नक्सलवाद का जिन्न फिर बोतल से बाहर निकला
नेशन अलर्ट/रायपुर.
प्रदेश में नक्सलवाद का जिन्न एक बार फिर बोतल से बाहर निकल आया है। इसे लेकर कांग्रेस-भाजपा में वार पलटवार किए जा रहे हैं। यह स्थिति देश के गृहमंत्री अमित भाई शाह के राजधानी के दौरे के बाद निर्मित हुई है।
27 अगस्त को देश के ताकतवर गृहमंत्री अमित भाई शाह ने राजधानी रायपुर का दौरा किया था। तब उन्होंने एनआईए के बिल्डिंग के लोकार्पण के अलावा बुद्धिजीवियों के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र भाई मोदी के ऊपर लिखी गई किताब (मोदी एट दी रेट 20) पर संबोधन किया था। इन्हीं दोनों समारोह में देश के गृहमंत्री ने वामपंथी उग्रवाद पर लोगों को संबोधित किया था। अब इस पर राजनीति होने लगी है।
क्या कहा था, क्या है कांग्रेस को आपत्ति
दरअसल, गृहमंत्री ने इन समारोह में नक्सलवाद पर बोलते हुए कहा था कि 2009 के मुकाबले 2021 में इसमें 77 प्रतिशत की कटौती हुई है। जान गंवाने वाले नागरिक सुरक्षाकर्मी तब 1005 थे जो 2021 में महज 147 रह गए हैं। कांग्रेस पर बिना उसका नाम लिए हुए हमला करते हुए उन्होंने कहा था कि उस समय 120 जिलों में नक्सलवादी घटनाएं होती थी जो कि अब महज 46 जिलों तक सिमट कर रह गई है।
गृहमंत्री शाह यहीं पर नहीं रूके। उन्होंने दीनदयाल उपाध्याय ऑडिटोरियम में मोदी जी के 20 साल पर बोलते हुए कहा था कि मोदी ऐसे नेता हैं जो खुद घंटों तक काम करते हैं। रात 12 बजे के बाद कोई फोन आता है तो मैं जानता हूं कि वह पीएम का होगा। शाह ने इससे आगे बढ़कर यह कहा कि छत्तीसगढ़ में सरकार बदल दो.. यहां से भी वामपंथी उग्रवाद चुटकी में चला जाएगा।
प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने इस पर पलटवार करते हुए बयान को दुर्भाग्यजनक कहा है। शुक्ला कहते हैं कि यदि गृहमंत्री के पास ऐसा कोई फॉर्मूला है तो वह उसका उपयोग कर नक्सलवाद खत्म क्यों नहीं करते हैं। भाजपा से स्पष्टीकरण की मांग करते हुए उन्होंने गृहमंत्री के बयान को छत्तीसगढ़ का अपमान कहा है।
शुक्ला ने केंद्रीय गृहमंत्री को ताकतवर नेता मानते हुए कहा है कि इनसे ताकतवर देश में शायद ही कोई होगा। इस बयान से भारतीय जनता पार्टी की स्वार्थी मानसिकता झलकती है कहते हुए शुक्ला ने कहा है कि 15 साल तक प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार थी। 3 जिलों से 14 जिलों तक नक्सलवाद फैला है तो भाजपा के शासनकाल में ही फैला।
संचार विभाग के अध्यक्ष शुक्ला कहते हैं कि 2014 से 2018 तक अमित शाह जी देश के प्रभावशाली नेता थे। इसके बाद वे देश के गृहमंत्री हैं। इन सबके बावजूद उन्होंने प्रदेश सहित देश में नक्सलवाद का क्यूंकर खात्मा नहीं किया यह विचारणीय है। उन्होंने इस तरह के बयान को छत्तीसगढ़ की अस्मियता से जोड़ा है।