जूनीगादी : तीन सौ साल पुराना थान !
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ओसियाँ.
माँ सच्चियाय की इस नगरी में माँ मोतियाँवाली का जो थान है वह एक दो नहीं बल्कि तीन सौ साल से भी ज्यादा पुराना है. इस थान की महिमा ऐसी है कि यहाँ देश विदेश से माँ के भगत आते हैं.
सच्चियाय माँ के विश्व प्रसिद्ध मँदिर जाने के रास्ते पर यह छोटा सा लेकिन बडा़ प्यारा सा रानी भटियानी सा का मँदिर है. इस मँदिर की देखरेख का जिम्मा फिलहाल सुरेश जी छँगानी सँभाल रहे हैं.

सूनी गोद में गूँजती है किलकारी . . .
सुरेश जी छँगानी बताते हैं कि वह अपने परिवार के चौथे सदस्य हैं जोकि माँ माजीसा की सेवा में लगे हुए हैं. मतलब उनके दादा परदादा के समय से माँ की सेवा की जा रही है.
बीच में उनके परिवार ने सेवा से मुँह मोड़ लिया तब छँगानी जी का बचपन बहुत मुश्किल में बीता. वह इतना बीमार रहने लगे थे कि उनके बचने की उम्मीद नहीं रही होगी. इसके बाद जब माँ का परचा हुआ तब समस्या और समाधान समझ आया.

इसके बाद से वह जसोलवाली माँ की सेवा में जुट गए. वे बताते हैं कि यह थान ऐसा है कि यहाँ सूनी गोदी अचानक ही किलकारी से गूँजने लगती है. मतलब यहाँ निसँतान दँपतियों को बच्चे आशीर्वाद स्वरूप मिलते हैं.
बहरहाल, सुरेश जी छँगानी को आज तकरीबन 25 साल हो गए होंगे जबसे वह माँ मोतियाँवाली की सेवा में लगे हुए हैं. उनके अनुसार यह एक ऐसा थान है जहाँ जाजम लगती है नहीं तो शेष थानों में गद्दी की पूजा होती है. इस थान पर लाल बन्ना सा का पालना और सँवाईसिंह जी भोमिया की छडी़ माँ के मायके (जोगीदासधाम) से आई हुई है.

