डीएमएफ मद से भर्ती विवादों में फँसी
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राजनांदगाँव.
डीएमएफ मद से स्वास्थ्य विभाग में की गई भर्ती विवादों में फँस गई है. भर्ती में गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए इसकी शिकायत बेहद जिम्मेदार, कर्त्तव्यनिष्ठ, ईमानदार कलेक्टर सर्वश्री सँजय अग्रवाल से की गई है.
आरोप लगाने वाले बताते हैं कि एक वर्षीय सर्टिफिकेट कोर्स सीएमएलटी करने वालों से बेहद भेदभाव किया गया है. मामले की निष्पक्ष जाँच करने की माँग की जा रही है.
किसे दी गई थी प्राथमिकता . . ?
इस सँबँध में कौशल कुमार, टिकेश्वर प्रसाद, प्रमेंद्र बताते हैं कि पहले से प्राथमिकता निर्धारित थी. यहीं से खेल खेला गया है.
बताया जाता है कि मेडिकल लैब टेक्नीशियन पद के लिए पहले क्रम पर बीएमएलटी कोर्स करने वाले थे. इसके बाद क्रमशः डीएमएलटी और सीएमएलटी का क्रम निर्धारित किया गया था.
इसे छत्तीसगढ़ शासन द्वारा सँचालित पैरामेडिकल कोर्स के तहत प्रशिक्षण प्राप्त करने वालों के साथ अन्याय बताया जा रहा है. इनकी सँख्या हजारों में बताई जा रही है.
उल्लेखनीय है कि राज्य में एकवर्षीय पैरामेडिकल सर्टिफिकेट कोर्स सीएमएलटी सँचालित है. यह राज्य के डीएमई द्वारा सँचालित किया जाता है.
शिकायत करने वालों के अनुसार अन्य कोई भी कोर्स (डिग्री अथवा डिप्लोमा) का सँचालन राज्य में नहीं होता है. पूर्व में राज्य के भीतर भर्ती में सीएमएलटी वालों को प्राथमिकता दी जाती थी जोकि अब नहीं मिलती.
विभागीय जानकारों के मुताबिक अन्य प्रदेशों के विश्वविद्यालयों से बीएमएलटी, डीएमएलटी का प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले बेजा फायदा उठा रहे हैं. बिना किसी प्रशिक्षण प्राप्त करने के बावजूद यह मनमाने अँक अर्जित करते हैं.
जबकि सीएमएलटी का कोर्स करने वाले राज्य में एक साल के लिए जिला अस्पतालों अथवा मेडिकल कालेजों में अपनी सेवा देते हैं. इसके साथ ही यह प्रायोगिक व लिखित परीक्षा उत्तीर्ण करते हैं.
फिर भी सीएमएलटी कोर्स करने वालों को चयन में प्राथमिकता नहीं दी जा रही है. इससे जहाँ एक ओर सीएमएलटी का महत्व नहीं रहेगा वहीं छत्तीसगढ़ राज्य के युवा पिछड़ जाएंगे.
इस कारण भर्ती को रद्द किया जाना चाहिए. नए सिरे से भर्ती करने की माँग की गई है. युवाओं ने कहा है कि सीजी डीएमई से प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले सीएमएलटी कोर्स करने वालों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए.