सायबर अपराध के अंतर्राष्ट्रीय गिरोह के सदस्य गिरफ्तार

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राजनांदगांव। प्रार्थी रूपेश साहू संचालक च्वाईस सेंटर, स्टेशन रोड, निवासी-लखोली, राजनांदगांव ने थाना सिटी कोतवाली, राजनांगदगांव में उपस्थित होकर रिपोर्ट दर्ज कराया कि उसके बैंक ऑफ बड़ोदा स्थित बैंक खाता में दिनांक 22.12.2024 को राजनांदगांव निवासी आशुतोष शर्मा के द्वारा धोखाधड़ीपूर्वक कहीं से ठगी गई रकम कुल 90000 रूपये को मंगाने से प्रार्थी का उक्त बैंक खाता फ्रीज हो गया है। प्रार्थी की सूचना पर आरोपी आशुतोष शर्मा के विरूद्ध अपराध क्रमांक 33/25 धारा 318 (4) बीएनएस, 66 (सी) आईटी एक्ट पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया था। वर्तमान में बढ़ रहे सायबर अपराधों में म्यूल बैंक एकाउण्ट के उपयोग को देखते हुए कड़ी कार्यवाही हेतु पुलिस अधीक्षक मोहित गर्ग के निर्देशन में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक राहुल देव शर्मा के मार्गदर्शन में नगर पुलिस अधीक्षक पुष्पेन्द्र नायक के पर्यवेक्षण में थाना प्रभारी कोतवाली निरीक्षक रामेन्द्र सिंह एवं प्रभारी सायबर सेल निरीक्षक विनय कुमार पम्मार के नेतृत्व में संयुक्त टीम गठित कर आरोपियों की पता-तलाश करने हेतु टीम गठित किया गया। पुलिस टीम द्वारा सर्वप्रथम आरोपी आशुतोष शर्मा से कड़ाई से पूछताछ की गई। आशुतोष शर्मा ने बताया कि श्रेणिक उर्फ अजय मेहेर, निवासी-वल्साड, गुजरात के कहने पर आरोपी शुभम तिवारी निवासी-डोंगरगढ़ व दीपक नरेडी व अन्य साथियों के साथ मिलकर उसके द्वारा प्रार्थी रूपेश साहू, स्वयं के अपने परिवार एवं अन्य परिचितों के बैंक खातों को श्रेणिक उर्फ अजय मेहेर, निवासी-वल्साड गुजरात को उपलब्ध कराया है। आरोपी आशुतोष के मेमोरण्डम कथन व निशादेही पर तत्काल सायबर सेल की टीम सायबर प्रभारी विनय कुमार पम्मार के नेतृत्व में आरोपी श्रेणिक उर्फ अजय मेहेर को पकड़ने दिनांक 24.01.2025 को रवाना हुए थे। श्रेणिक उर्फ अजय मेहेर जो कि शतिर ठग है, फर्जी नाम, फर्जी मोबाईल नंबर, फर्जी व्हाट्सएप व फर्जी सिम उपयोग करता है को देखते हुए सायबर की टीम द्वारा श्रेणिक उर्फ अजय मेहेर को बैंक एकाउण्ट उपलब्ध कराने के बहाने रेल्वे स्टेशन के पास वल्साड गुजरात बुलाने पर स्वयं एकाउण्ट लेने पहुंचा, जिसे टीम द्वारा घेराबंदी कर दिनांक 25.01.2025 की रात्रि हिरासत में लेकर दिनांक 26.01.2025 को थाना सिटी कोतवाली राजनांदगांव लाकर माननीय न्यायालय राजनांदगांव की अनुमति से विधिवत् पुलिस हिरासत में रखकर पूछताछ किया गया। आरोपी श्रेणिक सांघवी उर्फ अजय मेहेर ने अपने मेमोरण्डम कथन में बताया कि वह जून माह 2024 में अपने अन्य भारतीय साथियों के साथ कंबोडिया गया था, जहां कसीनों में चल रहे कॉल-स्कैम सेंटर विजिट किया था। आरोपी श्रेणिक सांघवी के अन्य साथी जो कि पूर्व से कंबोडिया में रहकर अंतर्राष्ट्रीय सायबर ठग गिरोह में चायनीज लोगों के साथ मिलकर भरतीयों के साथ ठगी करते हैं के साथ कंबोडिया में करीब सप्ताह भर रूक कर भारतीयों के बैंक खाता लेकर कॉल-स्कैम सेंटर में उपलब्ध कराने का काम किया था, जो किसी कारणवश भारत वापस आकर मुंबई में अपने अन्य साथियों के साथ रहकर पुनः डोंगरगढ़ के शुभम तिवारी, राजनांदगांव के आशुतोष शर्मा, दीपक नरेडी के माध्यम से बैंक खाता, चेकबुक, एटीएम कार्ड, रजिस्टर्ड मोबाईल नंबर लेकर खाता की जानकारी कंबोडिया स्थित कॉल-स्कैम सेंटर में उपलब्ध कराता था। कंबोडिया कॉल-स्कैम सेंटर में बैठे सायबर ठगों द्वारा भारतीयों से सायबर ठगी की रकम को श्रेणिक के दिये गये बैंक खातों में डलवाते थे, उक्त म्यूल बैंक खातों को आरोपी श्रेणिक स्वयं हैंडल करता था, उन खातों में ठगी की रकम आने पर कंबोडिया के कॉल-स्कैम सेंटर संचालक के कहने पर पुनः नगद, चेक व यूपीआई के माध्यम से विड्रा कर आरोपी श्रेणिक के द्वारा विभिन्न बैंक एकाउण्ट में तथा भारतीय मुद्रा को विभिन्न माध्यमों से क्रिप्टो करेंसी में कनवर्ट कर कंबोडिया चायनीज सायबर ठगों को भेजा करता था। इसके एवज में श्रेणिक को 8 से 9 प्रतिशत तथा आशुतोष वगैरह को 4 प्रतिशत तथा शुभम व दीपक को प्रति एकाउंट के एवज में 35 हजार रूपये तक कमीशन प्राप्त होता था। प्रकरण में उक्त गिरोह द्वारा उपलब्ध कराये गये कुल करीब 50 बैंक खातों के माध्यम से करीब 10 करोड़ रूपयों के ठगी की रकम का लेन-देन हुआ है, जिसकी पुष्टी भारत के गृह मंत्रालय के अधिकृत नेश्नल सायबर क्राईम रिपोर्टिग पोर्टल व समनवय पोर्टल से हुई है। उक्त पोर्टल के माध्यम से संबंधित बैंक खातों का प्रयोग कर देश के विभिन्न हिस्सों से फर्जी इनवेस्टमेंट कंपनी व शादी डॉट कॉम प्लेटफार्म में फेक प्रोफाईल बनाकर फर्जी कंपनी में निवेश करने हेतु उकसाना, टास्क कम्पलीट व जॉब के नाम पर करोड़ों की सायबर ठगी होने एवं उसमें शिकायत दर्ज होने की भी जानकारी मिली है। प्रकरण में म्युल बैंक एकाउंट उपलब्ध कराने वाले अन्य आरोपी शुभम तिवारी तथा दीपक नरेडी को आज दिनांक 31.01.2025 को विधिवत गिरफ्तार किया गया है। प्रकरण में गिरफ्तार उक्त तीनों आरोपियों को आज माननीय न्यायालय रिमांड हेतु पेश किया गया हैं। प्रकरण के आरोपी आशुतोष से पूछताछ की जा रही है। गिरफ्तार आरोपियों से पूछताछ के दौरान पायें गये तथ्यों एवं साक्ष्यों के आधार पर छत्तीसगढ़ के अलावा विभिन्न राज्यों में सक्रिय म्यूल एकाउंट प्रोव्हाईड करने वाले गिरोह की पतासाजी की जा रही है।
उपरोक्त कार्यवाही में थाना कोतवाली से थाना प्रभारी निरीक्षक रामेन्द्र सिंह, उनि धनीराम नारंगे, सायबर सेल से प्रभारी सायबर सेल निरीक्षक विनय कुमार पम्मार, सउनि द्वारिका प्रसाद लाउत्रे, प्रधान आरक्षक बसंत राव, आरक्षक अवध किशोर साहू, अमित सोनी, हेमंत साहू, आदित्य सिंह, धीरज डडसेना, जोगेश राठौर एवं अन्य स्टाफ की अहम भूमिका रही।
म्यूल अकाउंट आमतौर पर धोखाधड़ी और साइबर क्राइम से संबंधित उपयोग किया जाने वाला शब्द है। यह ऐसे बैंक अकाउंट है जिसका उपयोग अपराधी अवैध रूप से पैसे ट्रांसफर करने या छिपाने के लिए करते हैं।

कैसे काम करता है म्यूल अकाउंट
अपराधी किसी व्यक्ति को टारगेट करते है, जो जानबूझकर या अनजाने में अपना बैंक अकाउंट इस्तेमाल करने की अनुमति देता है। अपराधी उस अकाउंट का उपयोग करके धोखाधड़ी से कमाए गए पैसे को ट्रांसफर करते हैं। पैसे को कई अकाउंट्स में ट्रांसफर किया जाता है, ताकि इसे ट्रैक करना मुश्किल हो।
म्यूल अकाउंट बनने वाले व्यक्ति कौन हो सकते हैं?
ऐसे लोग जिन्हें इसकी जानकारी नहीं होती कि उनके अकाउंट का गलत इस्तेमाल हो रहा है। आर्थिक रूप से कमजोर लोग जिन्हें लालच देकर फंसाया जाता है। कभी-कभी लोग जानबूझकर भी इस प्रक्रिया में शामिल होते हैं और अपराधियों की मदद करते हैं।

इससे बचने के तरीके
अनजान लोगों को अपना अकाउंट विवरण न दें। कोई भी संदिग्ध ऑफर या बड़ी रकम का लालच न लें। अपने बैंक अकाउंट की नियमित जांच करें। अगर कोई ऐसा प्रस्ताव मिलेए तो तुरंत पुलिस या साइबर सेल से संपर्क करें। म्यूल अकाउंट का उपयोग गैरकानूनी होता हैए और इसमें शामिल होना या मदद करना भी अपराध है।

राजनांदगांव पुलिस की अपील
आम जनता से अपील है कि किसी के कहने पर अपना बैंक खाताए मोबाईल सिमए चेकबुकए एटीएम कार्ड ना देवें। आरोपियों द्वारा इसका उपयोग सायबर ठगी करने के उपयोग में करते हैं। खाताधारक अपने बैंक खाता को किराये पर देनेए कमीशन पर देने और बेचने का काम करते हैं इन बैंक खातों को म्यूल एकाउण्ट कहा जाता है। सायबर ठगों द्वारा इसका उपयोग कर अपने देश में और दूर देशों में बैठ कर गेमिग एप्प, गेम्बलिंग एप्प, फर्जी ट्रेडिंग एप्प, सेक्सट्रासन, डिजिटल एरेस्ट एवं विभिन्न प्रकार के सायबर ठगी का काम कर करोड़ों रूपये लोगों से ठगते हैं, जिनके नाम से यह बैंक खाता है वह भी सायबर ठगी के अपराधी हैं, इस लिये ऐसे किट-म्यूल एकाउण्ट देने वाले खाताधारक व देश-विदेशों में इन म्यूल एकाउण्ट को प्रोवाईड कराने वालों के विरूद्ध भी अपराध पंजीबद्ध होगा और वे जेल जाने के भागीदार होंगे। इस लिए पुनः लोगों से अपील है कि किसी के कहने पर अपना बैंक खाता, मोबाईल सिम, चेकबुक, एटीएम कार्ड किसी को ना दें।

(यह खबर टीम नेशन अलर्ट द्वारा संपादित नहीं की गई है. जैसी मिली वैसी प्रकाशित हुई है. अत: नेशन अलर्ट किसी भी तरह की गल्ती के लिए जिम्मेदार नहीं है.)