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रायपुर। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने गौ तस्करी के नाम पर अपराधियों के एक गिरोह द्वारा अल्पसंख्यक समुदाय के दो व्यक्तियों की हत्या और एक व्यक्ति को मरणासन्न किए जाने की तीखी निंदा की है। घटना में शामिल सभी अपराधियों को गिरफ्तार करने, उन पर हत्या का मुकदमा कायम करने की मांग की गई है। इसके अलावा पीड़ित परिवारों को मुआवजा और सरकारी नौकरी देने की मांग उठाई गई है।
आज यहां जारी एक बयान में माकपा राज्य सचिवमंडल ने कहा है कि इस घटना के जो तथ्य सामने आए हैं, उससे स्पष्ट है कि यह घटना मॉब लिंचिंग की नहीं, बल्कि सुनियोजित रूप से हत्या की कार्यवाही को अंजाम देने की है। पार्टी ने पुलिस प्रशासन पर आरोप लगाया है कि हत्यारों को बचाने के उद्देश्य से ही इसे गौ तस्करी और मॉब लिंचिंग का रूप देने की कोशिश कर रही है और अपराधियों के खिलाफ हल्की धाराएं लगाई गई है। यह रवैया पुलिस प्रशासन के सांप्रदायिक पूर्वाग्रह को ही बताता है।
मीडिया को जारी एक बयान में माकपा राज्य सचिव एमके नंदी ने कहा है कि अब यह स्पष्ट है कि ट्रकों से गायों का नहीं, बल्कि भैंसों का परिवहन किया जा रहा था। भाजपा सरकार को यह स्पष्ट करना चाहिए कि किस कानून के तहत भैंसों का व्यापार प्रतिबंधित है? अपराधियों के हिंदूवादी संगठनों से जुड़ाव के तथ्य भी सामने आ चुके हैं और वे गाय के नाम पर अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ समाज में आतंक फैलाने का काम कर रहे हैं। माकपा नेता ने आरोप लगाया है कि ऐसे सांप्रदायिक तत्वों को भाजपा सरकार का सीधा संरक्षण प्राप्त है और यही कारण है कि ऐसी जघन्य हत्याओं पर भी भाजपा ने चुप्पी साध रखी है।
उन्होंने पूछा है कि उत्तरप्रदेश के नागरिक छत्तीसगढ़ में सुरक्षित क्यों नहीं है, जबकि दोनों राज्यों में डबल इंजन की सरकार है? वास्तविकता यह है कि भाजपा की विचारधारा धर्म के आधार पर नफरत की राजनीति करने और देश को सांप्रदायिक आधार पर विभाजित करने पर ही टिकी है। इसलिए भाजपा राज में कोई भी नागरिक और उसके अधिकार सुरक्षित नहीं है।
माकपा ने पीड़ित परिवारों को एक-एक करोड़ रुपए का मुआवजा देने, उनके परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने और फास्ट ट्रैक अदालत के जरिए अपराधियों को शीघ्र दंडित करने की मांग की है। माकपा ने यह भी मांग की है कि प्रदेश में मवेशियों के व्यापार को संरक्षण दिया जाएं और अल्पसंख्यक समुदाय की आजीविका की सुरक्षा की जाए।