हाईकोर्ट जज को ज्यूडिशियल नोटिस जारी
नेशन अलर्ट/छुईखदान.
यहां पदस्थ पटवारी तुलसीराम की एक याचिका पर देश के सर्वोच्च न्यायालय ने छत्तीसगढ़ के हाईकोर्ट में पदस्थ जज को ज्यूडिशियल नोटिस जारी की है। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अजय रस्तोगी और बीवी नागरधना की बैंच ने तुलसीराम की याचिका पर सुनवाई करते हुए बिलासपुर हाईकोर्ट के जज दीपक तिवारी को इस तरह की नोटिस देने का निर्णय सुनाया है।
दरअसल, मामला पारिवारिक विवाद से जुड़ा हुआ था। पहले पुलिस में प्रकरण दर्ज हुआ और उसके बाद न्यायालय तक पहुंचा। प्रकरण के संबंध में बताया जाता है कि पटवारी तुलसीराम पर उनके अपने भांजे लोकेश कुमार ने जमीन हड़पने का आरोप लगाया था। लोकेश मामले में कार्यवाही कराने के उद्देश्य से पुलिस के पास शिकायत लेकर पहुंचे थे।
धारा 420 के तहत दर्ज किया था प्रकरण
तुलसीराम बताते हैं कि उनके विरूद्ध पुलिस ने भादंवि की धारा 420 के तहत प्रकरण दर्ज कर लिया था। मामले में अपनी संभावित गिरफ्तारी को देखते हुए चिंताग्रस्त तुलसीराम ने लोवर कोर्ट में अग्रिम जमानत के लिए याचिका दायर की थी। अमूमन जैसा होता है वैसा ही इस प्रकरण में हुआ और लोवर कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी।
थक हारकर तुलसीराम के बताए मुताबिक उन्होंने बिलासपुर हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत याचिका लगाई थी। याचिका के साथ ही उन्होंने अग्रिम जमानत आवेदन भी प्रस्तुत किया था। चूंकि वह एक शासकीय सेवक हैं इस नाते अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई पूरी होने तक अपनी जमानत की मांग उनके द्वारा की गई थी। याचिका हाईकोर्ट जस्टिस दीपक तिवारी की बेंच में प्रस्तुत हुई थी।
जस्टिस तिवारी ने यह कहते हुए अंतरिम जमानत आवेदन खारिज कर दिया था कि ड्यूकोर्स (नंबर आने पर होने वाली सुनवाई) पर ही सुनवाई होगी। जस्टिस तिवारी ने यह उल्लेख किया था कि मामला कोई इतना महत्वपूर्ण नहीं है जिस पर तुरंत सुनवाई की जा सके। हाईकोर्ट से याचिका खारिज होने पर पटवारी दौड़े भागे सुप्रीम कोर्ट याचिका लेकर पहुंचे थे।
सुप्रीम कोर्ट में प्रकरण की सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट जज जस्टिस रस्तोगी और जस्टिस नागरधरा की बेंच ने पटवारी तुलसीराम की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी। प्रकरण को आगे सुनने के लिए उन्होंने शासन से जवाब मांगा था। बाद में यह प्रकरण हाईकोर्ट में जस्टिस रजनी दुबे की बेंच में सुनवाई के लिए प्रस्तुत हुआ।
हाईकोर्ट जज जस्टिस रजनी दुबे ने पटवारी तुलसीराम को अग्रिम जमानत दे दी। इस तरह से पहले सुप्रीम कोर्ट और बाद में हाईकोर्ट से स्वयं को राहत मिल जाने के बाद पटवारी तुलसीराम अपना प्रकरण वापस लेने सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे। इस पर पुन: सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट जज जस्टिस रस्तोगी और जस्टिस नागरधना की बेंच ने हाईकोर्ट जज दीपक तिवारी को ज्यूडिशियल नोटिस जारी करने का निर्णय लिया।
सुप्रीम कोर्ट ने इस पर आपत्ति की है कि अग्रिम जमानत आवेदन में प्रस्तुत अंतरिम आवेदन को बिलासपुर हाईकोर्ट में खारिज कर दिया गया। साथ ही साथ ड्यूकोर्स में प्रकरण को डाले जाने पर आपत्ति जताते हुए अंतरिम जमानत आवेदन की सुनवाई में माना था कि बगैर किसी ठोस कारण के देरी की गई। जबकि इस तरह का छोटा केस जल्द निपटाया जा सकता था।