भारत में 2050 तक 50 फीसदी होगी शहरी आबादी
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नईदिल्ली. भारत गाँवों का देश है. . . यह अवधारणा बदल रही है. एक अनुमान के मुताबिक वर्ष 2050 तक देश की कुल आबादी का 50 फीसद शहरों में होगा. दूसरे शब्दों में 50 फीसदी आबादी शहरी होगी.
यही वह समय होगा जब बुजुर्ग आबादी भी हिंदुस्तान में दोगुनी हो जाएगी. यह संभावना संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष की भारत इकाई ‘यूएनएफपीए- इंडिया’ ने जताई है.
यूएनएफपीए- इंडिया की प्रमुख एंड्रिया वोजनार ने कहा है कि देश में खासकर उन बुजुर्ग महिलाओं के लिए स्वास्थ्य सेवा, आवास और पेंशन में अधिक निवेश किए जाने की जरूरत है, जिनके अकेले रह जाने और गरीबी का सामना करने की अधिक आशंका है.
यूएनएफपीए-इंडिया की रेजिडेंट प्रतिनिधि वोजनार ने विश्व जनसंख्या दिवस (11 जुलाई) के कुछ दिनों बाद जनसंख्या के उन प्रमुख रुझानों को रेखांकित किया, जिन्हें भारत सतत विकास में तेजी लाने के लिए प्राथमिकता दे रहा है.
इनमें युवा आबादी, वृद्ध जनसंख्या, शहरीकरण, प्रवासन और जलवायु के अनुसार बदलाव करना शामिल हैं. ये कारक सभी देश के लिए अनूठी चुनौतियां और अवसर पेश करते हैं.
वोजनार ने कहा कि 60 वर्ष या उससे अधिक उम्र के व्यक्तियों की संख्या 2050 तक दोगुनी होकर 34 करोड़ 60 लाख हो जाने का अनुमान है. फिलहाल इनकी संख्या साढे़ 17 करोड़ के आसपास बताई जाती है.
उनके मुताबिक इसलिए स्वास्थ्य सेवा, आवास और पेंशन योजनाओं में निवेश बढ़ाने की सख्त जरूरत है. उन्होंने कहा कि खासकर वृद्ध महिलाओं के लिए ऐसा करना आवश्यक है, जिनके अकेले रहने और गरीबी का सामना करने की आशंका ज्यादा है.
फिलहाल युवा है हिंदुस्तान . . .
यूएनएफपीए-इंडिया प्रमुख ने कहा कि भारत में युवा आबादी काफी है. फिलहाल 10 से 19 वर्ष की आयु के 25 करोड़ 20 लाख लोग भारत में रहते हैं.
उन्होंने जिक्र किया कि लैंगिक समानता को बढ़ावा देने के साथ-साथ स्वास्थ्य, शिक्षा, नौकरी के लिए प्रशिक्षण और रोजगार सृजन में निवेश करने से इस जनसांख्यिकीय क्षमता को भुनाया जा सकता है और देश को सतत प्रगति की ओर अग्रसर किया जा सकता है.
वोजनार ने कहा कि भारत में 2050 तक 50 प्रतिशत शहरी आबादी होने का अनुमान है. इसलिए झुग्गी बस्तियों की वृद्धि, वायु प्रदूषण और पर्यावरणीय समस्याओं से निपटने के लिए स्मार्ट शहरों, मजबूत बुनियादी ढांचे और किफायती आवास का निर्माण महत्वपूर्ण है.
उन्होंने आगे कहा कि शहरी योजनाओं में महिलाओं की सुरक्षा संबंधी जरूरतों, स्वास्थ्य देखभाल और शिक्षा एवं नौकरियों तक पहुंच को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए, ताकि लैंगिक समानता को बढ़ावा दिया जा सके और जीवन की समग्र गुणवत्ता में सुधार हो सके.
वोजनार ने यह भी कहा कि आंतरिक और बाहरी प्रवासन को प्रबंधित करने के लिए अच्छे से सोच-विचार कर योजना बनाने, कौशल विकास करने और आर्थिक अवसर वितरण की आवश्यकता होती है.
उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन के अनुसार बदलाव को विकास योजनाओं में शामिल करना और नवीकरणीय ऊर्जा में निवेश करना भारत के लिए महत्वपूर्ण है.