क्या रमन छत्तीसगढ़ भाजपा के लिए जोगी साबित हो रहे हैं?
नेशन अलर्ट / जनचर्चा
एक बार के केंद्रीय राज्य मंत्री व तीन बार के प्रदेश के मुखिया डॉ. रमन सिंह के सितारे लगता है डूबने लगे हैं. अब तो उन्हें भाजपा में स्वयं को साबित करने एड़ी चोटी एक करनी पड़ रही है.
जनचर्चा मुताबिक तो क्या रमन सिंह भाजपा के भीतर अकेले पड़ गए हैं? तो क्या रमन सिंह भाजपा में अजीत जोगी की भूमिका में देखे जा रहे हैं? तो क्या रमन सिंह का सुनहरा कार्यकाल बीते दिनों की बात हो चुकी है?
ये चंद सवाल हैं जो कि गाहे बेगाहे जनता के बीच घूमते रहते हैं. दरअसल रमन सिंह को अब चूका हुआ नेता माना जाने लगा है.
वैसे भी रमन सिंह की स्थिति खुद से ज्यादा उनके अपने लोगों के क्रियाकलाप से पार्टी के भीतर और बाहर बद से बदतर हुई है.
फिर वह चाहे स्वयं के सुपुत्र अभिषेक सिंह हों जिनका नाम पनामा पेपर लीक्स में सुनाई दिया था अथवा डॉ. पुनीत गुप्ता हों जो कि डॉ. रमन सिंह के दामाद कहे जाते हैं.
इन सब ने ऐसे काम किए हैं जिसके चलते रमन सिंह को लोगों को जवाब देने में दिक्कत होती है. ऊपर से रमन सिंह के खासमखास रहे अमन सिंह और मुकेश गुप्ता के क्रियाकलाप उन्हें महंगे पडऩे लगे हैं.
रमन सिंह को अब भाजपा के भीतर यदि वापस अपनी पुरानी स्थिति में आना है तो उन्हें हर हाल में पार्टी को सकारात्मक नतीजे देने होंगे.
जनचर्चा लेकिन यहां इस बात की हो रही है कि क्या ऐसा रमन सिंह कर पाएंगे? दंतेवाड़ा विधानसभा उपचुनाव में भाजपा की हार ने रमन सिंह के लिए और मुश्किलें खड़ी कर दी हैं.
यह सीट भीमा मंडावी ने जीती थी और उनकी शहादत के बाद हुए उपचुनाव में कांग्रेस की देवती कर्मा ने दंतेवाड़ा को छिन लिया.
अब चित्रकूट विधानसभा उपचुनाव में दोनों पार्टियों की जंग हो रही है. यहां के विधायक रहे दीपक बैज चूंकि सांसद चुन लिए गए इसके चलते यह सीट उन्हें छोडऩी पड़ी थी.
चित्रकूट विधानसभा का उपचुनाव भाजपा से कहीं ज्यादा रमन सिंह के लिए जीने मरने का प्रश्र है. यदि यह सीट भाजपा येन केन प्रकारेण जीत लेती है तो रमन सिंह चूके हुए नेता नहीं कहे जाएंगे.
. . . लेकिन यह सीट यदि कांग्रेस जीत ले जाती है तो रमन सिंह को पार्टी के बाहर के अलावा भीतर कई तरह के सवालों का जवाब देना पड़ेगा.
रमन सिंह को यह बताना पड़ेगा कि ऐसा क्या कुछ हुआ कि पंद्रह साल का उनकी नजर में चमचमाता छत्तीसगढ़ आज इस हाल में पहुंच गया है कि कोई भी भाजपा को जीतता हुआ देखना नहीं चाहता है.
उन्हें भाजपा के लोगों को यह भी बताना पड़ेगा कि क्यूंकर बस्तर संभाग की दोनों सीट पर पार्टी की हार हुई है. तब तक रमन सिंह पार्टी के भीतर उस अजीत जोगी की भूमिका में नजर आ रहे हैं जो कि कांग्रेस में रहते हुए कांग्रेस की कब्र खोदते हुए दिखाई दे रहे थे.