क्या आबकारी विभाग में सब ठीक है ?
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नेशन अलर्ट/जनचर्चा.
एसीबी-ईओडब्यू, ईडी-सीबीआई जैसी जाँच एजेंसियों की कार्रवाई झेल रहा आबकारी विभाग क्या वाकई सुधर गया है ? क्या उसके मुलाजिम नियम, कायदे-कानून का पालन करने लगे हैं ? क्या विभाग में ऊपर से नीचे तक सब ठीक हो चुका है ?
यदि आप इन जैसे कई सवालों के जवाब जानना चाहते हैं तो राजधानी रायपुर से महज 70 किमी दूर राजनाँदगाँव होकर आ जाइए. राजनाँदगाँव कल भी महत्वपूर्ण था और आज भी महत्वपूर्ण है.
कल मुख्यमंत्री का निर्वाचन जिला था. फिर पूर्व मुख्यमंत्री का निर्वाचन जिला हुआ. फिलहाल विधानसभा अध्यक्ष के निर्वाचन जिले का दर्जा इसे प्राप्त है. उसी राजनाँदगाँव में आबकारी विभाग कैसे चल रहा है इसकी एक बानगी यहाँ प्रस्तुत है.
अमित मिश्रा. . . छोटा सा नाम लेकिन कारनामे बडे़ बडे़. पहले लोकेशन अधिकारी हुआ करते थे. कुछ साल पहले निर्धारित मूल्य से अधिक कीमत में शराब बिकवाने का आरोप सही पाए जाने पर इन्हें ब्लैक लिस्टेड कर दिया गया था.
कायदे से इसके बाद विभाग से (का) अमित मिश्रा नाम के शख्स से कोई लेनादेना नहीं होना चाहिए था लेकिन ऐसा हो नहीं पाया. आज भी इनके क्रियाकलाप से विभाग जैसे जूझ ही रहा है.
अभिषेक तिवारी जैसे ईमानदार अधिकारी को इनके बिछाए हुए जालों को तोड़ने दो चार होना पड़ रहा है. अधीनस्थ कर्मचारियों अधिकारियों को नोटिस थमानी पड़ रही है. जैसेकि उन्होंने करीब पखवाडे़ भर पहले सहायक आबकारी अधिकारी कुसुमलता झोले को थमाई थी.
उन पर आरोप लगते रहे हैं कि वह कथित तौर अमित मिश्रा की “विभागीय सहयोगी” हैं. कोचियों को शराब बेचे जाने के मामले में ये नाम सुनाई पड़ते रहे हैं. पहले घुमका, टेडे़सरा क्षेत्र में यह सब हुआ और अब चिखली, मँडी बाइपास इलाके की दुकानों से यही सब हो रहा है ऐसा सुनाई पड़ता है.

