रिटायर्ड आईएएस के खिलाफ दर्ज हुआ अपराध
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जबलपुर। लोक आयुक्त के संभागीय कार्यालय में अखिल भारतीय सेवा से सेवानिवृत्त हुए नरसिंहपुर के पूर्व कलेक्टर के खिलाफ अपराध दर्ज हुआ है। रिटायर्ड आईएएस वेदप्रकाश पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7 (ग) के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है।
मामला नरसिंहपुर के करेली निवासी आरटीआई कार्यकर्ता रामाकांत कौरव की शिकायत से जुड़ा हुआ है। कौरव की ही पहल पर यह अपराध दर्ज किया गया है। जून 2020 से सितंबर 2021 तक वेदप्रकाश तकरीबन 15 महीने नरसिंहपुर कलेक्टर रहे थे।
नरसिंहपुर से स्थानांतरित होकर वह प्रदेश की राजधानी भोपाल पहुंचे थे। वहां वह श्रम मंत्रालय में उपसचिव पद पर कार्य करते हुए अंतत: सेवानिवृत्त हुए। फिलहाल जबलपुर निवासी वेदप्रकाश लंबे समय तक स्थानीय नगर निगम के आयुक्त भी रह चुके हैं।
करोड़ों की संपत्ति के मालिक ?
वेदप्रकाश को मध्यप्रदेश काडर अंतर्गत 2009 बैच का आईएएस अफसर बताया जाता है। 7 दिसंबर 2022 में अपराध क्रमांक 0255 अंतर्गत यह मामला दर्ज हुआ जिसकी विवेचना फिलहाल जारी बताई गई है। उन्हें करोड़ों की संपत्ति का मालिक बताया जाता है।
शिकायतकर्ता कौरव ने जबलपुर सहित बिहार के अलावा दिल्ली, शिवनी, नागपुर, इंदौर सहित भोपाल में लाखों करोड़ों की संपत्ति की जानकारी का भी उल्लेख किया है। उन पर आय से अधिक संपत्ति के मामले में लोकायुक्त की जबलपुर इकाई को निर्देशित कर एफआईआर दर्ज कराई गई।
उन पर आरोप है कि उन्होंने नियमों के विरूद्ध फर्जी तरीके से शस्त्र लाइसेंस जारी करने के मामले में रूचि ली थी। बिहार के बेगूसराय निवासी अपने रिश्तेदार रौनक पिता संजय सिंह के आवेदन के महज 20 दिनों के भीतर उन्हें शस्त्र लाइसेंस जारी किया गया था।
शिकायत में यह भी उल्लेख है कि रौनक ने 16 अगस्त 2021 को शस्त्र लाइसेंस के लिए आवेदन किया था। रविवार का अवकाश होने के बावजूद 5 सितंबर को उनके नाम से शस्त्र लाइसेंस जारी कर दिया गया। ऐसा क्यूं हुआ ?
दरअसल, वेदप्रकाश का शनिवार 4 सितंबर 2021 को स्थानांतरण हो गया था। वह नरसिंहपुर कलेक्टर के स्थान पर बतौर उपसचिव श्रम मंत्रालय भोपाल बुला लिए गए थे। अपने स्थानांतरण का आदेश जारी होते ही वेदप्रकाश ने आनन फानन में शस्त्र लाइसेंस जारी कर दिया।
वह भी तब जब थाना प्रभारी की नकारात्कम रपट थी। बिहार से पुलिस वेरिफिकेशन कराए बिना ही अवकाश के दिन पुलिस और एसडीएम से रपट तलब कर कलेक्टर रहे वेदप्रकाश ने नरसिंहपुर पद स्थापना के अंतिम दिन यह आदेश किया था।