नांदगांव का सहकारी बैंक नोटबंदी के दौरान दागदार रह चुका
नेशन अलर्ट / जनचर्चा
जिला सहकारी केंद्रीय बैंक मर्यादित राजनांदगांव अब जाकर मुसीबतों का सामना करने जा रहा है. जनचर्चा के मुताबिक इस बैंक अथवा शाखाओं की जांच यदि निष्पक्ष तरीके से कराई गई तो नोटबंदी के दौरान जमा हुई रकम पर भी गाज गिर सकती है.
जनचर्चा बताती है कि भाजपा शासनकाल में राजनांदगांव का यह सहकारी बैंक कुछ ज्यादा ही बेलगाम हो गया था. अब कांग्रेस सरकार ने बैंक के संचालक मंडल को भंग करने के संबंध में नोटिस जारी की है. इसे जनचर्चा देर आए दुरूस्त आए कहकर पुकारने लगी है.
नोटबंदी के दौरान भी यह बैंक जमा रकम को लेकर चर्चा में रहा था. जनचर्चा अनुसार नांदगांव के इस बैंक की शाखाओं में तब महज पांच दिनों के दौरान 48 करोड़ 67 लाख रूपए जमा कराए गए थे.
बैंक के जानकार बताते हैं कि इतनी अल्प अवधि में इतनी बड़ी रकम जमा कराया जाना संदेह को जन्म देता है. तब जिला सहकारी केंद्रीय बैंक की राजनांदगांव शाखा सहित गातापार, छुईखदान, खैरागढ़, साल्हेवारा जैसी शाखाएं चर्चा में रही थी.
उस समय के जानकार आज जनचर्चा कर रहे हैं कि तब किन्हीं बृजमोहन, पारख, सिद्धार्थ, सिंह जैसे नेताओं अथवा उनके नाते रिश्तेदारों के रूपये इस बैंक में जमा कराए गए थे. उस समय रावलमल, बघेल जैसे कई नाम इन रूपयों को जमा कराने में चर्चा में आए थे.
जनचर्चा तो यहां तक होती है कि नोटबंदी के ठीक पहले से जिला सहकारी केंद्रीय बैंक में पांच सौ व हजार रूपए के नोट जमा कराने का सिलसिला प्रारंभ हुआ था. यह नोटबंदी के समय मिली छूट तक चलते रहा. तब जनचर्चा के मुताबिक तकरीबन सौ करोड़ से अधिक की रकम सहकारी बैंक व उसकी विभिन्न शाखाओं में खपाई गई थी.
ऐसा नहीं है कि राजनांदगांव का जिला सहकारी केंद्रीय बैंक ही इस मामले में बदनामशुदा रहा है. तब जिला सहकारी केंद्रीय बैंक की दुर्ग, अंबिकापुर, जगदलपुर, बिलासपुर, रायपुर जैसी शाखाएं भी इसी तरह के कृत को लेकर चर्चा में रही थी.
आरबीआई की पॉलिसी के तहत संचालित होने वाले जिला सहकारी केंद्रीय बैंक के छत्तीसगढ़ में तकरीबन अस्सी लाख से ज्यादा किसान खातेदार हैं. इन्हीं खातेदारों की आड़ में नेताओं ने अपने रूपए खपाए थे यह जनचर्चा होती रही है.
उस समय रायपुर के जिला सहकारी केंद्रीय बैंक में 60 करोड़ 64 लाख, बिलासपुर के जिला सहकारी केंद्रीय बैंक में 50 करोड़ 29 लाख, अंबिकापुर के बैंक में 10 करोड़ 88 लाख, दुर्ग के बैंक में 56 करोड़ 96 लाख व जगदलपुर के सहकारी बैंक में 29 करोड़ 35 लाख रूपए महज पांच दिनों के भीतर जमा कराए गए थे.
मामला 10 नवंबर 2016 से 31 दिसंबर 2016 के बीच का रहा है. राजनांदगांव सहित जिला सहकारी केंद्रीय बैंक की विभिन्न जिलों की शाखाओं में पुराने नोट जो कि 32 करोड़ 52 लाख रूपए होते हैं जमा कराए गए थे. पूरे प्रदेश में जिला सहकारी केंद्रीय बैंकों में जमा कराई गई यह रकम 247 करोड़ रूपए होती थी.
अकेले राजनांदगांव जिले में जिला सहकारी केंद्रीय बैंक की 24 ब्रांच में तकरीबन आधा अरब रूपए जमा हुए थे. ढाई लाख खातों में यह रकम जमा कराई गई थी. इस पर भी संदेह है कि यह रकम ब्लैकमनी नहीं रही होगी. यदि निष्पक्ष तरीके से जांच हो तो कहानी कुछ और हो सकती है.
यक्ष प्रश्र..
राजनांदगांव की किस 3 स्टार होटल में रिटायर्ड आईएएस का पैसा लगा हुआ है ?