लकवा का उपचार करवाने अमेरिया से आई जेनिफर
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नागौर.
प्रसिद्ध बुटाटी धाम से संत चतुरदास महाराज मंदिर की प्रसिद्धि अब अमेरिका तक पहुंच गई है. वहां से लकवा का उपचार कराने जेनिफर क्राप्ट आई हुई हैं.
जेनिफर बताती हैं कि उन्हें सोशल मीडिया के माध्यम से बुटाटी धाम के संदर्भ में पता चला था. वह सबसे पहले दिल्ली पहुंची और वहां से आशुतोष शर्मा के साथ बुटाटी धाम आई हैं
2014 में हुई थी दुर्घटना
जेनिफर बताती हैं कि 2014 में वह एक सड़क दुर्घटना का शिकार हो गई थी. तब बाइक दुर्घटना में उनकी रीढ़ की हड्डी चोटग्रस्त हुई थी.
तब से लेकर आज दिनांक तक कमर से नीचे का हिस्सा हिल भी नहीं पा रहा है. जैसे ही उन्हें बुटाटी धाम की जानकारी मिली वह यहां आने की जिद करने लगी. अंतत: रविवार को वह यहां आ ही गईं.
दरअसल अजमेर-नागौर मार्ग पर कुचेरा के पास बुटाटी धाम स्थित है. चतुरदास जी महाराज का मंदिर बुटाटी धाम में है. समाधि वाले इस मंदिर में लकवा रोगी आते रहते हैं.
तकरीबन पांच सौ साल पहले संत चतुरदास जी यहां रहते थे. उनका जन्म चारणकुल में बताया जाता है. वह सिद्धियों से लकवा के रोगियों को रोगमुक्त कर देते थे. अभी भी यहां लकवा के मरीज आते हैं.
मान्यता है कि मंदिर की सात परिक्रमा लगाने से लकवा के रोग से मुक्ति मिलती है. सुबह की आरती के समय मंदिर के बाहर परिक्रमा लगानी होती है. शाम की आरती के समय मंदिर के अंदर परिक्रमा लगानी होती है.
इन दोनों परिक्रमाओं को मिलाकर एक परिक्रमा एक दिन में होती है. सात दिनों तक यहां सुबह शाम परिक्रमा लगाने से सात परिक्रमा मानी जाती है. हवन कुंड की भभूति लगाने से बीमारी धीरे धीरे पीछा छोड़ देती है.