?

150 हिरासत में

राज्य के गृहमंत्री विजय शर्मा ने सोम-मंगलवार मध्यरात्रि को बलौदाबाजार कलेक्टोरेट पहुंचकर उपद्रव की जानकारी ली थी। उस समय तक मुख्यमंत्री उपद्रवियों की गिरफ्तारी के निर्देश दे चुके थे। तकरीबन 2 दर्जन से अधिक अधिकारियों व पुलिस के लोगों को कल के प्रदर्शन में घायल बताया गया है।

अब जाकर 16 जून तक जिले में धारा 144 लागू की गई है। मामले की गंभीरता इसी से समझी जा सकती है कि मुख्य सचिव व पुलिस महानिदेशक को मुख्यमंत्री तलब करते हैं। दोनों के निर्देश पर संभागायुक्त और पुलिस महानिरीक्षक बलौदा बाजार रपट तैयार करने भेजे जाते हैं।

जिले के एसपी सदानंद कुमार का ये कहना आश्चर्यजनक लगता है कि प्रदर्शनकारियों के शांतिपूर्वक प्रदर्शन के आस्वासन के बावजूद भीड़ अचानक बेकाबू हो गई और उपद्रव चालू हो गया। समाज की तरफ से सीबीआई जांच की मांग की जा रही थी जिस पर क्यों और कैसे ध्यान नहीं दिया गया इस पर भी सवाल उठ रहे हैं।

उल्लेखनीय है कि सतनामी समुदाय के धार्मिक स्थल गिरौधपुरी धाम से लगभग 5 किमी. दूर बाघिनगुफा में लगे धार्मिक चिन्ह जैतखाम को क्षतिग्रस्त कर दिया गया था। तब से समुदाय के लोग नाराज थे और वह प्रदर्शन किए जा रहे थे।

16 मई के प्रदर्शन के बाद 17 मई को पुलिस ने मामला दर्ज किया था। 19 मई को मानाकोनी बस्ती में आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग को लेकर जब चक्काजाम किया गया तब पुलिस ने बिहार निवासी तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया गया था।

20 मई को पुनः समाज की बैठक हुई। समाज गलत लोगों की गिरफ्तारी को लेकर आगबबूला हो गया। इसी दौरान आंदोलन की रणनीति तैयार की गई। 21 मई को प्रशासन व पुलिस को ज्ञापन भी सौंपा गया था।

अंदर ही अंदर समाज के लोग उद्धेलित हो रहे थे तब जाकर कलेक्टर केएल चौहान ने अपने अधिकारियों के अतिरिक्त पुलिस के अफसरों व समाज के लोगों के साथ शांति समिति की बैठक की थी। 9 जून को प्रदेश के गृहमंत्री ने न्यायिक जांच के निर्देश दिए।

इसी दिन कलेक्टोरेट के नजदीक दशहरा मैदान में 10 जून को एक दिवसीय प्रदर्शन की अनुमति समाज के लोगों ने प्रशासन से मांगी थी। प्रशासन ने अनुमति दे दी और यह बवाल मच गया। पुलिस व प्रशासन इस बात पर भरोसा कर रही थी कि सामान्य प्रदर्शन होगा लेकिन ऐसा उपद्रव मचा की बलौदा बाजार राष्ट्रीय मीडिया में चर्चा का विषय बन गया।

क्या पुलिस का खुफिया तंत्र नाकाम हुआ

मुख्य सवाल इस बात का है कि पुलिस को इतनी बड़ी भीड़ और उसके अंदर की नाराजगी की खबर क्यों नहीं लगी? क्या पुलिस का खुफिया तंत्र इस मामले में पूरी तरह नाकाम साबित हुआ है? मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की नाराजगी तो इसी तरह का कोई संकेत देती नजर आ रही है। आने वाले प्रशासनिक तबादले में इस नाराजगी का असर दिखाई जरूर पड़ेगा।

मामला किस हद तक गंभीर है यह इस बात से समझा जा सकता है कि आज मुख्यमंत्री को जशपुर जिले के दौरे पर जाना था लेकिन उन्होंने अपने सारे कार्यक्रम रद्द कर दिए। इस प्रकरण को लेकर अपने निवास में उन्होंने उच्च स्तरीय बैठक करना ज्यादा जरूरी समझा। गृहमंत्री शर्मा के अतिरिक्त उप मुख्यमंत्री अरूण साव के अलावा सतनामी समाज के महत्वपूर्ण पदाधिकारी मुख्यमंत्री की उच्चस्तरीय बैठक में शामिल हुए थे।

इधर समाज से जुड़े पूर्व मंत्री शिव कुमार डहरिया इसे सरकार के इंटेलिजेंस फेलियर का मामला बताते हैं। उन्होंने कहा कि सतनामी समाज के लोग हमेशा से प्रताड़ित हुए हैं। जैतखाम काटने पर समाज के लोगों ने जो न्यायिक जांच की मांग की थी उस पर सही समय पर उचित कार्यवाही नहीं होने से मामला बिगड़ता चले गया। राज्य बनने के बाद इस तरह की पहली घटना को उन्होंने शर्मनाक बताया है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *