कांग्रेस को समर्थन, लेकिन समर्पण नहीं : माकपा
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कोरबा.
कोरबा नगर निगम की आगामी समय मे होने वाली सामान्य सभा की बैठक और बजट प्रस्तावों के लिए माकपा ने अपने तीखे तेवरों का इज़हार कर दिया है।
पार्टी ने कोरबा निगम क्षेत्र की आम जनता की समस्याओं पर केंद्रित 13 सूत्रीय मांगपत्र महापौर को थमा दिया है। इन जन मांगों की पूर्ति के लिए बजट में प्रावधान करने की मांग की है।
इन मांगों में गरीबों पर बकाया सभी प्रकार के करों को माफ करने, लघु व मध्यम व्यापारियों से बकाया कर वसूली स्थगित करने, बेरोजगारों को रोजगार देने निगम क्षेत्र में अवसर बढ़ाने जैसी मांगे प्रमुख है।
इन पर भी की मांग
इसके अलावा ठेका सफाई कर्मियों को स्थायी करने, राजस्व और वन भूमि पर काबिज गरीबों को पट्टे देने, बांकी मोंगरा जोन के पिछड़ेपन को दूर करने स्टेडियम और गार्डन निर्माण की मांग की गई है।
इसी तरह मुख्य मार्ग की मरम्मत करने, नल जल योजना और कुसमुंडा-कोरबा सड़क निर्माण कार्य शीघ्र पूरा करने की मांगें शामिल हैं। कोरोना संकट से उपजी बदहाली के मद्देनजर पार्टी ने आम जनता पर कोई भी नया कर न थोपने की भी मांग की है।
माकपा प्रतिनिधिमंडल में पार्टी के जिला सचिव प्रशांत झा, किसान नेता जवाहर कंवर सहित दोनों माकपा पार्षद सुरती कुलदीप और राजकुमारी कंवर भी शामिल थी।
माकपा के इस जन मांगपत्र से यह साफ हो गया है कि कांग्रेस के लिए निगम की सामान्य सभा में अपने बजट प्रस्तावों पर मुहर लगवाना आसान नहीं होगा।
उल्लेखनीय है कि पिछले सप्ताह आयोजित एमआईसी बैठक का माकपा ने बहिष्कार कर दिया था, जिसके कारण महापौर को असहज स्थिति का सामना करना पड़ा था।
पारदर्शिता लाए कांग्रेस
माकपा का आरोप था कि यह बैठक बिना किसी एजेंडे और विधिवत सूचना के आहूत की गई थी। माकपा ने निगम को लोकतांत्रिक ढंग से चलाने और उसकी कार्यप्रणाली में पारदर्शिता की भी मांग की थी।
हालांकि पार्षदों की कम संख्या होने के बावजूद कांग्रेस निगम में सरकार बना पाई है, तो उसका श्रेय माकपा के सिद्धान्तनिष्ठ रूख को ही जाता है, जिसने शुरू से ही यह स्पष्ट कर दिया था कि उसका समर्थन भाजपा को किसी हालत में मिलने नहीं जा रहा।
चूंकि माकपा के समर्थन के बिना न कांग्रेस सरकार बना सकती थी और न भाजपा। माकपा के इस रूख के कारण अन्य पार्टियों के और निर्दलीय पार्षदों को भी कांग्रेस के पक्ष में आना पड़ा था।
लेकिन प्रदेश के इतिहास में पहली बार माकपा का समर्थन पाने के लिए कांग्रेस को प्रेस वार्ता के जरिये सार्वजनिक रूप से माकपा के जन मांग पत्र को ध्यान में रखकर सकारात्मक काम करने का आश्वासन देना पड़ा था।
तभी से यह स्पष्ट हो गया था कि कांग्रेस के लिए अपने तौर-तरीकों से निगम सरकार चलाना आसान नहीं होगा।
माकपा सचिव प्रशांत झा ने पार्टी के मांगपत्र पर महापौर द्वारा निगम की आर्थिक क्षमता के भीतर सकारात्मक आश्वासन मिलने की बात कही है।
उन्होंने कहा है कि निगम के बजट प्रस्तावों से ही सामान्य सभा में माकपा के रूख का फैसला होगा। लेकिन हमने शुरू से ही स्पष्ट कर दिया है कि आम जनता की मांगों को हल करने के लिए सड़क की लड़ाई को तेज किया जाएगा।
यदि बजट में आम जनता की समस्याओं को केंद्र में नहीं रखा जाता, तो हमारे पार्षद विपक्ष की भूमिका निभाने में भी नहीं हिचकेंगे। झा ने जोर देकर फिर यह कहा है कि हमने कांग्रेस को समर्थन दिया है, उसके समक्ष समर्पण नहीं किया है।
माकपा नेता ने कहा कि कोरोना संकट के मद्देनजर आम जनता को राहत देने की जरूरत है। कांग्रेस के उच्च नेतृत्व का भी यही मानना है। यदि कोरबा में कांग्रेस अपने नेतृत्व की ही सलाह पर अमल करना चाहती है, तो भी उसे हमारे जन मांगपत्र पर गौर करना होगा।
उन्होंने कांग्रेस नेतृत्व को निगम सरकार बनाते समय आम जनता से किये गए सार्वजनिक वादे की भी याद दिलाई है।