प्रदेश अध्यक्ष के लिए भाजपा ओपी को आजमाएगी?
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रायपुर.
अंतत: भाजपा ने नेता प्रतिपक्ष के लिए चल रहे गतिरोध को समाप्त कर लिया. प्रदेश भाजपा अध्यक्ष धरमलाल कौशिक को यह कमान सौंपी गई है. इसके साथ ही यह भी तय हो गया कि अब प्रदेश भाजपा की कमान किसी और के हाथों में होगी.
जब बात प्रदेश अध्यक्ष के नए चयन को लेकर हो रही है तो इसे लेकर एक नाम जो सामने आ रहा है वह है ओपी चौधरी का. आईएएस अफसर रहे ओपी चौधरी ने हालही में भाजपा प्रवेश के बाद खरसिया विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा था. यहां उन्हें शहीद नंदकुमार पटेल के पुत्र उमेश पटेल के हाथों करारी हार का सामना करना पड़ा.
लेकिन इस हार के बाद भी भाजपा ओपी चौधरी की उपयोगिता को लेकर काफी आश्वस्त है. प्रशासनिक अनुभवों से लैस युवा चौधरी की ओर भाजपा अब भी आशा भरी निगाहें लगाए हुए है. केंद्रीय नेतृत्व भी उनकी भूमिका को लेकर गंभीर दिखाई देता है.
युवा हैं, पिछड़ा वर्ग को प्रभावित करेंगे!
इसमें कोई संशय नहीं कि भाजपा प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए ओपी चौधरी भी एक उभरता नाम है. हालांकि वरिष्ठ नेताओं के बीच उनके नाम पर मुहर लग पाना थोड़ा मुश्किल है लेकिन उनकी ऊपर की पकड़ और राज्य के राजनीतिक पक्ष को देखते हुए वे मजबूत दावेदार हैं.
उनके पक्ष में जाते तथ्यों की ओर देखें तो ओपी चौधरी युवा आईकॉन हैं. वे चुनाव जरुर हारे हैं लेकिन युवा के साथ उनकी पैंठ बेहतर हो सकती है. इसी बहाने भाजपा ओबीसी वर्ग का एक बड़ा नेता भी तैयार करने का मौका जुटा लेगी जो कि बहरहाल भाजपा के पास नहीं है.
वरिष्ठ नेताओं की मौजूदगी में अब तक कोई नया नेतृत्व भाजपा में सामने नहीं आ सका है. ओपी चौधरी की दस्तक वैसी ही हो सकती है जैसी डॉ. रमन सिंह ने अपने राजनीतिक करियर के साथ दी थी.
चौधरी के पक्ष में और जो बातें हैं वह है उनका प्रशासनिक अनुभव. इसके अलावा वे पिछड़ा वर्ग से आते हैं. प्रदेश में पिछड़ा वर्ग का रुतबा कितना है इसका अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि भारी बहुमत लाने के बाद भी कांग्रेस से मुख्यमंत्री के लिए अंतिम दो उम्मीदवारों में दोनों ही पिछड़ा वर्ग से थे. और इसके बाद कमान मिली भूपेश बघेल को.
संदेह नहीं कि भाजपा भी अब नेतृत्व के लिए नई पीढ़ी के राजनेता तैयार करने की हिमायती होगी. वो भी उस स्थिति में जब उनके पास ओपी चौधरी जैसा नाम हो.