एक ऐसा एडीजी जो मुर्दे को जिंदा करने का प्रयास कर रहा..!

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नेशन अलर्ट, 97706-56789
भोपाल.

एक माह पहले प्राण त्याग चुके मनुष्य का वापस जी जाना कितना मुमकिन है..! सभी का इसका जवाब मालूम है और जो इस जवाब से इत्तेफाक नहीं रखते उनकी आस्था उस विश्वास पर टिकी है, जिसे अंधविश्वास करार दिया जाता है.

मध्यप्रदेश के एडीजी राजेंद्र कुमार मिश्रा ऐसे व्यक्ति हैं जिन्होंने अपने पिता के फिर जी जाने की आशा पाले उनका शव एक माह से सहेजे रखा है. खबर है कि वे तंत्र-मंत्र के सहारे उनके प्राण वापस लाने का प्रयास कर रहे हैं.

यह खबर झकझोर देने वाली है. भारतीय पुलिस सेवा में 1987 बैच के आईपीएस राजेंद्र कुमार मिश्रा पर आरोप है कि वे अपने पिता, जिन्हें चिकित्सकों ने एक महीने पहले मृत घोषित कर दिया था, उनका अपने सरकारी बंगले पर इलाज करा रहे हैं.

लेकिन वे इसे नकार देते हैं. वे कहते हैं, अस्पताल ने गलत इलाज किया. उन्हें घर लाया गया तो प्राण वापस आ गए और अब उन्हें घर पर ही चिकित्सा सुविधा दी जा रही है. वे कहते हैं कि उनके पिता का आर्युवेदिक उपचार जारी है और उनकी स्थिति गंभीर बनी हुई है.

इस मामले में कांग्रेस नेता का बयान भी सामने आया है. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रवि सक्सेना का कहना है कि पुलिस को पिता की बॉडी रिकवर करके उनकी बाकायदा अंत्येष्टि करवानी चाहिए. सक्सेना ने कहा कि यह मामला बेहतद गंभीर है. इस मामले में डीजीपी वीके सिंह को संज्ञान में लेना चाहिए. उहें कोई शक है तो मेडिकल पुष्टि करनके के बाद उचित निर्णय लेना चाहिए.

संक्रमण के बाद फैली खबर?
मिश्रा के बंगले पर एसएएफ के दो जवान ड्यूटी पर लगाए गए थे यह जवान पिता की देख—रेख में लगे हुए थे, लेकिन वे बदबू के चलते संक्रमण का शिकार होकर बीमार हो गए। इसके बाद वे वापस बंगले नहीं पहुंचे। उन्हें जबरिया भेजने की कोशिश की गई तो यह मामला सामने आया।

राज खुलने के बाद जवानों ने यह कहानी अपने दूसरी साथियों को बताई। फिर दूसरे कर्मचारीभी ड्यूटी में जाने से कतराने लगा। बात कर्मचारियों से होते हुए मीडिया के पास पहुंच गई।

इसमें दखल न दें…
हां, बंसल वालों ने डैथ सर्टिफिकेट जारी किया था। पर घर में पिता के प्राण वापस आ बए। अब पिता की हालत क्रिटिकल है। बंसल वालों ने अलग लाइन पर इलाज किया।

उन्होंने कहा ऐसी हालत में मैं उन्हें दिल्ली नहीं ले जा सकता हूं। आयुर्वेद से इलाज करवा रहा हूं। हालांकि, उन्होंने किसी को भी पिता को दिखाने से इंकार कर दिया। उनका कहना था कि ये व्यक्तिगत मामला है। मीडिया को इसमें दखल नहीं देना चाहिए।

मुर्दा जिंदा हो गया..
14 जनवरी को उनके पिता की मृत्यु की सूचना मुख्यालय के दूसरे अफसरों को भी लगी थी। जिसके बाद कुछ अफसर बंगले पर भी पहुंचे थे। भोपाल पुलिस लाइन से शव वाहन भी बंसल हॉस्पिटल पहुंचा, उस वाहन में एडीजी के पिता के शव को बंगले तक ले जाया गया।

बंगले पहुंचने के बाद उनके घर की महिलाएं पिता से लिपटकर रोने लगीं, तभी उनके शरीर में प्राण में आ गए, ऐसा दावा किया जा रहा है। एडीजी ने शव वाहन को यह कहकर वापस भेज दिया कि पिता के प्राण वापस आ गए हैं।

हम क्यूं दखल दें..
एसपी साउथ संपत उपाध्याय को जब एडीजी के घर पर पिता का शव होने की जानकारी दी गई। तो उन्होंने कहा हमारे पासऐसे कोई पुख्ता सबूत नीं है। हम किसी के घर में छानबीन नहीं कर सकते। स्वाभाविकि मौत है या नहीं, यह उनके परिवार का मामला है।

14 को ही हो चुकी है मौत
पुलिस मुख्यालय में चयन शाखा के एडीजी राजेंद्र कुमार मिश्रा मूलत: भूवनेश्वर के रहने वाले हैं। वे अपने आवास में पिता कालूमनि मिश्रा का इलाज करा रहे थे। तबीयत ज्यादा खराब होने पर वे उनको 13 जनवरी को बंसल लेकर पहुंचे थे।

यहां डा. अश्विनी मल्होत्रा ने उनका इलाज किया था। उन्हें मल्टीपल डिसीज थी। अगले दिन यानी 14 जनवरी को पौने तीन बजे उनका निधन हो गया था। इस संबंध में डैथ सर्टिफिकेट भी जारी किया गया था। शव को बंगले में मरचुरी वाहन से पहुंचाया गया था। बंसल के मैनेजर लोकेश झा ने भी बताया कि हां, डैथ सर्टिफिकेट जारी किया गया था।

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