लक्ष्मी – नारायण उपासना का मास है अगहन
www.nationalert.in
दुर्गूकोदल/9770656789.
हिंदुओं के पवित्र अगहन यानिकि मार्गशीर्ष मास में सनातनियों के घर घर में तुलसी सहित महालक्ष्मी और विष्णु पूजे जा रहे हैं. ज्ञात हो कि अगहन माह का शुभारँभ इस मर्तबा 6 नवँबर यानिकि उस गुरूवार से हुआ है जिसे इस माह बेहद शुभ माना जाता है.
धार्मिक जानकारों के मुताबिक यह पवित्र मास कार्तिक पूर्णिमा के अगले दिन प्रारँभ होकर 4 दिसँबर 2025 को मार्गशीर्ष पूर्णिमा के साथ पूर्ण होगा. पँडित तामेश्वर प्रसाद तिवारी के मुताबिक धार्मिक मान्यता है कि यह सँपूर्ण मास जप, तप, ध्यान और लक्ष्मी – नारायण उपासना के लिए अत्यँत शुभ माना जाता है. इसी मास में आने वाले सभी गुरुवार महालक्ष्मी व्रत के रूप में मनाए जाते हैं.
पहला अगहन गुरुवार व्रत 6 नवँबर 2025 को विधिवत रूप से प्रारँभ हुआ. इस दिन सुहागिन महिलाओं ने विशेष रूप से माता लक्ष्मी की आराधना की.
पँडित तिवारी बताते हैं कि लक्ष्मी जी को विष्णु के श्रीचरणों में सदैव विराजमान माना गया है, इसलिए यह व्रत लक्ष्मी – नारायण की सँयुक्त आराधना का प्रतीक है. मान्यता है कि इस व्रत से घर में धन, ऐश्वर्य, अन्न और सुख – शाँति स्थायी रूप से बनी रहती है.
विशेष उपाय :
सुहागिन महिलाओं को बुधवार की रात घर की सँपूर्ण साफ – सफाई कर लेनी चाहिए. अगले दिन गुरुवार को श्रद्धा से पूजा करनी चाहिए. मान्यता है कि इससे माता लक्ष्मी प्रसन्न होकर स्थायी रूप से घर में वास करती हैं.
धन का सँयम :
व्रत के बाद सलाह दी जाती है कि घर की ‘लक्ष्मी’ अर्थात् धन – जमा और गृहव्यवस्था को बिना आवश्यकता के व्यय न किया जाए, ताकि घर में समृद्धि बनी रहे.
दीपदान:
गुरुवार की शाम घर के द्वार पर दीप जलाकर रोशनी करें. इससे माता लक्ष्मी प्रसन्न होकर आशीर्वाद प्रदान करती हैं.
शाँत मन से पूजा:
श्रद्धा और पवित्र भाव से लक्ष्मी जी की उपासना करने से घर में खुशहाली और आनंद का आगमन होता है.
लक्ष्मी और तुलसी का सँयुक्त पूजन:
मान्यतानुसार इस दिन तुलसी और लक्ष्मी की साथ में पूजा करने से स्थायी धन और सौभाग्य प्राप्त होता है.
लक्ष्मी चरण चिह्न:
सुबह घर के मुख्य द्वार पर माता लक्ष्मी के चरण चिह्न बनाकर पूजा करने से घर में समृद्धि और शुभ फल की निरँतरता बनी रहती है.

