यह कैसी सरकार ? सीएम पर टिप्पणी करने पर हो जाती है एफआईआर : सरोज
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रायपुर.
भाजपा की राष्ट्रीय महासचिव डा. सरोज पांडेय प्रदेश सरकार पर जमकर बरसी. उन्होंने सरकार के अस्तित्व पर प्रश्न उठाते हुए कहा कि सीएम पर टिप्पणी करने पर एफआईआर दर्ज कर ली जाती है.
राज्यसभा सदस्य सुश्री पांडेय भाजपा की वर्जुअल रैली के जरिेए कार्यकर्ताओं को संबोधित कर रही थी. उन्होंने इस अवसर पर राज्य सरकार , मुख्यमंत्री , कांग्रेस को अपने निशाने पर लेकर जमकर प्रहार किया.
. . . तो 25 साल नहीं आएगी कांग्रेस की सरकार
उन्होंने छत्तीसगढ़ सरकार को चुनौती दी कि हमारे कार्यकर्ताओं को परेशान न करे अन्यथा कांग्रेस के इतिहास अनुसार पुनः सरकार में आने के लिए छत्तीसगढ़ कांग्रेस को 25 वर्ष लगेंगे.
डॉ सरोज पांडेय ने कहा कि गंगाजल की कसम खाने वाली इस सरकार ने कहा था हम शराबबंदी करेंगे लेकिन आज सरकार शराब के पैसों से चल रही है. ये सरकार आज खड़ी कहां है?
उन्होंने कहा कि बीजेपी के कार्यकर्ताओं को कोई आंख नहीं दिखा सकता. हम तो विपक्ष में ही पले बढ़े हैं. सरकार अपना पिछला कार्यकाल देख ले.
सुश्री पांडेय ने कहा कि जब बीजेपी युवा मोर्चा के कार्यक्रम में लाठीचार्ज हुआ था तब सरकार की इमारत की एक एक ईंट निकलती चली गई और कांग्रेस को सत्ता में लौटने 15 साल तक इंतजार करना पड़ा.
उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में एक कंकड़ नदी में फेंक दीजिए तो लहरे गिनी जा सकती है. लहरें इतनी है कि गिनी नहीं जा सकती. कांग्रेस के अध्यक्ष का न चिंतन है न मनन है.
राज्यसभा सदस्य ने कहा कि मुख्यमंत्री उस रास्ते पर ही चलते नजर आ रहे हैं. प्रदेश के मुख्यमंत्री के क्रियाकलापों पर बीजेपी का कार्यकर्ता टिप्पणी करता है, तो उस पर एफआईआर हो जाती है.
भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस कार्यपद्धति का निर्माण किया. इस कोरोना संकट के बीच भी एक दिन की छुट्टी नहीं मिली. प्रतिदिन काम हुआ. सरकार का भी और संगठन का भी.
इससे पहले जितनी भी सरकारें थी वह 5 साल पूरा होने के बाद अपने कार्यकाल का हिसाब देती थी लेकिन देश के इतिहास में केंद्र की सरकार ऐसी पहली सरकार है जिसने अपने एक साल के कार्यकाल का विवरण और लेखा जोखा दिया हैं.
उनके मुताबिक जनता ने इस पारदर्शिता की वजह से ही बीते चुनाव में 303 सीट देकर आर्शीवाद दिया है. हमारी सरकार ने इस वैश्विक महामारी के दौर में कैसे काम किया और इस महामारी से कैसे बाहर निकालने का काम किया यह देखने लायक है.
कोरोना संकट में प्रधानमंत्री मोदी स्टेट्समैन बनकर उभरे हैं. 2014 के पहले जो सरकार काबिज थी वह भ्रष्टाचार में डूबी हुई थी. हर संसद सत्र में एक मंत्री की बलि चढ़ती थी.