जैन धर्म में अपरिग्रह का सिद्धांत है : विराग मुनि
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रायपुर.
एमजी रोड स्थित जैन दादाबाड़ी में श्री विनय कुशल मुनिजी महाराज साहब के पावन सानिध्य में चल रहे चातुर्मासिक प्रवचन में विराग मुनि महाराज साहब ने कहा कि जैन धर्म में अपरिग्रह का सिद्धांत है. जबकि आज ज्यादा से ज्यादा इकट्ठा कर लेने की जो होड़ है वह खतरनाक है.
अपरिग्रह को समझाते हुए उन्होंने कहा कि यानी उतना ही रखिए, जितने की जरूरत है. साधु-साध्वियों के पास संपत्ति के नाम पर एक पोटली मिलेगी. इसमें दो जोड़ी कपड़े के अलावा सारी चीजें धर्म-ध्यान से जुड़ी मिलेंगी. धर्म ही उनकी पूंजी है. इसी तरह आप भी धर्म को पूंजी बनाएं. हर अनुष्ठान इतना तीव्रतम हो कि सफल हो जाए.
विराग मुनि महाराज साहब ने कहा कि प्रवचन में कहा कि तीर्थ जाना आज लोगों के लिए पर्यटन समान हो गया है. धार्मिक केंद्र पिकनिक स्पॉट बनते जा रहे हैं. अपने भीतर धर्म की जागृति लाएं. समर्पण ऐसा हो कि जब तक काम पूरा न हो, शरीर से प्राण नहीं छूटने चाहिए. यकीन मानिए, आपने सोचा भी नहीं होगा, वो सब काम पूरे होंगे.
मुनिश्री ने कहा, जब शरीर स्वस्थ रहता है, हम संसार के कार्यों में लगे रहते हैं. सारे जीवन कर्म बंधन करते हैं. जब बूढ़ापा आए, ठीक से खड़े भी न हो पाएं, आंखों से कुछ साफ दिखाई न दे, तब धर्म करने का विचार आता है.
प्रवचन में उन्होंने कहा कि हमें युवावस्था में ही सुख-दुख में समभाव से रहना चाहिए. यह सब पाप पुण्य का खेल है. राग-द्वेष छोड़ेंगे तो निश्चित ही आत्मा का कल्याण होगा. आत्मा से परमात्मा बनेंगे.
चातुर्मास समिति के अध्यक्ष पारस पारख और कोषाध्यक्ष अनिल दुग्गड़ ने बताया कि दादाबाड़ी में चल रहे महान सिद्धि तप में पांच के उपवास का शाही पारणा बुधवार को शाही पारणा हाउस में बड़े ही ठाठ-बाट से कराने का निर्णय हुआ है. चौथी लड़ी का पहला उपवास गुरुवार से शुरू होगा.
उन्होंने बताया कि इस महान तपस्या में 100 श्रावक-श्राविकाएं शामिल हैं. इसके अलावा मासखमण जैसी और भी कई बड़ी तपस्याएं चल रही हैं. बसंत लोढ़ा और रमेश जैन ने बताया कि दादा गुरुदेव इकतीसा जाप के क्रम में प्रतिदिन रात 8.30 से 9.30 बजे तक एवं रात्रि में प्रभु भक्ति रायपुर के प्रसिद्ध गायक नवीन जी चोपड़ा की प्रस्तुति हो रही है.