रायल्टी पर्ची पर सील लगाने वाला व्यक्ति कर्मचारी नहीं, अधिकारी को खबर भी नहीं !
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रायपुर/राजनांदगाँव.
एक दो नहीं बल्कि पूरे 35 सालों से एक व्यक्ति खनिज विभाग के दफ़्तर में हाजिरी बजा रहा है और वह भी कर्मचारी हुए बगैर . . . और तो और विभागीय फाइलों को यह व्यक्ति लाता ले जाता है. रायल्टी पर्ची पर सील लगाने वाले इस तथाकथित व्यक्ति की जानकारी कथित तौर पर खनिज अधिकारी को भी नहीं है.
खनिज विभाग का यह बड़ा कारनामा राजनांदगाँव जिले का है. वहाँ पर बिना किसी नियुक्ति के वर्षों से विभाग में यह घोषित अथवा अघोषित कर्मचारी कार्य पर है.
राजनांदगाँव कलेक्टोरेट की जानकारी रखने वाले बताते हैं कि इस कथित कर्मचारी का नाम ओंकार सिंह चौहान है. ओंकार जी को ग्राम सोमनी का निवासी बताया जाता है.
जानकारों के मुताबिक बीते 35 सालों से वह खनिज विभाग के राजनांदगाँव जिला स्तरीय दफ़्तर में हाजिरी बजाते आ रहे हैं. वह भी बिना किसी रोकटोक के अथवा बगैर किसी गैर हाजिरी के.
आश्चर्यजनक बात यह बताई जाती है कि इस व्यक्ति को आज दिनाँक तक सेवा में अधिकृत रूप से नहीं रखा गया है. बावजूद इसके यह व्यक्ति बिना किसी नागा के सही समय पर दफ़्तर में हाजिर हो जाता है. ऐसी कर्त्तव्यनिष्ठता तो स्थाई अथवा अस्थाई कर्मचारी भी नहीं दिखाते हैं.
क्या कहते हैं ओंकार . . ?

दरअसल, मामला गँभीर है. विभाग की गोपनीयता के लिए भी और कथित कर्मचारी के भविष्य के लिए भी. वह तो भला हो कि इतने सालों में कोई गड़बडी़ नहीं हुई.
. . . लेकिन नहीं ही होगी इसकी जिम्मेदारी कौन ले सकता है ? खनिज विभाग के जिला स्तरीय दफ़्तर राजनांदगाँव में पदस्थ छोटे बडे़ पदों पर बैठे कर्मचारी अधिकारी बडी़ मासूमियत से उक्त व्यक्ति को सालों से सेवारत बता देते हैं.
वह कहते हैं कि ओंकार जी इस कार्यालय में चाय पानी पिलाते हैं. साथ ही साथ वह फाइलों को लाने ले जाने में भी हाथ बँटाते हैं. रायल्टी पर्ची पर सील मुहर लगाने का काम भी वह देख लेते हैं.
जब हमने ओंकार जी से बात की तब भी वह किन्हीं फाइलों को निकाल रहे थे. उन्होंने कहा कि खनिज ठेकेदारों द्वारा जो पैसा, रायल्टी पर्ची पर सील लगाने के बाद दिया जाता है या उनकी फाइलों को ऑफिस में इधर से उधर करने पर कुछ राशि दी जाती है उसी से उनका गुजर बसर चलता है.
यह तो बात ओंकार जी की ईमानदारी अथवा साफगोई की लेकिन विभाग के अधिकारी ऐसा नहीं मानते. तभी तो जिला खनिज अधिकारी की जिम्मेदारी सँभाल रहे
प्रवीण चँद्राकर किंतु परँतु करते हैं.
चँद्राकर अथवा उनके पहले पदस्थ रहे अधिकारियों की भूमिका पर भी सवाल उठते हैं. बहरहाल, चँद्राकर पहले तो कह देते हैं कि वह व्यक्ति हफ्ते में एक या दो बार आता है.
फिर जैसे उन्हें अपनी गलती का अहसास हुआ हो सो उन्होंने अपनी बात को सुधारते हुए कहा कि –
“इस विषय में मुझे कोई जानकारी नहीं है .”

