फोन टेपिंग : छत्तीसगढ़ सरकार को सुको का निर्देश, हलफनामा दें
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नई दिल्ली/रायपुर.
फोन टेपिंग के मामले में आज उच्चतम न्यायालय (सुप्रीम कोर्ट) ने छत्तीसगढ़ सरकार को निर्देश दिया है कि वह मामले में अपना हलफनामा दे. निलंबित आईपीएस मुकेश गुप्ता की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री का नाम हटाने के भी निर्देश दिए हैं.
उल्लेखनीय है कि निलंबित आईपीएस मुकेश गुप्ता की यह याचिका सुनवाई के लिए आज सुप्रीम कोर्ट मेें लगी थी. आईपीएस मुकेश गुप्ता की ओर से मुख्यमंत्री पर आरोप था कि उनके निर्देश पर उनके परिजनों के फोन टेप करवाए जा रहे हैं.
आईपीएस मुकेश गुप्ता ने कोर्ट में दलील दे रखी थी कि छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार उनके खिलाफ झूठे मुकदमें दर्ज कर रही है. परिजनों के न केवल फोन टेप किए जा रहे हैं बल्कि उन्हें पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर परेशान किया जा रहा है.
सरकार की ओर से पेश हुए रोहतगी
बताया जाता है कि राज्य सरकार की ओर से पूर्व अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कानूनी पक्ष रखा. उनका कहना था कि मुकेश गुप्ता के गैरकानूनी कार्यों के चलते उन पर वैधानिक आधारों पर एफआईआर दर्ज की गई है.
न्यायालीन सूत्रों के मुताबिक रोहतगी ने अदालत को बताया कि कई अन्य अपराधिक प्रकरणों में भी मुकेश गुप्ता पर वैधानिक कार्यवाही की जा रही है. कार्यवाही में आरोपी मुकेश गुप्ता किसी भी तरह का सहयोग नहीं कर रहे हैं. इसके चलते जांच कार्यवाही ठप पड़ी है.
निलंबित होने के बावजूद मुकेश गुप्ता ने विभागीय जांच में सहयोग नहीं किया. कर्तव्य स्थल पर भी उनकी उपस्थिति दर्ज नहीं हुई. आरोपी और संदेही की गतिविधियों व लोकेशन पर नजर रखने के लिए आम अपराधियों की खोजबीन की तर्ज पर इंटरसेप्शन का सहारा लिया गया.
राज्य सरकार के वकील ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि आरोपी मुकेश गुप्ता कानूनी दांवपेचों व षडय़ंत्र के तहत अपने खिलाफ चल रही वैधानिक जांच प्रक्रिया से बचना चाहते हैं. राज्य सरकार की ओर से अदालत के समक्ष तथ्यपरक दस्तावेज भी रखे गए.
मुकेश गुप्ता ने पत्र कैसे हासिल किया
अदालत को यह भी बताया गया कि छत्तीसगढ़ के महाधिवक्ता कार्यालय को प्रेषित एक पुलिस अधिकारी के पत्र का मुकेश गुप्ता ने दुरूपयोग किया है. यह लिफाफा आरोपी मुकेश गुप्ता ने कैसे हासिल किया है इसकी जांच की जा रही है.
इस पत्र के आधार पर ही पूर्व भाजपा नेता वीरेंद्र पांडे ने सिविल लाईन थाना रायपुर में एक शिकायत दर्ज करा रखी है. इस शिकायत में उन्होंने आरोप लगाया है कि आईपीएस मुकेश गुप्ता उनके नाम का बेजा इस्तेमाल कर रहे हैं.
बलपूर्वक कार्यवाही नहीं होगी
कोर्ट में मामले की सुनवाई के दौरान मुकेश गुप्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकेश जेटमलानी ने अपना पक्ष रखा. उनके पक्ष को सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने फोन टेपिंग पर सवाल उठाया.
कोर्ट का यह कहना था कि निजता का उल्लंघन किया जा रहा है. सरकार पर कड़ी टिप्पणी करते हुए कोर्ट ने सवाल किया कि आखिर इस देश में क्या हो रहा है. व्यक्तिगत निजता नाम की कोई चीज नहीं रह गई है.
सरकार की ओर से पक्ष रख रहे वरिष्ठ अधिवक्ता नीरज किशन कौल से यह सवाल किया गया है कि किस अधिकारी ने फोन टेपिंग का आदेश जारी किया था.
फोन टेपिंग के संदर्भ में जब कौल ने अपना पक्ष रखना चाहा तो अदालत ने उन्हें हलफनामा प्रस्तुत करने को कहा. अब अदालत में वह अधिकारी अपना हलफनामा प्रस्तुत करेगा जिसके आदेश पर फोन टेपिंग हो रही थी.
इस दौरान प्रकरण से जुड़े अधिवक्ता रवि शर्मा के खिलाफ एफआईआर दर्ज किए जाने की जानकारी अदालत को दी गई.
अदालत ने इस पर आदेश दिया है कि रवि शर्मा के खिलाफ बलपूर्वक कोई कार्यवाही नहीं की जाएगी. मामले की अगली सुनवाई अब शुक्रवार को होगी.