सूखे की आशंका : माकपा ने की मदद की मांग
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रायपुर .
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी की ओर से आज 15 वें वित्त आयोग के साथ हुई बैठक में अनाज वितरण के संबंध में ज्ञापन दिया गया। पार्टी के राज्य सचिवमण्डल सदस्य धर्मराज महापात्र, बी सान्याल व एम के नंदी ने बैठक में हिस्सा लिया।
आयोग के सदस्य अशोक लहरी के एफसीआई गोदामों में अनाज के पहाड़ के समाधान पर राय मांगने पर इसे सार्वभौम सार्वजनिक वितरण प्रणाली के जरिये बांटने की मांग की ।
पार्टी ने कहा कि एक ओर तो गोदामों में अनाज के पहाड़ है और दूसरी ओर भूख से लोगो की मौत हो रही है। शर्मनाक तथ्य यह है कि इस अनाज को चूहों को खाने की आज़ादी है, लेकिन सरकार इसे गरीबों मे बांटने से इंकार कर रही है।
भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) की छत्तीसगढ़ राज्य समिति की ओर से वित्त आयोग के समक्ष निम्न सुझाव दिए गए हैं :
1- माकपा लंबे अरसे से यह मांग कर रही है कि राज्यों को कर राजस्व का 50 फीसद हिस्सा केंद्र द्वारा प्रदान किया जाना चाहिए.
2- छत्तीसगढ़ प्रदेश के भौगोलिक क्षेत्रफल का लगभग 45 फीसद हिस्सा वन आधारित है. राज्य की आबादी का लगभग 32 फीसद हिस्सा आदिवासियों व 15 प्रतिशत हिस्सा अनुसूचित जाति का है.
आदिवासी क्षेत्रों का एक बड़ा हिस्सा संविधान की पाँचवी अनुसूची के अधीन है. इस रोशनी में राज्य को इन क्षेत्रों के विकास हेतु विशेष सहायता प्रदान करनी चाहिए.
3- देश के सर्वाधिक पिछड़े जिलों में से छत्तीसगढ़ के 10 जिलों की भी पहचान की गई है. अतः इन जिलों के विकास हेतु राज्य को विशेष सहायता प्रदान की जानी चाहिए.
4- कृषि क्षेत्र के गहराते संकट और उससे किसानों की बढ़ती अत्महत्या हम सबके लिए गहरी चिंता का विषय है. अतः स्वामीनाथन समिति की सिफारिश के अनुरूप किसानों की उपज का समर्थन मूल्य सी-2 फार्मूला के तहत लागत का डेढ़ गुना घोषित किया जाय. इस आधार पर उपज की खरीद हेतु राज्य को पर्याप्त आर्थिक सहयोग दिया जाय.
5- वर्तमान आर्थिक संकुचन तथा अर्थव्यवस्था में मांग के संकट की रोशनी मे कड़े राजकोषीय नियंत्रण व संतुलन के नाम पर अंततः सामाजिक व जनहितकारी योजनाओं में ही कटौती थोप दी जाती है, जिससे संकट और बढ़ता है.
मौजूदा दौर में, जबकि भीषण बेरोजगारी है इस तथाकथित राजकोषीय नियंत्रण के बजाय सामाजिक व ढांचागत आधारभूत क्षेत्र में राज्य का सार्वजनिक निवेश बढ़ाया जाय तथा तथाकथित पीपीपी मॉडल और उसके जरिये सार्वजनिक क्षेत्रों का निजीकरण रोका जाए.
6- मनरेगा में बजट आवंटन में बढ़ोतरी की जाए.शहरी क्षेत्रों के लिए भी रोजगार गारंटी योजना का निर्माण कर इस हेतु राज्यों को आर्थिक मदद प्रदान की जाए.
7- छत्तीसगढ़ प्रदेश प्राकृतिक सम्पदा से धनी प्रदेश है. हमारे प्राकृतिक संपदा का दोहन तो किया जाता है, किन्तु उसकी रायल्टी के उचित हिस्से से प्रदेश वंचित है.
अत: रायल्टी का युक्तियुक्तकरण किया जाए. इस राशि का उपयोग संबधित क्षेत्रों व स्थानीय निवासियों के विकास के लिए किया जाए.
8- प्रदेश बारिश के अभाव में भीषण सूखे की आशंका से ग्रस्त है.यहां तक कि आगामी दिनों में पेयजल के गहरे संकट की भी आशंका है.
अत: इससे निपटने हेतु राज्य को पर्याप्त मदद की जाए. साथ ही प्रदेश में बढ़ते शहरीकरण की रोशनी में अधोसंरचना विकास के लिए स्थानीय निकायों को भी पर्याप्त आर्थिक सहयोग प्रदान किया जाए.
9- पेट्रोलियम पदार्थों की कीमतों के निर्धारण की वर्तमान बाजार आधारित प्रणाली में बदलाव कर इसकी कीमत के निर्धारण का उचित उपाय किया जाए.
10- नोटबंदी तथा उसके बाद जीएसटी की समुचित तैयारी के बिना क्रियान्वयन से राज्यों की अर्थव्यवस्था में उसके पड़े ठोस प्रभावों का अध्ययन कर तदनुरूप राज्यों को उचित मदद दी जाए ।
11- आदिवासी व अनुसूचित जाति क्षेत्रों के विकास के लिए राज्य को विशेष आर्थिक पैकेज प्रदान किया जाय.