अब जेल में रहेंगे तत्कालीन जिला दंडाधिकारी
नेशन अलर्ट/www.nationalert.in
झाबुआ। कभी जिला दंडाधिकारी यानि कि कलेक्टर के पद पर पदस्थ रहे जगदीश शर्मा अब जेल यात्रा पर भेज दिए गए हैं। दरअसल, उन्हें अपने साथियों सहित 4-4 साल की सजा लोकायुक्त की विशेष कोर्ट ने सुनाई है। चूंकि इन्होंने जमानत के लिए आवेदन भी नहीं किया था इसकारण जेल भेज दिए गए हैं।
सारा मामला सूचना का अधिकार यानि कि आरटीआई से जुड़ा हुआ है। मेघनगर के प्रिंटर राजेश सोलंकी ने इंदौर में लोकायुक्त पुलिस से इसकी शिकायत की थी। शिकायत मुताबिक अगस्त से नवंबर 2008 के बीच शासकीय छपाई का काम हुआ था। भोपाल के राहुल प्रिंटर्स को इस कार्य के बदले 33.54 लाख का भुगतान हुआ था।
सोलंकी इस कार्य को 5.83 लाख रुपए में होना बताते हैं। सारा कार्य महात्मा गांधी ग्रामीण रोजगार योजना (मनरेगा) व समग्र स्वच्छता अभियान अंतर्गत हुआ था। प्रिंटिंग सामग्री का 27.71 लाख रुपए अधिक भुगतान करने पर उन्होंने झाबुआ के तत्कालीन कलेक्टर जगदीश शर्मा सहित जिला पंचायत के सीईओ व अन्य कर्मचारियों की शिकायत की थी।
विशेष लोकायुक्त कोर्ट ने मामले में भोपाल के प्रिंटर्स को भी दोषी मानते हुए 7 साल की सजा दी है। कोर्ट ने सरकारी प्रेस के दो तत्कालीन अधिकारियों को बरी कर दिया है। तत्कालीन कलेक्टर शर्मा पर आरोप था कि उन्होंने जिस दिन छपाई के ऑर्डर की फाइल उन तक पहुंची उसी दिन उसे मंजूर कर दिया था। जबकि जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी रहे जगमोहन धुर्वे पर आरोप था कि उन्होंने फाइल मिलते ही कलेक्टर को अनुमोदन के लिए भेजा था।
और कौन कौन शामिल था
तत्कालीन कलेक्टर व जिला पंचायत के सीईओ के अतिरिक्त मामले में तत्कालीन परियोजना अधिकारी (तकनीकी) रोजगार गारंटी योजना नाथूसिंह तंवर, तत्कालीन जिला समन्वयक (अभी इंदौर नगर निगम के स्वच्छता अभियान में कंसलटेंट) अमित को भी जेल हो गई है। अमित पर आरोप है कि उन्होंने सरकारी प्रेस की जगह फाइल को राहुल प्रिंटर्स को छपाई के लिए भेजा था।
तत्कालीन वरिष्ठ लेखाधिकारी सदाशिव डावर, तत्कालीन लेखाधिकारी, राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना आशीष कदम को फाइलों के मूमेंट का दोषी पाया गया। भोपाल निवासी राहुल प्रिंटर्स के मालिक मुकेश शर्मा को 27.71 लाख का अतिरिक्त लाभ प्राप्त करने का दोषी पाया गया। इनमें से जगदीश शर्मा, जगमोहन, नाथूसिंह और सदाशिव रिटायर हो चुके हैं। चूंकि इन्होंने जमानत का आवेदन नहीं किया था इसकारण उन्हें जेल भेज दिया गया जबकि ऐसे मामलों में बड़ी आसानी से जमानत हो जाती है।