भूपेश-रमन के तल्ख हुए रिश्ते

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रायपुर.

राजनीतिक हत्याओं, चावल में घोटाला व पॉलिटिकल क्राईम को लेकर वर्तमान मुख्यमंत्री और निवृत्तमान मुख्यमंत्री के रिश्तों में खटास आ गई है. दोनों के बीच सोशल मीडिया युद्ध का मैदान बना हुआ है.

दरअसल, कांग्रेस पंद्रह वर्षों के बाद प्रदेश की सत्ता में लौटी है. इन पंद्रह वर्षों तक भाजपा ने राज्य की सत्ता को भोगा है. कहीं कहीं कांग्रेस ये आरोप भाजपा पर लगाती रही है कि भाजपाईयों ने प्रदेश को चारागाह बना डाला है. अब जाकर दोनों के बीच शह और मात का खेल चल रहा है.

छिड़ गया Twitter वॉर

कांग्रेस विपक्ष में रहते हुए भाजपा सरकार पर बेहद गर्म थी. उसकी गर्माहट इसी बात से समझी जा सकती है कि सरकार में आने के बाद भी कांग्रेस ने अपने पुराने तेवर ढीले नहीं किए हैं.

कांग्रेस जिन मुद्दों को विपक्ष में रहते हुए जोर-शोर से उठाते रही है उन्हीं विषयों पर अब सरकार में आने के बाद वह स्पेशल इंवेस्टिगेशन टीम (एसआईटी) बनाकर जांच कराने लगी हुई है.

इसी विषय पर भाजपाईयों के पेट में मरोड़ हो रही है. अब तक प्रदेश की भूपेश बघेल सरकार ने तीन एसआईटी के गठन की घोषणा की है.

विद्याचरण शुक्ला, नंदकुमार पटेल, महेंद्र कर्मा, उदय मुदलियार, दिनेश पटेल सहित कई अन्य को जिस झीरम घाटी में कथित तौर पर नक्सलियों ने मौत के घाट उतारा उस पर जब एसआईटी का गठन हुआ तब बहुतों ने उस एसआईटी का स्वागत किया था.

इसके बाद एक और एसआईटी गठित हुई जो कि नागरिक आपूर्ति निगम (नान) में हुए कथित घोटाले की जांच कर रही है.

तीसरी एसआईटी अंतागढ़ विधानसभा उपचुनाव में कथिततौर पर हुई प्रत्याशी की खरीद-फरोख्त की जांच करने गठित हुई है.

इन मामले में भाजपा का रवैया लोगों की समझ से परे है. पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने इन विषयों पर जो प्रतिक्रिया व्यक्त की है वह भी निराशाजनक रही है.

इधर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल शुरु से कहते आ रहे हैं कि ये वो विषय हैं जिस पर प्रदेश को सच्चाई जानने का हक है. संभवत: इसी दृष्टिकोण से वह आधी-अधूरी जांच को आगे बढ़ा रहे हैं.

लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री ने जो ट्विटर पर इन विषयों को लेकर टिप्पणी की और वर्तमान मुख्यमंत्री ने उस पर जो कुछ कहा उससे दोनों के बीच रिश्तों में तल्खी उभरकर सामने आती है.

पूर्व मुख्यमंत्री को यदि वाकई भाजपा की पंद्रह साल की सरकार ईमानदार लगती है तो उन्हें जांच का स्वागत करना चाहिए था. जबकि उन्होंने इससे परे जाकर बदलापुर की राजनीति करने का कांग्रेस पर आरोप लगा दिया है.

किसी भी क्रिया की प्रतिक्रिया होती ही है. वर्तमान मुख्यमंत्री ने सिर्फ पूर्व मुख्यमंत्री के लगाए गए आरोपों को बकौल प्रतिक्रिया उठाया ही है. यदि, भूपेश बघेल ये कहते हैं कि बदलापुर की नहीं बल्कि बदलाव की राजनीति है तो वह कहां गलत हैं?

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