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शराबी हो रही हैं महिलाएँ !

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नईदिल्ली.

देश की राजधानी क्षेत्र की महिलाओं में शराब सेवन की प्रवृत्ति बढ़ रही है. हालाँकि देश के व्यापक दृष्टिकोण में महिलाओं के साथ साथ पुरुषों में भी शराब से पीछा छुडाने की प्रवृत्ति बढी़ है.

शराब व इसके सेवन को लेकर इन दिनों देश में एक तरह से बहस छिडी़ हुई है. देश की सँसद में भी बजट सत्र के दौरान यह मुद्दा उठ चुका है.

सवाल का जो जवाब जिस रपट के आधार पर दिया गया उसने देश के एक एक राज्य की आबादी का सच बताया है. महिलाओं में शराब सेवन बढ़ अथवा घट रहा है इस पर भी बहुत कुछ कहा जा रहा है.

एक तरफ घटा तो दूसरी तरफ बढ़ रहा प्रतिशत . . .

स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग ने एक अध्ययन करवाया था. विभाग की राज्यमँत्री श्रीमती अनुप्रिया पटेल ने इसी अध्ययन के आधार पर तैयार रपट सँसद में रखी थी.

रपट के कुछ हिस्से चौंकाने वाले हैं. मतलब एक तरफ शराब सेवन का प्रतिशत घटा बताया जा रहा है तो दूसरी तरफ उसमें वृद्धि भी बताई जा रही है.

रपट में 2015 -16 और 2019 – 21 के आँकड़ों का हवाला दिया गया है. 2015 -16 के आँकड़ों पर गौर करें तो भारत में 15 वर्ष से लेकर 49 साल तक के नागरिकों में शराब सेवन की लत भविष्य में कम हो गई.

मतलब 2015 – 16 में देश की शराब पीने वाली महिलाओं का प्रतिशत 01.02 था तो वह 2019 – 21 में घटकर 00.07 ही रह गया था.

यही हाल पुरुषों का भी रपट बताती है. देश के 29.2 प्रतिशत पुरुष 2015 – 16 में शराब पीने के आदी थे. इनकी सँख्या घटकर 2019 – 21 में 22.04 फीसद रह गई.

दूसरी तरफ देश की राजधानी दिल्ली में शराब प्रेमी बढ़ रहे हैं. फिर वो चाहे पुरुष हों अथवा महिला दोनों में ही शराब की लत बढ़ने की खबर है जिससे बढ़ते तनाव को भी जिम्मेदार बताया जा रहा है.

अकेले दिल्ली में ही शराब पीने वाली महिलाओं अथवा इसका सेवन करने वाले पुरुष बेतहाशा बढ़ रहे हैं. वर्ष 2015 – 16 के दौरान दिल्ली की आबादी की महज 0.6 फीसद महिलाएँ शराब पीती थीं.

लेकिन 2019 – 21 के आते आते इसमें वृद्धि बताई गई है. अब यह आँकडा़ 1.4 प्रतिशत हो गया है.

यही हश्र शराब पसँद करने वाले पुरुषों के साथ हुआ है. दिल्ली में अब पुरुष भी ज्यादा शराब पी रहे हैं. उनकी संख्या 24.7 प्रतिशत से बढ़कर 27.9 प्रतिशत हो गई है.

दूसरी तरफ बात बिहार की भी हो जाए. यह वही राज्य है जहाँ शराब पर पूरी तरह से प्रतिबँध हाल के वर्षों में लागू किया गया. इसके बावजूद खपत पूरी तरह से खत्म नहीं हो पाई.

बिहार के आँकड़ों पर नज़र डालें तो वहाँ 2015 – 16 में आबादी के 28.9 प्रतिशत पुरुष शराब सेवन किया करते थे. 2016 ही वह साल था जब बिहार में पूर्ण शराबबँदी लागू की गई.

इसके बावजूद बिहार की आबादी के 17 प्रतिशत पुरुष अब भी शराब प्रेमी बने हुए हैं. मतलब पूर्ण शराबबँदी भी इसकी लत छुडाने का कोई कारगर उपाय नहीं है बल्कि इससे जहरीली शराब की खपत बढ़ जाती है.