गिरदावरी अंतर्गत डिजिटल रूप से फसल का सर्वे करने वाले निजी सर्वेयर का प्रशिक्षण आयोजित
राजनांदगांव। कलेक्टर संजय अग्रवाल के निर्देशानुसार अपर कलेक्टर सीएल मारकण्डेय की उपस्थिति में आज जिला पंचायत सभाकक्ष में गिरदावरी अंतर्गत डिजिटल रूप से फसल का सर्वे करने वाले निजी सर्वेयर का प्रशिक्षण आयोजित किया गया। प्रशिक्षण में बताया गया कि डिजिटल क्रॉप सर्वे में निजी सर्वेयर की भूमिका जियो फ्रेंस के रूप में होगी, जो डिजिटल रूप से फसल का सर्वे सभी खेतों में जाकर करेंगे। निजी सर्वेयर को प्रतिदिन 30 से 50 खसरों का टास्क दिया जायेगा। जिसे सर्वेयर खेत में जाकर लॉगिन करेंगे। उनसे तहसीलदार पूछेंगे क्या आप अवलेबल हैं और हां में जवाब आएगा। वैसे ही एप में प्लॉट की स्थितिए खसरा नंबरए एरिया ऑनर का नाम अपने आप फीड हो जायेगा। जो क्रॉप लगी है उसका तीन फोटो लॉन्गिट्यूट लैटिट्यूट के साथ तीन फोटो अपलोड करना है। इस प्रकार एक नंबर का कार्य पूर्ण होगा। जिसमें पटवारी की भूमिका पर्यवेक्षक और राजस्व निरीक्षक की भूमिका सत्यापनकर्ता तथा तहसीलदार व नायब तहसीलदार की भूमिका जांचकर्ता अधिकारी के रूप में की गई है। सर्वेक्षकों द्वारा संपादित सभी खसरे आरआई के पास नहीं आयेगा। सर्वेक्षकों द्वारा सर्वे किये गए खसरे पटवारी के पास आएंगे। पटवारी या अनुमोदन करेगा या रिसेंड करेगा। पटवारी द्वारा दो बार रिजेक्ट होने की स्थिति में आरआई के आईडी में आयेगा। ऐसे खसरों की संख्या बहुत कम होगी, जहां मौके में जाकर आवश्यकतानुसार सत्यापन किया जाएगा।
प्रशिक्षण में बताया गया कि फिल्ड में क्या बोया गया है फसल की जिंस का नाम, मिश्रित फसल की स्थिति में सभी फसलों का अनुमानित रकबा, सिंचित-असिंचित फसल, एकवर्षीय या बहुवर्षीय, सीजनल फसल की जानकारी आदि भरी जायेगी। सर्वेयर द्वारा साफ्टवेयर में बोये गये जिंस व एकल व मिश्रित फसल की स्थिति में बोये गये फसल या पड़त रकबा की अनुमानित प्रविष्टि करेगा। यदि साफ्टवेयर में जियोरिफ्रेंस्ड रकबा के अनुसार सर्वे किए गए रकबा का योग एक समान नहीं आयेगा। तब तक डेटा सेव नहीं होगा। सर्वेयर किसी भी खसरा नंबर की भूमि के मेड़ में खड़े होकर फोटो कैप्चर नहीं करेगा। यदि ऐसा वे करते हैं तो आसपास के खसरा नंबर के लैटलांग मिस्डमैच होगा। इसलिए सर्वेयर प्रत्येक खसरा नंबर की भूमि के अंदर कम से कम मेड़ से 10 मीटर की दूरी पर जाकर प्रयोग संपादित करेगा। यदि पिक्चर में सोयाबीन फसल दिख रहा पर सर्वेक्षक ने धान प्रविष्ट किया हो अथवा प्लाट खाली है और फोटो गन्ना का अपलोड किया है, तो वही डेटा को पटवारी रिसेंड करेगा। सर्वेक्षक सुधार कर फिर से पटवारी को भेजेगा। यदि पटवारी पुनः रिजेक्ट करता है तब आरआई के आईडी में आयेगा। पटवारी द्वारा परंपरागत ढंग से की जाने वाली गिरदावरी से यह फिलहाल अलग है। धान खरीदी पटवारी द्वारा की गई गिरदावरी के आधार पर की जाएगी। डिजिटल क्राप सर्वे उन्हीं ग्रामों में की जायेगी, जहां जियोरिफ्रेंसिंग का सेकेंड लेवल कार्य का संपादन हो गया है। सभी ग्रामों के खसरा नंबरों में नहीं की जाएगी। यह शासन की बहुआयामी योजना है। सकारात्मक ढंग से इस कार्य का संपादन करना है। साफ्टवेयर बहुत ही आसान बनाया गया है। किसी भी वर्जन के एंड्रॉयड मोबाईल में प्रयोग किया जा सकता है, जिसमें ये सपोर्ट करें। इसके लिए जिले में पटवारी, आरआई को 3 सितम्बर 2024 को प्रशिक्षण दिया जा चुका है। यह कार्य 9 सितम्बर से 30 सितम्बर 2024 तक संपन्न करना है। इस अवसर पर डिप्टी कलेक्टर श्रीमती सरस्वती बंजारे, तहसीलदार मनीष वर्मा एवं अन्य अधिकारी तथा सर्वेयर को प्रशिक्षण दिया गया।
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