नेशन अलर्ट/रायपुर.
रियल एस्टेट नियामक प्राधिकरण (रेरा) के चेयरमेन की जिम्मेदारी संभाल रहे विवेक ढांढ क्या मुख्यमंत्री के सलाहकार हो सकते हैं? यदि ढांढ सलाहकार बनते हैं तो रेरा के लिए नया चेयरमेन ढूंढना पड़ेगा.
पूर्व मुख्य सचिव विवेक ढांढ की छत्तीसगढ़ की प्रशासनिक लॉबी में तूती बोलती है. उन्होंने मुख्य सचिव का पद अचानक छोड़ दिया था. आईएएस से रिटायर कर ढांढ रेरा के चेयरमेन बन गए थे.
उनका कार्यकाल पांच सालों का है. पांच साल पूरे होने में अभी तकरीबन चार साल का समय है. जनवरी 2018 में ढांढ ने अध्यक्ष पद धारण किया था. अब वह इसे भी छोड़ सकते हैं.
अनुभव का मिल सकता है लाभ
ढांढ को प्रशासनिक अनुभव का लाभ तो मिल ही सकता है वह सरकार को भी लाभ पहुंचा सकते हैं. पंद्रह साल बाद कांग्रेस राज्य की सरकार में लौटी है. उसे इस तरह के अनुभवी अफसरों की बेहद जरुरत है.
ढांढ के संबंध कांग्रेस-भाजपा के साथ एक जैसे रहे हैं. उन्होंने कांग्रेस की सरकार रही तो जोगी कार्यकाल में भी काम किया है और पंद्रह साल तक भाजपा की सरकार में रमन के साथ भी काम किया है.
चूंकि, कांग्रेस की सरकार पंद्रह साल बाद बनी है इस कारण अनुभवी, वरिष्ठ व विश्वस्त अधिकारियों की कमी से भी उसे दो-चार होना पड़ रहा है. इसी के मद्देनजर ढांढ को यह जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है.
इधर, ढांढ मुख्यमंत्री के सलाहकार बनेंगे तो रेरा के चेयरमेन का पद खाली होगा. इस पद पर नई नियुक्ति कर सरकार एक साथ दो लोगों को अपने साथ जोड़ लेगी. ढांढ सलाहकार बन सरकार को मार्ग दर्शन देंगे जबकि रेरा का चेयरमेन बनने वाला कोई अफसर सरकार का नाम लेगा.
बताया तो यहां तक जाता है कि ढांढ ने इसके लिए भले ही अभी हामी नहीं भरी है लेकिन उन्होंने उस दिशा में अपनी गोटियां बिछाना शुरु कर दिया है.
पहले चरण में निकली सूची में मुख्यमंत्री के सचिव बने गौरव द्विवेदी, मुख्यमंत्री सचिवालय में उप सचिव की जिम्मेदारी संभालने वाले तारण प्रकाश सिन्हा इसकी एक बानगी है. दोनों अफसर ढांढ के विश्वसनीय रहे हैं. हो सकता है कल यदि ढांढ मुख्यमंत्री के सलाहकार बनकर मुख्यमंत्री के सचिवालय पहुंचते हैं तो उन्हें किसी तरह की परेशानी न हो इसका भी ध्यान रखा गया है.