बडी़ सफलता की ओर अग्रसर अभियान “एक पौधा माँ के नाम”
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रायपुर. कोई भी सकारात्मक अभियान, जब कभी भी किसी ने भी, छेडा़ है तो उसके साथ किंतु परंतु जैसे सवाल सुरसा की मुँह की तरह मुँह खोले सामने खडे़ नजर आते हैं. लेकिन कमजोर नस भी होती है. . . उसे तरीके से कब-कहाँ-कैसे-कितना दबाना है; यह यदि याद रहा तो दुनियाँ कदम भी चूमती है. ऐसा ही कुछ एक पौधा माँ के नाम के साथ हो रहा है.
देश के बेहद जिम्मेदार प्रधानमंत्री ने बीते दिनों माँ की याद को जीवंत बनाए रखने एक पौधा रोपा था. रोपने की प्रकिया के पूरा होने के बाद उन्होंने लिखा/कहा था कि . . .”एक पौधा माँ के नाम”.
न कोई अभियान जैसी बात और ना ही सफलता के लिए किसी भी तरह की, किसी से भी कोई गुजा़रिश करना. . .पहले असर धीरे-धीरे हुआ फिर अचानक पारा इतनी तेजी से चढा़ कि उसे नापने-तौलने वाले यंत्र भी ठप हो गए.
बहरहाल, माँग और आपूर्ति के बीच की बढ़ती खाई क्या और कैसी होती है यह अब समझ आ रहा है. नर्सरी वाले हाथ जोड़ने मजबूर हैं. शासकीय नर्सरियों ने तो लोगों से उनकी पसंद के पौधे देने में असर्मथता जता दी है.
थक हारकर मजबूरन में आदमी खुले बाजार की ओर दौड़ रहा है. वहाँ पर भी उसे समय पर पसंदीदा पौधों को प्राप्त करने दो चार दिन का इंतजार ‘ करना पड़ रहा है. और यदि जाते ही पौधों का साथ मिल गया तो सँख्या कम. . . लेने वाले ज्यादा !
कुछेक जगहों पर तो हरेभरे पौधों की ब्लेक मार्केटिंग भी सुनाई पढ़ने लगी है. चूँकि कालाबाजारी की अधिकृत शिकायत नहीं हो पाई है इस कारण उस पर फिर कभी होगी बात . . !
अभी तो माँ की याद में रोपे जाने वाले पौधों पर ही बात होगी . . . शीघ्र ही इस पर स्टोरी पोर्टल ( नेशन अलर्ट : ईमानदारी महँगा शौक है !) पर पढ़ने मिलेगी.
बहरहाल, तब तक बात उस अखंड ब्राह्मण समाज सेवा समिति के सदस्यों की जिन्होंने मंजीत हाइट्स रायपुरा के सदस्यों के साथ मिलकर पौधे रोपे.
पंडित योगेश तिवारी बताते हैं कि सनातन धर्म के अनुसार प्रकृति एवं पौधों – वृक्षों में देवता का वास होता है. इसी पुरातन विचार को मानते हुए पौधरोपण किया गया.
इस महती जिम्मेदारी को भारती शर्मा, पूजा गुप्ता, प्रमिला शुक्ला, रिचा शर्मा, ऐश्वर्या फोगड़े, माधुरी मिश्रा, जयश्री पांडेय, राखी पांडेय, रेशू शर्मा, सुरभि दास, पारुल मिश्रा, लक्ष्मी शर्मा, गंगोत्री साहू, मेघा जैन, कुसुम देवांगन, अमृता श्रीवास्तव, लक्ष्मी कुमार, मंजू देवांगन, स्मिता आदि के मजबूत कँधे मिले. रोपे गए पौधों को पेड़ बनाने का संकल्प पंडित योगेश तिवारी ने दिलवाया.