नक्सली सुधाकरण के प्रभाव से फैला सत्यनारायण का काम
रायपुर/राजनांदगांव।
नक्सलियों की सेंट्रल कमेटी के मेंबर सुधाकरण के सहारे सत्यनारायण रेड्डी ने अपने काम-काज को विस्तार दिया। सत्यनारायण ने राजनांदगांव सहित पड़ोसी राज्यों के बालाघाट, रांची, गढ़चिरौली जैसे स्थानों पर न केवल तेंदूपत्ता का ठेका लिया बल्कि नक्सलियों की मदद भी की। इसमेें सत्यनारायण को तेंदूपत्ता ठेकेदारों की भी मदद मिली जिसमें राजनांदगांव का एक ठेकेदार प्रमुख तौर पर शामिल बताया जाता है।
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रांची (झारखंड) पुलिस ने सितंबर के प्रथम सप्ताह में माओवादी सुधाकरण के भाई सहित बिजनेस पार्टनर सत्यनारायण रेड्डी को गिरफ्तार किया था। सत्यनारायण रेड्डी साल 1990 से सुधाकरण का करीबी रहा है। सुधाकरण माओवादी संगठन में जहां कहीं भी पदस्थ रहा, उसने वहां तेंंदू पत्ता के कारोबार में स्थानीय ठेकेदार पर दबाव डालकर पैसे की कमायी की। सत्यनारायण तेंंदू पत्ता का ठेका लेता था। झारखंड में भी सुधाकरण की पोस्टिंग के बाद सत्यनारायण यहां ठेकेदारी में लग गया था। साथ ही उसने तीन दफे सुधाकरण से मोटी रकम भी ली थी।
कैसे जुड़ा नांदगांव से लिंक
जंगल के जानकार सूत्र बताते हैं कि सारा खेल नक्सलियों के रुपयों से लेकर उनकी मदद से जुड़ा हुआ है। सूत्रों के मुताबिक तेंदूपत्ता ठेकेदार नक्सलियों से रुपए लेकर उसे ठेके में लगाकर ब्लैकमनी को व्हाईट करते हैं। व्हाईट होते ही रुपए नक्सलियों के बताए ठिकाने पर पहुंचा दिए जाते हैं। इस खेल में नांदगांव का एक ठेकेदार भी शामिल बताया जाता है।
पुलिस की निगरानी में आए इस ठेकेदार ने इस साल बालाघाट (मप्र) में ठेका लिया था। इसके पहले 2016 में इसके भाई ने झारखंड में छोटू बाबू के साथ तेंदूपत्ता का काम किया था। सत्यनारायण ने रांची पुलिस को जो बयान दिया है उसमें छोटू बाबू का नाम भी आया है ऐसा बताया जाता है। पुलिस इस बात की जांच कर रही है कि रांची सेे लेकर राजनांदगांव, बालाघाट सहित अन्य स्थानों पर इसे कब-कब कैसे-कैसे मदद मिली और इसने नक्सलियों को किस हद तक फायदा पहुंचाया।
एसपी ने कहा.. लिया था नाम
इस मामले में बालाघाट एसपी अमित सांघी ने बताया कि पहले एक ठेकेदार की गिरफ्तारी हो चुकी है। उसी ठेकेदार ने इसका नाम लिया था। पक्के सबूत जिस दिन पुलिस के हाथ लग गए तो कार्रवाई होगी।