एक-दो नहीं बल्कि सौ करोड़ के हैं बाबूलाल, राज्य में फैला है नेटवर्क, ईडी की जांच में हो रहा खुलासा
रायपुर।
प्रदेश के इकलौते आईएएस जिन्हें सीबीआई ने रिश्वत देने के मामले में गिरफ्तार किया है वह एक-दो नहीं बल्कि सौ करोड़ की हैसियत रखते हैं। यह दावा हम नहीं कर रहे बल्कि प्रवर्तन निदेशालय यानि कि डायरेक्टर ऑफ इंफोर्समेंट (ईडी) की जांच का नतीजा है। यह जांच ईडी बाबूलाल अग्रवाल के संबंध में आज से नहीं बल्कि सालों से करता आ रहा है।
उल्लेखनीय है कि देशभर के संभवत: पहले आईएएस बाबूलाल अग्रवाल हैं जिन्हें लेने नहीं बल्कि रिश्वत देने के मामले में सीबीआई द्वारा गिरफ्तार किया गया है। इधर सीबीआई ने उनकी गिरफ्तारी की और उधर ईडी भी उनके खिलाफ जांच में तेज गति से जुट गया है। इस दौरान ईडी ने बाबूलाल अग्रवाल से जुड़े मामले में अहम सुराग एकत्र किए और पुख्ता रपट तैयार की है।
प्रभावित करते रहे थे क्या जांच
अब सवाल इस बात का उठता है कि क्या बाबूलाल अग्रवाल अब तक अपने खिलाफ चल रही जांच को प्रभावित करने में सफल रहे थे ? दरअसल इस आशंका के पीछे भी बहुत से कारण हैं। बाबूलाल अग्रवाल ने आज से नहीं बल्कि वर्षों पहले से अनैतिक कमाई का सिलसिला शुरु किया था। तब वे एक बार निलंबित हुए थे और सीबीआई-ईडी ने उनके खिलाफ जांच शुरु की थी। लोगों के लिए आश्चर्यजनक तरीके से इसके बावजूद अग्रवाल राज्य में पदोन्नत हो गए थे। यह पदोन्नति भी गलत तरीके से हुई थी यह कहा जाता है। संभवत: अग्रवाल को राज्य के कुछ ताकतवर अफसरों की कहीं न कहीं किसी न किसी तरीके से मदद मिली होगी जिसके चलते वह पदोन्नत हो गए थे। शायद, इसी सहयोग से मिले दम ने उन्हें इतना ताकतवर बना दिया था कि वे अपने खिलाफ चल रहे मामलों की जांच को प्रभावित कर लंबा खींच रहे थे या फिर इन्हें खारिज करवाने की कोशिश कर रहे थे। अब इस पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं।
बयान ले चुकी है ईडी
इधर सालों पुराने मामले की जांच अब ईडी ने भी तेज कर दी है। एक-दो नहीं बल्कि पूरे सौ करोड़ या दूसरे शब्दों में लिखे तों एक अरब की बेनामी संपत्ति के मामले में ईडी शीघ्र अग्रवाल के खिलाफ कोई बड़ा कदम उठा सकता है। अग्रवाल के खिलाफ जब पांच वर्ष पूर्व ईडी ने जांच शुरु की थी तब उसे आयकर विभाग से 59 करोड़ के घोटाले की रिपोर्ट प्राप्त हुई थी। साल बीतते गए और अग्रवाल की संपत्ति बढ़ती गई।
इस दौरान अग्रवाल ने रियल एस्टेट सेक्टर सहित ज्वेलरी, जमीन सहित स्टील उद्योग के क्षेत्र में पैर पसारे। बताया जाता है कि साथ ही साथ उन्होंने मेडिकल सेक्टर में भी हाथ पैर मारे। अग्रवाल पहले राज्य के स्वास्थ्य सचिव रह चुके हैं। उस दौरान उन्होंने मेडिकल किट, माईक्रोस्कोप, कलर डॉपलर जैसी चीजों की भी खरीदी में काला-पीला किया था। ये वो क्षेत्र हैं जिनमें अग्रवाल ने बड़ी तेज गति से प्रगति की है। अब उसी के अनुरुप ईडी की भी जांच तेज गति से आगे बढ़ रही है।
बताया जाता है कि ईडी अग्रवाल के संबंध में बेनामी संपत्ति को लेकर शीघ्र एक रिपोर्ट पेश कर सकता है। सीबीआई द्वारा गिरफ्तार किए जाने के बाद ईडी के दिल्ली स्थित मुख्यालय से स्थानीय क्षेत्रिय कार्यालय को सबूत जुटाने के लिए दिशा निर्देश प्राप्त हुए थे। मामले की जांच के लिए सहायक निदेशक स्तर के अधिकारी लगाए गए थे। इधर, अग्रवाल की संपत्ति की खरीदी बिक्री पर ईडी पहले ही रोक लगा चुका है। और तो और वह संपत्तियां कुर्क भी हो सकती हैं जिन पर अग्रवाल के शामिल होने की आशंका ईडी को है। मतलब साफ है अग्रवाल के आने वाले दिन कोई बहुत अच्छे नहीं रहेंगे।