बस्तर जाने से डर गया शहीद का बेटा
विक्रम बाजपेयी/रायपुर।
क्या कांग्रेसियों को बस्तर जाने से डर लगता है? क्या नक्सलवाद कांग्रेसियों के दिलो-दिमाग पर हावी है? क्यों शहीद का बेटा होने का तमगा लपेटे हुए राजनीति कर रहे कांग्रेसी अपने ही राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राहुल गांधी के कार्यक्रम से कन्नी काट रहे थे? ये सवाल इसलिए किए जा रहे हैं क्यूंकि राहुल गांधी के दो दिवसीय बस्तर प्रवास के दौरान एक पूर्व विधायक के सुपुत्र की बस्तर से दूरी चर्चा का विषय बन गई है।
दरअसल, 25 मई 2013 को नक्सलियों ने कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा पर हमला किया था। यह वाक्या झीरम घाटी हमले के नाम से देश-विदेश में चर्चा का विषय है। इसी हमले में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष श्री नंदकुमार पटेल, उनके सुपुत्र श्री दिनेश पटेल सहित बस्तर टाईगर के नाम से प्रसिद्ध श्री महेंद्र कर्मा के अलावा बस्तर के तत्कालीन प्रभारी श्री उदय मुदलियार को अपनी जान गंवानी पड़ी थी। इसी हमले में पूर्व केंद्रीय मंत्री श्री विद्याचरण शुक्ल घायल हुए थे और बाद में उनकी भी जान चली गई थी।
बहादुरी को सलाम.. लेकिन
कांग्रेस ने हमले में मारे गए अपने लोगों को कहीं न कहीं स्थान दिया था। श्री पटेल के स्थान पर उनके सुपुत्र उमेश पटेल आज खरसिया से विधायक हैं। वर्तमान में उमेश यूथ कांग्रेस के प्रांतीय अध्यक्ष हैं। उमेश ने उसी स्थान से पुन: परिवर्तन यात्रा शुरु करने का ऐलान किया है जिस स्थान पर परिवर्तन यात्रा हमले के बाद खत्म हुई थी। हम उमेश की बहादुरी को सलाम करते हैं।
उमेश ने ये घोषणा राहुल गांधी के समक्ष की है। उन्होंने परिवर्तन यात्रा पार्ट-2 के समापन अवसर पर श्री गांधी को अपनी ओर से अभी से आमंत्रित भी किया है। वास्तव में उमेश ने बहादुरी दिखाई है लेकिन क्या हर किसी के पास ऐसा मजबूत कलेजा है।
अब देखिए… पूर्व विधायक स्व श्री उदय मुदलियार के सुपुत्र जितेंद्र मुदलियार को… कांग्रेस ने श्री मुदलियार की शहादत को ध्यान में रख के उनकी पत्नी श्रीमती अल्का उदय मुदलियार को मुख्यमंत्री के खिलाफ विधानसभा चुनाव में टिकट दी थी। और तो और जितेंद्र को पहले प्रदेश महासचिव और बाद में शहर कांग्रेस अध्यक्ष का पद दे दिया। इसके बावजूद लगता है जितेंद्र मुदलियार में वैसी हिम्मत नहीं है जैसी उनके पिताश्री में थी।
बस्तर का प्रभार स्व. श्री उदय मुदलियार संभाल रहे थे। उन्होंने कभी भी बस्तर जाने से आना-कानी नहीं की। अब जबकि राहुल गांधी का 4 साल के बाद बस्तर आगमन हुआ है तो जितेंद्र मुदलियार ने बस्तर जाने की हिम्मत नहीं दिखाई। हालांकि उनके नजदीकी लोग स्व. उदय मुदलियार का जन्म दिन (31 जुलाई) की तैयारियों में व्यस्त होने को कारण बताते हैं लेकिन वे इस बारे में कुछ नहीं कह पाते हैं कि क्या जितेंद्र भविष्य में कभी बस्तर का दौरा करेंगे?