जोशी समर्थकों ने कहाँ और क्यूँ कराया यज्ञ ?
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नेशन अलर्ट/जनचर्चा
जनचर्चा बताती है कि इन दिनों सँजय विनायक जोशी सरीखा नाम भाजपा में बेहद महत्वपूर्ण और गँभीर सुर्खियों में है. हो भी क्यूँ न . . . भाजपा जैसी ऊर्जावान पार्टी के सँभावित राष्ट्रीय अध्यक्ष पद की दौड़ में जो नाम बरबस सुनाई दे वह सुर्खियाँ तो बटोरता ही है.
दरअसल, भाजपा के भीतर और बाहर बीते कुछेक माह से शह और मात का खेल जबर्दस्त तरीके से खेला जा रहा है. जोशी जी कहीं न कहीं इस खेल के केंद्रबिंदु बने हुए हैं.
अब हो रहा है, तब हो रहा है, के बीच सँजयजी ने अपनी उपयोगिता पहले ही साबित कर रखी है. तभी तो राष्ट्रीय स्वयं सेवक सँघ उन्हें किसी भी कीमत पर राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाने का दबाव भाजपा पर बनाए हुए हैं.
वह भाजपा (अतीत की) जो अनुशासित कैडर बैस पार्टी से कहीं ज्यादा आज किसी नेता की पिछलग्गू बनी नज़र आती है. ऐसा यदि नहीं है तो फिर क्यूँ सँघ चाहकर भी जोशी का राजतिलक नहीं कर पा रहा है ?
इन सब के मध्य जोशी जी को चाहने वाले और नापसंद करने वालों में बेचैनी धीरे धीरे बढ़ रही है. दाँव पर दाँव चले जा रहे हैं.
इन्हीं में से एक दाँव ईश्वर को मनाने का भी है. और इसके लिए नागपुर से तकरीबन लगे हुए छत्तीसगढ़ को चुना गया था. उल्लेखनीय है कि नागपुर सँघ का मुख्यालय होने के साथ साथ सँजयजी की जन्मभूमि भी है.
अब यह तो नहीं मालूम कि सँजयजी को ऐसे किसी यज्ञ की खबर है कि नहीं लेकिन माना जा रहा है अध्यक्ष बनने पर वह उस मँदिर में शीश नवाने आ सकते हैं जहाँ पर इसे करवाया गया है.
बताते हैं कि ऐसा सँकल्प जोशी समर्थकों ने छोडा़ था. अब वाकई यदि यह खबर सही है तो आने वाले समय में नागपुर – बिलासपुर के मध्य का यह शहर और यहाँ बसने वाले जोशी समर्थकों की किस्मत खिल उठेगी.

