पीएससी स्कैंडल : उच्चतम न्यायालय का अंतिम नोटिस
नेशन अलर्ट.
97706-56789
रायपुर.
राज्य प्रशासनिक सेवा के 19 अफसरों को उच्चतम न्यायालय में तीस दिनों के भीतर जवाब देने का अंतिम समय दिया है. ऐसा वर्षा डोंगरे से जुड़े एक केस में किया गया है.
उल्लेखनीय है कि वर्षा डोंगरे ने हाईकोर्ट बिलासपुर में एक याचिका लगाई थी. उनका कहना था कि वर्ष 2003 में पीएससी छत्तीसगढ़ में जो चयन हुआ वह गड़बड़ था. अब तीस दिनों के भीतर सर्वोच्च न्यायालय में उपस्थित होकर अपना पक्ष रखने का अंतिम अवसर मिला है.
बताया जाता है कि इस दौरान अधिकारी या तो स्वयं उपस्थित होंगे या फिर उन्हें अपने वकील के माध्यम से पक्ष रखना होगा. चूंकि यह अंतिम अवसर है इसकारण माना जा रहा है कि ऐसा नहीं करने पर कोर्ट उसी आधार पर मामले की सुनवाई करेगा.
138 दे चुके हैं जवाब
दरअसल मामला चयनित 147 अभ्यर्थियों के चयन से जुड़ा हुआ है. तब जारी हुई नोटिस में 138 अभ्यर्थियों ने नोटिस का जवाब दे दिया था. वर्तमान में राज्यसेवा के विभिन्न पदों पर कार्यरत 19 अभ्यर्थी ऐसे थे जिन्हें किन्हीं कारणोंवश नोटिस तामिल नहीं हो पाई थी.
बताया जाता है कि ज्यादातर के पते गलत थे. अब एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट ने इन्हें तलब किया है. यह इनके लिए अंतिम अवसर है. जिन्हें नोटिस जारी की गई है उनमें से ज्यादातर छत्तीसगढ़ में पदस्थ हैं.
इनमें रक्षंदा शेख मध्यप्रदेश के बैतूल में इनकम टैक्स अफसर के पद पर पदस्थ है. विमलादेवी दीक्षित इंदौर में पदस्थ बताई गई है. विवेक उपाध्याय इलाहाबाद में उपस्थित हैं. इला तिवारी अतिरिक्त कलेक्टर के पद पर रींवा में पदस्थ हैं.
इसी तरह राजीव सिंह चौहान सहायक आबकारी के पद पर देहरादून उत्तराखंड में पदस्थ हैं. अजय बिरथरे उपआयुक्त राज्यकर उधम सिंह नगर उत्तराखंड में पदस्थ हैं.
इसके अलावा अन्य अधिकारी छत्तीसगढ़ में पदस्थ हैं. इनमें अजय शर्मा, भगवान सिंह, कमलेश्वर प्रसाद चंदेल, याचना तमी, करूणा मिंज, सुनील कुमार सिंह, अनुज नायक, मुकटानंद खुंटे, रेणु प्रकाश कोषे, गोविंद सिंह कुमटी, गीता राजपूत, प्रशांत शुक्ला, राजेंद्र जायसवाल के नाम शामिल बताए जाते हैं.
स्पेशल पिटीशन पर हुआ था स्टे
बहरहाल इस मामले में अब सिर्फ सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी. संजय त्रिपाठी सहित अन्य लोग स्पेशल पिटीशन लेकर सुप्रीम कोर्ट गए थे. सुप्रीम कोर्ट ने तब हाईकोर्ट के आदेश पर स्टे लगा दिया था.
वर्षा डोंगरे ने चयन सूची को बिलासपुर हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. तत्कालीन न्यायाधीश दीपक गुप्ता ने 26 अगस्त 2016 को अपना फैसला सुनाया था.
यह फैसला काफी हद तक वर्षा डोंगरे के पक्ष में था. फैसले में पुरानी सूची को स्कैन करने, स्कैनिंग कर नए सिरे से मेरिट लिस्ट बनाने सहित रिवाइस कर नौकरी देने के आदेश दिए गए थे.
इस आदेश के आते तक कई अफसर प्रमोट भी हो चुके थे. कई अभ्यर्थियों की नौकरी ही चली जाती जबकि कई के पद ही बदल दिए जाते. इस पर संजय त्रिपाठी ने स्पेशल पिटीशन फाइल कर हाईकोर्ट के निर्णय पर सुप्रीम कोर्ट से स्टे प्राप्त किया था.