डोंगरगांव बलवा कांड में पुलिस की कार्रवाई सवालों के घेरे में, दोनों पक्षों ने लगाए गंभीर आरोप
राजनांदगांव। डोंगरगांव में हुए बलवा कांड में पुलिस गंभीरता से जांच नहीं कर पा रही है। पुलिस की कार्रवाई लगातार सवालों के घेरे में है। वहीं बलवा कांड में शामिल दोनों ही पक्ष के लोगों ने पुलिस की कार्यशाली पर सवाल खड़े करते हुए जांच अधिकारी बदलने और जांच नए सिरे से करने को लेकर मांग कर रहे हैं।
पत्रकारवार्ता लेकर आज मामले में प्रार्थी भानबाई यादव ने बताया कि डोंगरगांव पुलिस मामले में उनके तथा उनके परिवार वालों के ऊपर जबरदस्ती एफआईआर दर्ज कर दी है, जिसके चलते उन्हें मानसिक तौर पर प्रताड़ित होना पड़ रहा है। श्रीमती यादव ने बताया कि बीते 20 नवंबर को नागपुर से गुर्गे बुलाकर उनके घर में बलात घुसकर उनके पति को तथा पुत्र को जान से मारने की धमकी दी गई, इसके बाद होटल पहुंचकर उनसे मारपीट की गई। बावजूद इसके पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ एफआईआर तो दर्ज कर ली, लेकिन ठीक 1 दिन बाद पुलिस ने आरोपी पक्ष रिपोर्ट के आधार पर उनके परिवार के सदस्यों पर जबरदस्ती अपराध पंजीबद्ध कर लिया है, जबकि घटना में परिवार के सदस्य शामिल ही नहीं थे, इसके सारे साक्ष्य पुलिस को देने के बाद भी पुलिस ने अब तक मामले में उनके तथा उनके परिवार वालों को कोई भी राहत नहीं दी है बल्कि लगातार उन्हें मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा है।
पत्रकार वार्ता लेकर के दूसरे पक्ष के आरोपी त्रिलोचन देवांगन ने मीडिया को बताया कि उनके और उनके मेहमान के साथ मारपीट की गई है और मारपीट के बाद थाने में अपराध पंजीबद्ध होने के बाद भी पुलिस आरोपियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर रही है, आरोपी खुलेआम घूम रहे हैं, जिससे पुलिस की कार्रवाई को लेकर के उन्होंने सवाल खड़े किए हैं। देवांगन का कहना है कि मामले में पुलिस त्वरित रूप से कार्रवाई करते हुए आरोपियों को गिरफ्तार करें और मामले की उच्च स्तरीय जांच करें।
बीते 20 नवंबर को पुरानी रंजिश के तहत योगेश दोष के संचालक योगेश देवांगन और त्रिलोचन देवांगन ने नागपुर से गुंडे बुलवाकर गौतम होटल के संचालक भानु यादव और उनके परिवार के लोगों को जान से मारने की धमकी दी और उनकी पत्नी के साथ होटल पहुंचकर मारपीट की। इस बीच गांव के नागरिकों ने लगातार बाहर से आए लोगों को समझाइश देते रहे, लेकिन हथियारों से लैस गुर्गो ने नागरिकों की एक नहीं सुनी, इसके चलते आक्रोश गहरा गया और नागरिकों ने बाहर से आए लोगों की जमकर पिटाई कर दी।
पुलिस की जांच सवालों के घेरे में है, जिसमें यादव परिवार पर दर्ज एफआईआर गलत प्रतिशोधात्मक प्रतीक हो रही जिस पर विधिवत जांच की मांग की जा रही। मामले में काउंटर ब्लास्ट एफआईआर दर्ज की गई है, जो कि पुलिस की कार्यशाली पर सवाल खड़े कर रही है।
घटनास्थल का सीसीटीवी फुटेज देवांगन परिवार को दोषी दिखाता है। वही भानभाई यादव द्वारा सौंप गए सीसीटीवी फुटेज को जांच में नहीं लिया गया है, जिसके आधार पर यादव परिवार के सदस्य दोषी प्रतीत नहीं हो रहे हैं। देवांगन परिवार द्वारा दर्ज कराई गई एफआईआर में यादव परिवार के लोगों को आरोपी बनाया गया है जबकि वह घटनास्थल पर मौजूद ही नहीं थे। मोबाइल लोकेशन, कॉल रिकॉर्ड व गवाह इसे सिद्ध करते हैं, लेकिन फिर भी एफआईअर में शामिल कर लिया गया। इसे पुलिस की गंभीर लापरवाही बताया गया है। मामले में मेडिकल बोर्ड द्वारा दोबारा जांच की मांग की गई है। थाना-स्तर जांच पक्षपातपूर्ण/एकतरफा बताई जा रही। सीसीटीवी, गवाह, मेडिकल तथ्य आदि को पुलिस ने अनदेखा किया। जांच अधिकारी पर दुर्भावनापूर्ण व्यवहार तथा मिलीभगत के आरोप यादव परिवार ने लगाए गए।

